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कोरोना कहर के साथ ही मर गई मानवता ,अंतिम संस्कार पर महंगाई की मार
गोरखपुर। कोरोना का कहर कितना भयावह है इस बात का अंदाजा उन परिवारों की हालत देख कर लगाया जा सकता है जहां परिवार भर की लाश लखी है और दाह संस्कार करनेवाला कोई नहीं ! समाज की यह नंगी वास्तविकता हर शहर की हो गई है | बहुत से ऐसे परििवार हैं जिनका ईलाज में सबकुछ खत्म हो गया अब बढ़ते संक्रमण के बीच मृत्यु के बाद मृतक के अंतिम संस्कार के पैसे नहीं बच रहे | ऊपर से अब महंगाई अपने चरम पर है | अर्थी सजाने के बास - मूज , करायल , चंदन सबके दाम में अचानक इजाफा हुआ है। लोग कर्ममकाण्ड को दोष देने लगे हैं | किसी का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा कि सत्ता व लोकसेवकों की भी कोई जिम्मेदारी है ! सबकुछ व्यापार बन गया है | जन्म से मृृृत्यु तक संंस्कार होते हैं |अब सब व्यापार है |
मृत्यु के बाद अंंतिम संस्कार पर भी किसी की जिविका निर्भर है | यहाँ तक बात ठीक है पर मनुष्य की संवेदना मर गई है तभी तो आज श्मशान पर आनेवाले औपचाारिकत पूरी करते हैं | बाकी के लिये ब्यापारी है ना ! कोरोनाकाल में चिता पर लगने वाली लकड़ी की कीमत भी अब दुगना हो गई है । कोई भी आगन्तुक मृतक के परिजन को श्मशान मे मदद नहीं देता जबकि यह सनातन परम्परा मे सार्वजनिक कर्म है | हम अपने ही मूल से भाग कर कहाँ जाना चाहते हैं | इस कोबिडकाल मे अगर हम मनुष्यता बचा पाये तो प्रकृति हमें माफ कर देगी !
अब बात समसामयिक करे गोरखपुर राजघाट पर एक चिता को जलाने के लिए लगने वाली लकड़ी की कीमत 3000 से 5000 तक है | जबकि घाट पर अंतिम संस्कार कराने की सरकारी कीमत 1500 और 1800 रुपए निर्धारित किए गए हैं। घाट पर पिछले साल तक लकड़ी की कीमत 600 रुपए से 750 रुपए कुंतल थी जबकि मौजूदा समय में इसकी कीमत बढ़कर 1000 रू तक हो गई है। इस तरह श्मशान घाट पर एक चिता को जलाने के लिए लकड़ी की कीमत में 30 से 40 फीसद तक की वृद्धि हुई है। एक सामान्य वजन और हाइट वाले व्यक्ति के अंतिम संस्कार में कम से कम 4 कुंतल लकड़ी की आवश्यकता होती है।
मुक्तिधामपथ राजघाट पर अंतिम संस्कार कराने के लिए लकड़ी की तमाम दुकानें हैं | यहाँ सबके अपने अलग-अलग रेट हैं | दुकानदार बताते हैं कि 750 रुपए कुंतल से 850 रुपए कुंतल तक की लकड़ी उपलब्ध है | जबकि पिछले साल 600 से 750 रुपए कुंतल इसकी कीमत थी।
राजघाट पर बने रिकॉर्ड रूम में एक अंतिम संस्कार के लिए कुल 1500 रुपए कीमत रखी गई है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरण से दाह संस्कार के लिए 1800 रुपये लगते हैं। बाहर से लकड़ी लेकर एक बॉडी को जलाने में सामान्य तौर पर 3000 रुपए से 5000 तक खर्च आता है। श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार कराने वाले कर्मचारी कमलेश और विजय ने बताया कि एक शव को जलाने में 4 से 5 कुंतल लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है, घाट पर 700 रुपये से लेकर 1000 रुपये कीमत पर लकड़ी मिलती है। जबकि पिछले साल तक इसकी कीमत 600 से 750 रुपए तक थी। कह सकते हैं कि कोरोना काल मे महंगी होती मौत उस पर महगाई की मार जीवित लोगों के ऊपर कितना भयावह मानसिक प्रहार है |
धनञ्जय शुक्ल गोरखपुर