हरदोई

गौशालाओं और गौ-आश्रय स्थलों पर मरने वाले गोवंश के लिए यूपी सरकार जिम्मेदार - संदीप पाण्डेय

Shiv Kumar Mishra
7 Sept 2023 8:51 AM IST
गौशालाओं और गौ-आश्रय स्थलों पर मरने वाले गोवंश के लिए यूपी सरकार जिम्मेदार - संदीप पाण्डेय
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UP government is responsible for the death of cattle at cow shelters and cow shelters - Sandeep Pandey

हरडोई : मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित प्रो संदीप पाण्डेय ने हरदोई जिले की जनता के द्वारा दी जा रही जानकारी का जाकर जब जमीन पर जाकर निरीक्षण किया तो आंखे फटी की फटी रह गई। जो सरकारें गाय माता के नाम पर वोट लेते है उनके राज्य उस गौवंश की दुर्दशा देखकर द्रवित हो गए। आनन फानन में उन्होंने थाने में जाकर सीएम योगी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया।

प्रार्थना पत्र

सेवा मेंः थानाध्यक्ष

थाना अतरौली, जिला हरदोई

दिनांकः 6 सितम्बर, 2023

विषयः गौढ़ी गौ-आश्रय स्थल पर 7 अगस्त एवं अन्य गौशालाओं/गौ-आश्रय स्थलों पर मरने वाले गोवंश के लिए योगी आदित्यनाथ पर गौ-हत्या का मामला दर्ज किया जाए।

महोदय,

कृप्या संलग्न आख्या देखें। 7 अगस्त को ग्राम गौढ़ी, ग्राम सभा छावन, विकास खण्ड भरावन, थाना अतरौली, तहसील सण्डीला में एक जवान बछड़ा मरा हुआ पड़ा था। अन्य गौशालाओं व गौ-आश्रय स्थलों पर भी गोवंश मरणासन्न अवस्था में मिले। मरने के बाद इन गोवंश को वहीं या आस-पास गाड़ दिया जाता है।

उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री ने गौशालाओं की योजना इसलिए चला रखी है ताकि गौहत्या रुके। किंतु यदि गोवंश गौशालाओं व गौ-आश्रय स्थलों पर ही मर रहे हैं, कौवों द्वारा अपने घावों पर किए जा रहे हमलों से अपने को बचा नहीं पा रहे मरणासन्न पड़े हैं तो गौ-हत्या तो हो ही रही है। ग्राम प्रधानों से उम्मीद की जाती है कि वे गौ-आश्रय स्थल संचालित करें लेकिन गौ-आश्रय स्थल के निर्माण या भूसा का पैसा अग्रिम नहीं दिया जाता। चूंकि उत्त्र प्रदेश सरकार की नीतियों के कारण गोवंश गौ-आश्रय स्थलों व गौशालाओं में मर रहे हैं कृप्या सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ के खिलाफ गौ-हत्या का मामला दर्ज किया जाए।

धन्यवाद,

(संदीप पाण्डेय)

महासचिव, सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया)

सितम्बर, 2023गौ-आश्रय स्थलों व गौशालाओं की स्थिति, हरदोई व सीतापुर

निम्मलिखित में हरदोई जिले की सण्डीला तहसील एवं सीतापुर जिले के गोंदला मऊ विकास खण्ड में स्थित कुछ गौ-आश्रय स्थलो व गौशालाओं की स्थिति का वर्णन है।

ग्राम गौढ़ी, ग्राम सभा छावन, विकास खण्ड भरावन, तहसील सण्डीला, जिला हरदोई

निरीक्षण की तिथिः 7 अगस्त, 2023

जनवरी 2023 में गांव में खुले गोवंश से परेशान ग्रामीणों ने गांव में ही धरना शुरू किया। धरना शुरू होते ही शाम को खण्ड विकास अधिकारी गांव पहुंचे। रातों रात एक जे.सी.बी. मशीन बुला पहले जहां एक अस्थाई गौ-आश्रय स्थल बनाया गया था वहीं फिर से गड्ढ़ों को गहरा कर और उसकी सीमा पर लगे तारों को ठीककर गौ-आश्रय स्थल को पुनर्जीवित किया गया। गांव से पकड़ कर गोवंश उसमें लाए गए। पिछली बार जब यहां गौ-आश्रय स्थल बना था तो बताया गया कि चूंकि चारे का भी पैसा नहीं मिल रहा था अतः अंत में गोवंश जो उन्हें ढकने के लिए तिरपाल लगा था वह भी खाकर चली गईं।

शुरू शुरू मे ंतो जनता का दबाव था इसलिए गौढ़ी में अस्थाई गौ-आश्रय स्थल बना दिया गया और ग्राम प्रधान ने पैसा खर्च किया। किंतु जब ग्रामीणों का दबाव कम पड़ा तो चारा आना बंद हो गया। गौढ़ी में जहां धीरे धीरे करके पशुओं की संख्या जनवरी में 53 से बढ़कर 130 तक पहुंच गई थी, चारे के अभाव में करीब 80 पशु तार तोड़ कर खाई फांद कर भाग गए। करीब दस पशु भूख व बिमारी के कारण मर गए जिन्हें वहीं दफना दिया गया। सबसे कमजोर 41 पशु रह गए। 7 अगस्त को इनमें से एक पशु मर चुका था और दो मरणासन्न अवस्था में थे। जिलाधिकारी व प्रमुख सचिव, पशुधन को सूचित किया गया। ग्राम प्रधान आए और मरे पशु को हटवा दिया। एक महीने से ऊपर हो चुका था किंतु पशु चिकित्साधिकारी नहीं आए थे।

7 अगस्त को गौढ़ी गौ-आश्रय स्थल में मरा पड़ा बछड़ा

ग्राम सभा हिण्डोरा, विकास खण्ड गोंदला मऊ, तहसील सिधौली, जिला सीतापुर


मार्च 2023 में ग्रामीण दो बार पशुओं को लेकर निकले इस ऐलान के साथ कि उन्हें मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ के घर लखनऊ ले जाएंगे। पुलिस ने दोनों बार रास्ता रोक लिया किंतु कोई भी ऐसा अधिकारी - खण्ड विकास अधिकारी, पशु चिकित्साधिकारी अथवा उप-जिलाधिकारी मौके पर नहीं पहंुचा जो समस्या का समाधान कर सकते थे। अंत में पुलिस के दबाव से ग्राम प्रधान ने एक जे.सी.बी. मशीन लगा कर खाई ख्ुादवाने का काम शुरू किया। एक दिन काम होकर रुक गया। आज तक गौ-आश्रय स्थल का काम अपूर्ण है और वहां कोई पशु रखा ही नहीं गया।

ग्राम सभा पिपरी नारायाणपुर, विकास खण्ड भरावन, तहसील सण्डीला, जिला हरदोई

16-17 अगस्त को राम किशोर सिंह ग्राम सभा में गौ-आश्रय स्थल निर्माण को लेकर अनशन पर बैठै। खण्ड विकास अधिकारी, नायब तहसीलदार, ग्राम पंयाचत अधिकारी मौके पर आए, उप-जिलाधिकारी से 25 अगस्त को सण्डीला में वार्ता हुई किंतु आज तक काम नहीं शुरू हुआ। ग्राम पंचायत अधिकारी ने अपनी आख्या में लिख दिया था कि गांव से सारे पशु भटपुर गौ-आश्रय स्थल भेजे जा चुके हैं।

कान्हा गौशाला, सण्डीला, तहसील मुख्यालय, जिला हरदोई

निरीक्षण की तिथिः 25 अगस्त, 2023

335 गोवंश मौजूद थे। यहां नौ कर्मचारी काम करते हें। सिर्फ सूखा चारा खिलाया जा रहा था। गोवंश इतने कमजोर हैं कि मरणासन्न अवस्था वे में अपने आखों की कौवों के हमले से रक्षा भी नहीं कर सकते। गोवंश के मरने के बाद उन्हें वहीं परिसर में अथवा सामने परिसर के बाहर जमीन में गाड़ दिया जाता है। अभी तक तीन सालों में अनुमान है कि प्रत्येक माह औसत 10-12 गोवंश तो असामयिक मौत का शिकार होते हैं। वहां जमीन पर पड़े तीन गोवंश पीड़ादायक मौत की कहानी बयां कर रहे थे। यह गौशाला तो सरकार द्वारा वित्तपोषित है फिर भी इसकी स्थिति दयनीय है। यदि कान्हा गौशाला की यह स्थिति है तो ग्राम प्रधानों से कैसे अपेक्षा की जाती है कि बिना संसाधन के वे गौ-आश्रय स्थल अच्छी तरह संचालित कर लेंगे?


कान्हा गौशाला में मरणासन्न व घावग्रस्त दो पशु जो कौवों के हमले का भी शिकार हैं

ग्राम लालामऊ, ग्राम पंचायत लालामऊ मवई, विकास खण्ड भरावन, तहसील सण्डीला, जिला हरदोई

निरीक्षण की तिथिः 25 अगस्त, 2023

2 एकड़ पर रु. 1.20 लाख से बने 100 की क्षमता वाले गौ-आश्रय स्थल में 95 गोवंश हैं। यहां के ग्राम प्रधान राम प्रकाश ने समझदारी से काम लेते हुए किसानों से चारा खरीदकर कमी पूरी की और 6 एकड़ पशुचर भूमि पर हरा चारा बोया है। रु. 35,000 इन्होंने सिर्फ चारा ढोकर लाने में खर्च किया। राम प्रकाश केन्द्रीकृत चारा आपूर्ति व्यवस्था के खिलाफ हैं। यह एकमात्र गौ-आश्रय स्थल हमने देखा जहां सूखे चारे के साथ हरा चारा भी दिया जाता है। इसलिए गोवंश का स्वास्थ्य शेष गौ-आश्रय स्थलों व गौशालों से बेहतर दिखाई पड़ा। ग्राम प्रधान ने तीन कर्मचारी रखें हैं जिन्हें रु. 6,000 प्रति माह पंचायत से मिलता है और रु. 1,000 ग्राम प्रधान अपनी तरफ से देते हैं। क्षेत्र पंचायत प्रमुख से टिन शेड व पानी की टंकी लगवाई किंतु तार लगवाने के पैसे का राज्य वित से भुगतान नहीं हुआ है। एक टिन शेड की आवश्यकता और है। अभी तक 2-4 गोवंश मरे होंगे।

ग्राम पंचायत ढिकुन्नी, विकास खण्ड भरावन, तहसील सण्डीला, जिला हरदोई

निरीक्षण की तिथिः 30 अगस्त, 2023

प्रभारी सालिक राम मिले। पंजीकृत 48 की जगह 41 गोवंश ही मिले। खाने के लिए सूखा भूसा दिया जाता है। पीने के पानी की टंकी गंदी पाई गई। एक मरणासन्न बीमार पशु जमीन पर प़ड़ा हुआ मिला जो कौवों द्वारा अपने घावों पर किए जा रहे हमलों से अपने आप को बचा पाने में अक्षम था।

30 अगस्त को ढिकुन्नी में मरणासन्न पशु

ग्राम पंचायत अतरौली, विकास खण्ड भरावन, तहसील सण्डीला, जिला हरदोई

निरीक्षण की तिथिः 30 अगस्त, 2023

प्रभारी राजू मिले। पंजीकृत 92 गोवंश की जगह मौके पर 80 मिले। यहां पीने के पानी की व्यवस्था ठीक है। चारा काटने के लिए बिजली से चलने वाली मशीन लगी है और जनरेटर की भी व्यवस्था है लेकिन यहां भी सूखा चारा ही खिलाया जा रहा है। शेष गौ-आश्रय स्थलों से यहां व्यवस्था कुछ बेहतर नजर आई।

ग्राम पंचायत भटपुर, विकास खण्ड भरावन, तहसील सण्डीला, जिला हरदोई

निरीक्षण की तिथिः 30 अगस्त, 2023

प्रभारी सुंदर ने गौ-आश्रय स्थल में प्रवेश नहीं करने दिया। आस-पास के ग्रामीणों से बातचीत कर जानकारी प्राप्त की गई। बताया गया कि यहां 55 गोवंश हैं। छाए की उचित व्यवस्था नहीं है। खाने के लिए सड़ा हुआ भूसा खिलाया जा रहा है। एक पशु मरणासन्न या मरा हुआ पड़ा था।

ग्राम पंचायत सईयापुर, विकास खण्ड भरावन, तहसील सण्डीला, जिला हरदोई

निरीक्षण की तिथिः 30 अगस्त, 2023

मौके पर 55 गोवंश मिले। सड़ा हुआ भूसा खिलाया जा रहा है। सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है।

ग्राम पंचायत जगसरा, विकास खण्ड भरावन, तहसील सण्डीला, जिला हरदोई

निरीक्षण की तिथिः 30 अगस्त, 2023

पंजीकृत 50 की जगह मौके पर 30 गोवंश ही मिले। सड़ा हुआ भूसा खिलाया जा रहा है। सफाई व बिजली को कोई व्यवस्था नहीं है। एक पशु बीमार पाया गया।

ग्राम पंचायत हाजीपुर, विकास खण्ड भरावन, तहसील सण्डीला, जिला हरदोई

निरीक्षण की तिथिः 30 अगस्त, 2023

गौ-आश्रय स्थल बंद पड़ा है, एक भी पशु नहीं है।

ग्राम पंचायत उमर ताली, विकास खण्ड एवं तहसील सण्डीला, जिला हरदोई

निरीक्षण की तिथिः 30 अगस्त, 2023

पंजीकृत 56 की जगह मौके पर 27 गोवंश ही मिले। खाने के लिए सिर्फ सूखा भूसा ही दिया जा रहा है। पीने के पानी व सफाई की व्यवस्था ठीक नहीं।

निष्कर्षः (1) बिना गौ-आश्रय स्थलों के लिए धन आवंटित किए सिर्फ राज्य वित्त व मनरेगा से गुणवत्तापूर्ण गौ-आश्रय स्थल नहीं संचालित किए जा सकते। यह अनुचित है कि ग्राम प्रधानों से अपेक्षा की जाती है कि वे बिना किसी अग्रिम राशि के अपने पास से भूसा, आदि की व्यवस्था करें।

(2) खुले घूम रहे गोवंश की तुलना गौ-आश्रय स्थलों पर रह रहे गोवंश से की जाए तो बाहर वालों का स्वास्थ्य अपेक्षाकृत अच्छा है। गौ-आश्रय स्थलों पर तो बीमार गोवंश कौवों के हमलों से भी अपनी रक्षा नहीं कर पा रहे। दूसरी तरफ बाहर घूम रही गाय सियार से अपने नवजात शिशु की रक्षा नहीं कर पातीं।

(3) ग्राम पंचायत लालामऊ मवई को छोड़ अन्य कहीं पर भी हरा चारा नहीं खिलाया जा रहा। पीने के पानी, छाए, सफाई, चिकित्सा, आदि की समुचित व्यवस्था कहीं नहीं है। गौ-आश्रय स्थलों के संचालन में सभी स्तरों पर लापरवाही दिखाई जा रही है। अधिकारी एवं जन-प्रतिनिधि इसको एक कठिन समस्या के रूप में देखते हैं और बहुत मजबूरी में गौ-आश्रय स्थल या गौशालाएं बनवाते हैं।

(4) गौ-हत्या रोकने का उद्देश्य असफल रहा है। गौ-’आश्रय स्थल या गौशाला में भूख से मर रही हैं या कौवे घायल कर मरणासन्न कर दे रहे हैं, बीमार पशु का कोई इलाज नहीं है (पशु चिकित्साधिकारी यह कह कर पल्ला झा़ड़ लेते हैं कि भूख का कोई इलाज नहीं है), सड़क पर दुघर्टना से मर रही हैं, जंगल में नवजात शिशु सियार उठा ले जा रहे हैं।

सुझावः

(1) गौ-आश्रय स्थलों के निर्माण एवं रख-रखाव के लिए धन आवंटित किया जाए। गौशालाओं के बेहतर प्रबंधन की आवश्यकता है।

(2) पशुचर की जमीन पर मनरेगा के माध्यम से हरा चारा उगवाया जाए।

(3) गौ-आश्रय स्थल जनता के लिए खुले रहें। यदि वास्तविकता को छुपाया जाएगा तो स्थिति बदतर ही होगी।

(4) बीमार पशुओं को पशु चिकित्सालय स्थानांतरित किया जाना चाहिए । वहीं उनका बेहतर इलाज हो सकता है। गौ-आश्रय स्थलों की देख-रेख में लगे कर्मचारियों से अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वे बीमार या भूखे पशु की जान बचाने का भी काम करें।

(5) चारे का पैसा अग्रिम दिया जाए। केन्द्रीकृत खरीद की व्यवस्था की जगह ग्राम प्रधानों को अपने तरीके से भूसे व हरे चारे के प्रबंधन की छूट दी जाए।

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