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- हिण्डन की कमान अब होगी...
आई.एम.ए. भवन, गाजियाबाद में आज दिनांक 15.10.2023 को गाजियाबाद हित संरक्षण, संवर्धन तथा समन्वयक समिति के तत्वावधान में ’’जीवनदायिनी हिण्डनः वर्तमान और भविष्य’’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। एकदम नई थीम पर आयोजित इस संगोष्ठी में हिण्डन से जुड़े और हिण्डन के लिए काम करने वाले विभिन्न व्यक्ति एवं संगठन एक मंच पर एकत्रित हुए। यही नही संगोष्ठी में एन.जी.टी. के पूर्व चेयरमैन और उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीष श्री आदर्ष गोयल एवं गाजियाबाद के पूर्व जिलाधिकारी डॉ. अजय शंकर पाण्डेय की उपस्थिति विषेषरुप से महत्वपूर्ण रही।
संगोष्ठी के उद्देष्यों पर प्रकाष डालते हुए डॉ. अजय शंकर पाण्डेय ने कहा कि हिण्डन नदी को उसके पुराने स्वरुप में लाने के लिए बहुत लम्बे समय से प्रयास किये जा रहे हैं। सरकार के अलग-अलग विभाग, तमाम स्वयंसेवी संगठन, नदी संरक्षण से जुड़े तमाम व्यक्ति अलग-अलग तरीके से प्रयासरत है। इन सभी प्रयासों को संगठित करना और किये जा रहे प्रयासों का परिणाम जमीनी स्तर पर दिखाई द,े उस पर विचार-मंथन और कार्ययोजना बनाना, इस संगोष्ठी का मूल उद्देष्य है।
ज्ञातव्य है कि डॉ. अजय शंकर पाण्डेय ने गाजियाबाद के नगरायुक्त के रुप में हिण्डन नदी के शहर के बीच से गुजरने वाले क्षेत्र का ना केवल सौन्दर्यीकरण करवाया था बल्कि तत्समय पानी की गुणवत्ता में भी आष्चर्यजनक सुधार हुआ था, जिसकी याद आज भी गाजियाबाद नगरवासियों के दिमाग में ताजी है। एन.जी.टी. के पूर्व चेयरमैन और उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीष आदर्ष गोयल ने नदी सुधार को लेकर एनजीटी के मेण्डेट पर काफी विस्तार से प्रकाष डाला और संगोष्ठी को एक सार्थक पहल बताया।
क्या है गाजियाबाद हित सरंक्षण, संवर्धन तथा समन्वयक समिति?
डॉ. अजय शंकर पाण्डेय, पूर्व जिलाधिकारी, गाजियाबाद के संरक्षण में कार्य कर रही इस समिति का मुख्य उद्देष्य गाजियाबाद की विभिन्न समस्याओं के लिए काम कर रहे विभिन्न लोगों और संगठनों को एक मंच पर लाकर उनके बीच आपसी तालमेल एवं समन्वय स्थापित करके समस्याओं के निराकरण के लिए कार्य करना। इस कड़ी में हिण्डन नदी के सुधार को समिति के पहले एजेण्डे के रुप में लिया गया है। समिति में प्रो. पवन सिन्हा गुरुजी अध्यक्ष, कर्नल टी.पी. त्यागी महासचिव, डॉ. पी.एन. अरोडा, धनंजय तेवतिया, के.के. शर्मा वरिष्ठ पदाधिकारी है।
क्या है हिण्डन के लिए पूरे गाजियाबाद की सहभागिता की योजना?
संगोष्ठी में सबसे ज्यादा चर्चा डॉ. अजय शंकर पाण्डेय द्वारा प्रस्तावित इस योजना की रही। गाजियाबाद के हर क्षेत्र को, हर नागरिक को हिण्डन से जोड़ने के लिए गाजियाबाद क्षेत्र से प्रवाहित हो रही 8 किमी. की हिण्डन नदी को नगर निगम के 100 वार्डों के बीच में विभाजित कर हर उस हिस्से में साफ-सफाई और नदी को निर्मल रखने की जिम्मेदारी उन वार्ड के नागरिकों को सौंपी जाए। हिण्डन के उस क्षेत्र का नाम सम्बन्धित वार्ड के नाम पर निर्धारत कर दिया जाए। इसका लाभ यह होगा कि जिस वार्ड को हिण्डन का जो क्षेत्र साफ-सफाई के लिए आवंटित होगा वह उसकी पूरी जिम्मेदारी वहन करेगा और इस प्रकार वार्डों में हिण्डन को साफ रखने को लेकर जागरुकता पैदा होगी और उनमें प्रतिस्पर्धा भी बनेगी। जिस वार्ड क्षेत्र द्वारा बेहतर सफाई रखी जाएगी वहाँ के निवासियों का एक नागरिक अभिनन्दन का कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा। संगोष्ठी में इस प्रस्ताव को सर्वसम्मत से स्वीकार करते हुए इसकी शुरुआत शमषान घाट क्षेत्र और उसके सामने जहाँ छठ पूजा होती है वहाँ से शुरु करने पर सहमति बनी।
संगोष्ठी में जस्टिस आदर्ष गोयल, डॉ. अजय शंकर पाण्डेय, प्रो. पवन सिन्हा गुरुजी, धनंजय तेवतिया, राजन छिब्बर, एडवोकेट संजय कष्यप, डॉ. अनिल गौतम, अरुण शर्मा, के.के. शर्मा, श्रीमति रमा सिंह, अतुल जैन, संजय सिंह, विक्रान्त, रमन त्यागी, विजय पाल बघेल, एडवोकेट आकाष वषिष्ठ, प्रो. नीलम पवार तथा विभिन्न संगठनों के पदाधिकरीगण एवं महानुभवों ने षिकरत की। संगोष्ठी का संचालन कर्नल तेजेन्द्र पाल त्यागी द्वारा किया गया तथा पधारे हुए महानुभावों का स्वागत एवं घन्यवाद भी ज्ञापित किया। संगोष्ठी में डॉ. पाण्डेय द्वारा कुछ प्रस्ताव रखे गए जिसे एक मंच से संगोष्ठी ने स्वीकार किया, साथ ही साथ इस संगोष्ठी ने डॉ. पाण्डेय को हिण्डन नदी के सुधार अभियान का संरक्षक बनाने का भी निर्णय लिया।
संगोष्ठी में रखे गए प्रस्तावः
1. गंगा और यमुना एक्षन प्लान के तर्ज पर हिण्डन एक्षन प्लान का गठन किया जाए।
2. हिण्डन नदी के सुधार के लिए एक गैर सरकारी हिण्डन कार्यालय की स्थापना की जाए।
3. हिण्डन के सुधार के लिए सिंचाई विभाग, पर्यावरण विभाग, नगर विकास विभाग, वन विभाग, राजस्व विभाग, कृषि और उद्योग विभाग से जुड़े पूर्व अधिकारियों एवं विषेषज्ञों की एक विंग स्थापित की जाए।
4. हिण्डन के लिए सरकारी स्तर पर किये जा रहे प्रयासों में तालमेल, समन्वय एवं सहयोग का कार्य किया जाए।
5. सरकारी स्तर पर चल रहे प्रयासों की जानकारी के लिए और उसको प्रभावषाली ढंग से क्रियान्वित करने के लिए आर.टी.आई. और लीगल विंग बनाया जाए।
6. हिण्डन के लिए नीति निर्धारण में सरकार को सुझाव देना।
7. हिण्डन के लिए दीर्घकालीन और अल्पकालीन योजनाओं की रुपरेखा तैयार कर क्रियान्वित कराना।
8. हिण्डन के निर्मल प्रवाह में बाधक स्टेक हॉल्डर की पहचान करना, उनके लिए एडवाईजरी तैयार करना।
9. जागरुकता अभियान चलाना।
कुल मिलाकर यह संगठन सरकार के लिए आँख, कान, हाथ और उसके मुख का कार्य करे, ऐसी तैयारी करना।