गोरखपुर

'गीता प्रेस ट्रस्ट बोर्ड के अध्यक्ष रहे राधेश्याम खेमका को मिला पद्म विभूषण'

Satyapal Singh Kaushik
22 March 2022 10:15 AM IST
गीता प्रेस ट्रस्ट बोर्ड के अध्यक्ष रहे राधेश्याम खेमका को मिला पद्म विभूषण
x
*मरणोपरांत मिला है पद्म विभूषण*

गीता प्रेस ट्रस्ट बोर्ड के अध्यक्ष व 38 वर्षों तक संपादक रहे राधेश्याम खेमका को मरणोपरांत पद्म विभूषण सम्मान से अलंकृत किया गया है। सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित नागरिक अलंकरण समारोह में यह सम्मान दिया। राधेश्याम खेमका के पुत्र कृष्ण कुमार खेमका ने पद्म विभूषण ग्रहण किया।

*गणतंत्र दिवस पर हुई थी घोषणा*

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर 25 जनवरी को देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मानों की घोषणा की गई थी। तब राधेश्याम खेमका को साहित्य व शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए मरणोपरांत पद्म विभूषण से नवाजा गया था। सोमवार को अलंकरण समारोह के लिए राधेश्याम खेमका के दोनों पुत्रों कृष्ण कुमार खेमका और राजाराम खेमका को आमंत्रित किया गया था। कोरोना प्रोटोकॉल को देखते हुए प्रत्येक अलंकरण के लिए अधिकतम दो लोगों को ही आमंत्रित किया गया था। पद्म विभूषण सम्मान राष्ट्रपति के हाथों ग्रहण करने के लिए राधेश्याम खेमका के बड़े पुत्र कृष्ण कुमार खेमका ही मंच पर गए। उन्हें राष्ट्रपति ने देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म विभूषण प्रदान किया।

*जानिए राधेश्याम खेमका के बारे में*

राधेश्याम खेमका का निधन करीब एक साल पहले 3 अप्रैल 2021 को 86 वर्ष की उम्र में काशी के केदारघाट पर हुआ था। राधेश्याम खेमका गीता प्रेस से लंबे समय तक जुड़े रहे। वर्ष 1982 में नवम्बर व दिसम्बर माह के कल्याण का संपादन किया था। उसके बाद मार्च 1983 से अप्रैल 2021 तक वे कल्याण के संपादक थे। उनकी जीजिविषा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 86 वर्ष की उम्र में भी अप्रैल 2021 तक के अंकों का उन्होंने संपादन किया था। इस दौरान कल्याण की 9 करोड़ 54 लाख 46 हजार प्रतियां प्रकाशित हुईं। कल्याण में पुराणों एवं लुप्त हो रहे संस्कारों एवं कर्मकाण्ड की पुस्तकों का प्रामाणित संस्करण उनके सम्पादकत्व में प्रकाशित हुए।

राधेश्याम खेमका वर्ष 2014 से निधन के समय तक गीता प्रेस ट्रस्ट बोर्ड के अध्यक्ष थे। वर्ष 2002 में उन्होंने काशी में वेद विद्यालय की स्थापना की थी। वेद विद्यालय में ब्रह्मचारी पढ़ते हैं। वहां आवासीय व्यवस्था है और भारतीय वेशभूषा में रहकर शिक्षा ग्रहण करते हैं। ज्यादातर समय वे काशी में ही रहते थे लेकिन गोरखपुर भी कार्य के सिलसिले में आना-जाना था। 12 दिसम्बर 1935 को मुंगेर में जन्मे राधेश्याम खेमका का परिवार धार्मिक प्रवृत्ति का था, जिसकी छाया उन पर ताउम्र रही। 60 से अधिक वर्षों तक इलाहाबाद के माघ मेला में एक महीने का कल्पवास किया था।

Satyapal Singh Kaushik

Satyapal Singh Kaushik

न्यूज लेखन, कंटेंट लेखन, स्क्रिप्ट और आर्टिकल लेखन में लंबा अनुभव है। दैनिक जागरण, अवधनामा, तरुणमित्र जैसे देश के कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में लेख प्रकाशित होते रहते हैं। वर्तमान में Special Coverage News में बतौर कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं।

Next Story