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शायर मुनव्वर राना की मुश्किलें बढ़ीं, हाई कोर्ट का FIR खारिज करने के साथ गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इन्कार
हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ से रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि की तुलना तालिबान से करने के मामले में अरोपी शायर मुनव्वर राना को राहत नहीं मिली। कोर्ट ने अपराधिक केस में उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। साथ ही मामले में दर्ज प्राथमिकी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने बृहस्पतिवार को यह आदेश राना की याचिका पर दिया। इसमें याची ने मामले में यहां हजरतगंज थाने में दर्ज कराई गई एफआईआर को रद्द किए जाने का आग्रह किया था। साथ ही मामले में खुद की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की गुजारिश कोर्ट से की थी।
हजरतगंज कोतवाली के प्रभारी श्याम शुक्ला ने बताया कि वाल्मीकि समाज के नेता पीएल भारती की शिकायत पर शायर के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। पीएल भारती का आरोप है कि मुनव्वर ने तालिबान की तुलना महर्षि से करके देश के करोड़ों दलितों को ठेस पहुंचाई है। उनका अपमान किया है। हिंदुओं की आस्था को भी चोट पहुंचाई है।पीएल भारती के साथ-साथ आंबेडकर महासभा के महामंत्री अमरनाथ प्रजापति ने भी मुनव्वर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराते हुए कार्रवाई की मांग की थी।
मुनव्वर राना ने बीते दिनों अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे पर कहा था कि तालिबानी उतने ही आतंकी हैं, जितने रामायण लिखने वाले वाल्मीकि हैं। अगर वाल्मीकि रामायण लिखते हैं तो वे देवता हो जाते हैं, उससे पहले वह डाकू थे। आदमी का किरदार बदलता रहता है। इससे पहले भी उन्होंने कहा था कि यूपी में भी तालिबान जैसा काम हो रहा है। यूपी में भी थोड़े-बहुत तालिबानी हैं। यहां सिर्फ मुसलमान ही नहीं बल्कि हिंदू तालिबानी भी होते हैं। यूपी में तालिबान जैसा काम हो रहा है।
याची की तरफ से कहा गया कि प्राथमिकी से उसके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है। ऐसे में यह रद्द करने लायक है। उधर, याचिका का विरोध करते हुए अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम शिवनाथ तिलहरी का कहना था कि एफआईआर से याची के खिलाफ गंभीर मामला बनता है। जिसमें अभी तफ्तीश के स्तर पर वह राहत दिए जाने योग्य नहीं है और याचिका खारिज किए जाने लायक है। तिलहरी के मुताबिक कोर्ट ने प्राथमिकी रद्द करने व राना की गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इनकार कर याचिका खारिज कर दी।