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- लखनऊ व देवबन्द में...
लखनऊ व देवबन्द में महिलाओं का हौसला आँधी तूफ़ान और बारिश भी डिगा नहीं पाया
लखनऊ से तौसीफ़ क़ुरैशी
राज्य मुख्यालय लखनऊ। 17 जनवरी से लखनऊ में और 27 जनवरी से शुरू हुआ देवबन्द में सत्याग्रह को आँधी तूफ़ान और बारिश भी महिलाओं के जज़्बे को कम नहीं कर पायी सर्दी अपने शबाब पर थी वहीं देवबन्द में जिस दिन ये महिलाएं बैठीं थी उसी रात बारिश पूरे शबाब पर थी लेकिन वह टस से मस नहीं हुईं हालाँकि लखनऊ पुलिस ने उनको परेशान करने के लिए कंबल तक चौरी कर लिए लाइट काट दी आसपास के शौचालयों में ताले डाल दिए गए ठंड से बचने के लिए तम्बू भी नहीं लगाने दिया ठंड में आ जाने से एक बच्ची तय्यबा की दर्दनाक मौत हो गई लेकिन बेरहम लखनऊ पुलिस का दिल नहीं मोम हुआ अपने अत्याचार पर आज तक क़ायम है वहीं देवबन्द पुलिस प्रशासन ने भी अपनी ओर से बहुत कोशिश की कि आप अभी फ़िलहाल इसको स्थगित कर दो मौसम ख़राब है लेकिन महिलाओं ने हर दलील को ख़ारिज कर अपने सत्याग्रह को जारी रखने की ठान ली थी जो आज तक जारी है।
इस दौरान कई बार बारिश आई तमाम परेशानियों का सामना कर रही है परन्तु एक ही लक्ष्य है कि केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा लाएँ गए CAA को वापिस लिया जाए एवं NPR को 2010 के अनुसार किया जाए और संभावित NRC को मुकम्मल तौर पर निरस्त किया जाए। 27 जनवरी 2020 से चल रहे इस सत्याग्रह का महिलाओं के साथ क़दमताल करते चल रहे देवबन्द के पूर्व विधायक माविया अली उनके पुत्र हैदर अली, मुस्तफ़ा गौड़, अहमद गौड़, आसिफ़ खान, इसराइल गौड़, नदीम खान,सिकन्दर खान, आरिफ़ अंसारी व रमज़ानी क़ुरैशी आदि पूर्व विधायक माविया अली की टीम पूरी ताक़त से लगी हुई है इन सभी के ख़िलाफ़ पुलिस ने दो एफआईआर भी दर्ज की है जिसमें तीन पत्रकारों के नाम भी दिए गए हैं उन पर भी देवबन्द सत्याग्रह को सपोर्ट करने का आरोप लगाया गया है हालाँकि उनका सिर्फ़ इतना क़सूर है कि वह इस आंदोलन को कवरेज कर रहे हैं समझा जाता है कि देवबन्द प्रशासन पत्रकारों पर यह दबाव बनाना चाहते हैं कि वह इसका कवरेज न करें।
तीनों पत्रकारों मुशर्रफ उस्मानी दैनिक हिन्दुस्तान, फ़हीम उस्मानी दैनिक जनवाणी व तसलीम क़ुरैशी ईटीवी से बात करने पर पता चला कि हम पत्रकारिता कर रहे हैं जो भी नगर में घटनाक्रम होगा हम उसका इमानदारी से कवरेज करेंगे उसके लिए हमें ऐसी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा तो हम उसका भी इमानदारी से सामना करेंगे इनका कहना है कि देवबन्द में CAA के समर्थन में भी एक धरना-प्रदर्शन चल रहा है उसका भी हम इमानदारी से कवरेज कर रहे हैं जबकि CAA समर्थन का आंदोलन मोदी की भाजपा के द्वारा प्रायोजित है फ़ोटो खिंचवा कर चली जाती हैं मुश्किल से दस से पंद्रह महिलाएं ही है जिन्हें इसके लिए तैयार किया गया है लेकिन इसके बावजूद हम उसका भी कवरेज कर रहे हैं और करते रहेंगे यही पत्रकारिता है।
आज जब मैं देवबन्द की ईदगाह मैदान पहुँचा तो पता चला कि सैंतीस दिन से लगातार देवबन्द में सत्याग्रह चल रहा है जो आज 38 वें दिन में प्रवेश कर गया है। यहाँ का सत्याग्रह अपनी अलग ही पहचान बना चुका है राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तर्ज़ पर चल रहे इस आंदोलन में आने वाली महिलाओं एवं पुरुषों को सत्याग्रह में आने को प्रेरणा दे रही हैं जैसे 22 दिसम्बर 2019 को यूपी एवं देश में CAA NPR व NRC के विरोध में हुए प्रदर्शन को पुलिस के द्वारा हिंसात्मक करने को विवश किया गया था जिसके बाद 25 युवक शहीद हो गए थे उनकी याद में शहीद स्मारक बनाया गया है उसमें उन शहीदों के नाम की पट्टियाँ लगाई गई हैं वहाँ आने वालों की भीड़ लगी रहती हैं शहीदों को श्रद्धांजलि देने का सिलसिला चलता रहता है।
देवबन्द सत्याग्रह के नाम का एक बोर्ड लगा है जिसको गोल आकार दिया गया है और तीस फुट ऊँचा व बीस फुट चौड़ा भारत के संविधान की किताब का बोर्ड लगा है गांधीवादी आंदोलन में सबसे ज़्यादा जो भीड़ ले रही हैं वो है चरखा काततीं औरत जो सूत कात कर लोगों को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की याद दिला रही है कि कैसे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया था एक मशाल भी जल रही है जिसकी ऊँचाई लगभग आठ फ़ीट है वह भी लोगों को अलग ही प्रेरित कर रही है पूरे मैदान पर तिरंगे झण्डे लहराते यह संदेश देने का काम कर रहे हैं कि देश हमारा है संविधान हमारा है इसको बचाने के लिए हम संघर्ष करते रहेंगे।
महिलाओं के लिए बने पंडाल को तिरंगे झण्डे के रंग के कपड़ों से ढका गया है इसमें बैठने वाली महिलाओं की संख्या पाँच सौ के क़रीब है शाम में इनकी संख्या हज़ारों में पहुँच जाती हैं। यहाँ पर आने वाली भीड़ को CAA , NPR NRC के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती हैं कमाल की बात तो ये है कि इस संवेदनशील विषय पर गंभीर चर्चा करने वाली महिलाएं ज़्यादातर गृहणी हैं और ऐसी गंभीर चर्चा कर रही है कि सुननेवाले दांत तले उँगली देने को मजबूर हो रहे हैं क्योंकि उनसे इस गंभीरता पूर्वक चर्चा की उम्मीद नहीं की जा सकती है क्योंकि नरेंद्र मोदी की भाजपा और RSS यह दुष्प्रचार करती थी कि मुस्लिम बहनों को बंधक बनाकर रखा जाता है अब सवाल उठता है कि क्या बंधक बनाकर रखी गई मूर्तियाँ कुछ बोल सकती है लेकिन व बोल भी रही है और नरेंद्र मोदी की भाजपा व RSS को ललकार भी रही हैं।
केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार की नियत पर भी प्रश्न चिन्ह लगाती हैं बहुत-बहुत देर तक माईक पर बोलती है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को राजधर्म का पाठ पढ़ाती हैं।उनका कहना है कि हम हमेशा से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को अपना आदर्श मानते हैं और मानते रहेंगे उनके अहिंसा के मार्ग पर चलकर ही हम आतंकी नाथूराम गोड़से की सोच को हराएँगे।