गाजीपुर

बसपा सांसद अफजाल अंसारी ने ली लोकसभा सदस्य की शपथ

Special Coverage News
18 Jun 2019 1:33 PM GMT
बसपा सांसद अफजाल अंसारी ने ली लोकसभा सदस्य की शपथ
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बहुजन समाज पार्टी के गाजीपुर लोकसभ क्षेत्र से सांसद अफजाल अंसारी ने लोकसभा में आज विधिवत शपथ ग्रहण की. लोकसभा सदन में उन्हें कार्यवाहक लोकसभा अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह ने शपथ ग्रहण कराई. अफजाल अंसारी अब विधिवत सत्रहवीं लोकसभा के सदस्य बने है.

अफजाल अंसारी ने बीजेपी की थिंक टेक माने जाने वाले आरएसएस के बड़े नेता पूर्व मंत्री मनोज सिन्हा को लगभग डेढ़ लाख मतों से पराजित किया है. अफजाल अंसारी इस बार गाजीपुर लोकसभा से दूसरी बार सांसद चुने गये है. इससे पहले वो समाजवादी पार्टी के सांसद के तौर पर सदन में अपनी उपस्तिथि दर्ज करा चुके है.

अफजाल अंसारी का जन्म 14 अगस्त 1953 को गाजीपुर के स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी सुब्हानउल्लाह अंसारी के घर में हुआ था. उत्तर प्रदेश के एक राजनेता हैं जिन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी कौमी एकता दल का बहुजन समाज पार्टी में विलय कर लिया. वर्तमान में अंसारी भारत की गाजीपुर (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) से भारत की नवनिर्वाचित संसद सदस्य हैं. और उत्तर प्रदेश के चर्चित बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी के भाई है. इन्होंने उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से समाजवादी पार्टी के टिकट पर 2004 का आम लोकसभा चुनाव जीता था.

गाजीपुर में अंसारी परिवार का गौरवशाली इतिहास

सिर्फ डर की वजह से नहीं बल्कि काम की वजह से भी इलाके के गरीब गुरबों में अफजाल अंसारी के परिवार का सम्मान है. मगर आप में से शायद कम लोगों को ही पता हो कि गाजीपुर में अंसारी परिवार की इस इज़्ज़त की एक वजह और है और वो है इस खानदान का गौरवशाली इतिहास. खानदानी रसूख की जो तारीख इस घराने की है वैसी शायद ही पूर्वांचल के किसी खानदान की हो. बाहुबली मुख्तार अंसारी के दादा डॉ मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान 1926-27 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष रहे और वे गांधी जी के बेहद करीबी माने जाते थे. उनकी याद में दिल्ली की एक रोड का नाम उनके नाम पर है.

नाना थे नौशेरा युद्ध के नायक

अफजाल अंसारी के दादा की तरह नाना भी नामचीन हस्तियों में से एक थे. शायद कम ही लोग जानते हैं कि महावीर चक्र विजेता ब्रिगेडियर उस्मान मुख्तार अंसारी के नाना थे. जिन्होंने 1948की जंग में न सिर्फ भारतीय सेना की तरफ से उपस्थिति की लड़ाई लड़ी बल्कि हिंदुस्तान को जीत भी दिलाई. हालांकि वो खुद इस जंग में हिंदुस्तान के लिए शहीद हो गए थे.

पिता थे बड़े नेता तो चाचा रहे उपराष्ट्रपति

खानदान की इसी विरासत को मुख्तार के पिता सुब्हानउल्लाह अंसारी ने आगे बढ़ाया. कम्यूनिस्ट नेता होने के अलावा अपनी साफ सुथरी छवि की वजह से सुब्हानउल्लाह अंसारी को 1971 के नगर पालिका चुनाव में निर्विरोध चुना गया था. इतना ही नहीं भारत के पिछले उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी मुख्तार के रिश्ते में चाचा लगते हैं.

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