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मुफ्त में चुनाव ड्यूटी किए अनुदेशक, नहीं मिला कोई पारिश्रमिक
लोकसभा चुनाव चल रहा है। लोकतंत्र के इस महापर्व में लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा भी ले रहे हैं। चुनाव सकुशल और शुचितापूर्ण संपन्न हो इसके लिए कर्मचारियों की ड्यूटी भी लगाई गई है। सरकार द्वारा कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने पर शासन द्वारा जिला प्रशासन को बड़ी मात्रा में धन आवंटित किया जाता है। जिसे कर्मचारियों को ड्यूटी के फलस्वरूप दिया जाता है। लेकिन इन्हीं कर्मचारियों में एक वर्ग ऐसा भी है जिसको ड्यूटी के बदले सरकार कोई पारिश्रमिक नहीं देती है।
अनुदेशकों को नहीं मिला पारिश्रमिक
बेसिक शिक्षा विभाग के जूनियर हाईस्कूल में पढ़ाने वाले अनुदेशक वैसे ही शोषण के शिकार हैं। समय से उनको मानदेय नहीं मिलता है। मानदेय भी इतना कम है। जिसको बताया नहीं जा सकता। अनुदेशकों का मानदेय केवल 9000 है। ऐसे में अगर उनसे चुनाव संबंधी कोई कार्य लिया जाए और बदले में उन्हें कोई पारिश्रमिक नहीं दिया जाए तो। यह उनको साथ कितना बड़ा अन्याय है। लेकिन सरकार ने यह अन्याय किया है। सिद्धार्थनगर के अनुदेशकों की इस भीषण गर्मी में चुनाव ड्यूटी लगाई गई और बदले में उन्हें कोई पारिश्रमिक भी जिला प्रशासन की तरफ से नहीं दिया गया। अधिकारियों से पूछने पर उन्होंने कहा कि, यह लोकतंत्र का महापर्व है। इसमें अपलोग निःशुल्क अपना योगदान दीजिए।
गर्मी से बेहाल हुए अनुदेशक
इस भीषण गर्मी में 38 से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच ड्यूटी करना अनुदेशकों को अखर गया। अनुदेशकों का कहना है कि, एक तो सरकार इस भीषण गर्मी में बिना पंखा और बिना किसी व्यवस्था के ड्यूटी करा रही है और उपर से कुछ पारिश्रमिक भी नहीं दे रही है। यह कहां तक जायज है।