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मनीष गुप्ता हत्याकाण्ड : मनीष को दस मिनट बाद ही मानसी अस्पताल से लेकर लौटी थी पुलिस ?
गोरखपुर : मनीष गुप्ता हत्याकाण्ड की गुत्थी उलझती हुई दिखाई दे रही है। कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता को लेकर पुलिस की जीप रात 12:36 बजे मानसी अस्पताल पहुंचती है। इसके दस मिनट बाद 12:46 बजे उसे लेकर वापस चली जाती है। यह पूरा वाक्या अस्पताल के सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया है। सवाल यह है कि जब दस मिनट में मानसी अस्पताल से मनीष को रेफर कर दिया गया तो उसे रात दो बजकर पांच मिनट पर क्यों बीआरडी मेडिकल कॉलेज ले जाया गया? अगर मनीष की सांसें चल रही थीं तो तत्काल क्यों नहीं मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया? मानसी अस्पताल से मेडिकल कॉलेज की दूरी करीब 11 किलोमीटर है।
मानसी अस्पताल की सीसीटीवी फुटेज के अनुसार 28 सितंबर रात 12:36 बजे एक पुलिस की जीप मानसी अस्पताल के रैंप के पास आकर रुकती है। फुटेज देखकर लगता है कि पुलिस की टीम ने अस्पताल प्रबंधन को फोन करके अपने आने की जानकारी दी थी। क्योंकि जैसे ही पुलिस की जीप रुकती है अस्पताल के दो कर्मचारी स्ट्रेचर लेकर पहुंच जाते हैं।
हालांकि, कैमरे में रामगढ़ताल थाने की जीप थी या नहीं, ये साफ नहीं है, लेकिन रात में मौजूद अस्पताल के कर्मचारी और तीमारदारों ने बताया कि रामगढ़ताल थाने की गाड़ी से रात में पुलिसकर्मी अस्पताल आए थे। सबसे पहले अक्षय मिश्रा अस्पताल के अंदर जाता है। इसके बाद जयनारायण सिंह आगे-आगे चलता दिखाई दे रहे हैं।
इससे पहले वीडियो में अक्षय मिश्रा रिसेप्शन की दाईं तरफ जाता दिखाई दे रहे हैं। वीडियो देखकर लग रहा है जैसे डॉक्टर या अन्य स्टाफ की तलाश में दोनों अस्पताल परिसर में घूम रहे हैं। इसी बीच मनीष को रिसेप्शन के पास लाया जाता है। तभी अस्पताल के बीएमएस स्टाफ राजेंद्र मौर्य रिसेप्शन के पास आकर मनीष की हालत गंभीर बताकर भर्ती करने से मना कर देते हैं। इसके बाद स्ट्रेचर जीप के पास दिखता है। मनीष को जब दोबारा जीप में डाला जाता है, तब रात के 12:46 बज रहे थे। अस्पताल की सीसीटीवी फुटेज मीडिया के पास मौजूद है।
मानसी अस्पताल के निदेशक डॉ. पंकज दीक्षित ने कहा कि रामगढ़ताल पुलिस मनीष गुप्ता को लेकर अस्पताल आई थी। मनीष की हालत गंभीर थी, ऐसे में बीएमएस स्टाफ ने भर्ती करने से मना कर दिया था। हमारे रिकार्ड के अनुसार अस्पताल परिसर में 12:36 बजे मनीष को लेकर पुलिस आई थी। दस से बारह मिनट बाद उसे वापस ले गई थी। इस दौरान मनीष को गाड़ी से नीचे स्ट्रेचर पर उतारा गया, अस्पताल के अंदर रिसेप्शन तक लाया गया फिर वापस पुलिस की गाड़ी में ले जाकर छोड़ दिया गया। अस्पताल में कोई इलाज के लिए आएगा तो मदद की जाएगी, लेकिन रात का वक्त था और मरीज की हालत गंभीर थी। ऐसे में भर्ती करना खतरनाक हो सकता था, इसलिए मनीष को भर्ती करने से मना किया गया।
स्रोत - विभिन्न मीडिया साइट्स