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अनुदेशकों को नहीं मिला दिसंबर माह का मानदेय, अनुदेशकों में बढ़ा रोष
अनुदेशकों के बुरे दिन खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। सरकारी तंत्र से आजिज आ चुका अनुदेशक अब किससे गुहार लगाए। उसके समझ में नहीं आ रहा। नियमितीकरण तो बहुत दूर की बात है। अनुदेशकों को समय से मानदेय तक नहीं दिया जाता है। कभी महीने की 15 तारीख को तो कभी 25 तारीख को तो कभी पूरा महीना ही बीत जाता है, लेकिन अनुदेशकों को मानदेय नहीं मिलता। ऐसे में अनुदेशक क्या करे। यह समझ से परे है।
सुविधाओं के नाम पर अनुदेशकों का होता है शोषण
कहने को तो बेसिक शिक्षा विभाग के अध्यापकों को कई सुविधाएं मिली हैं। जैसे, 14 CL की सुविधा, CCL की सुविधा, मेडिकल की सुविधा आदि। लेकिन यह केवल बेसिक शिक्षा विभाग के नियमित अध्यापकों को ही मिली हैं। उसी विभाग में कार्यरत अनुदेशकों और शिक्षामित्रों को नहीं। ऐसा भेदभाव सरकार क्यों करती है। यह भी बात समझ से परे है।
मानदेय नहीं मिलने से अनुदेशकों में रोष बढ़ा
समय से मानदेय नहीं मिलने से अनुदेशकों में रोष बढ़ गया है। बेचारे अनुदेशक कहते हैं कि, हम अपनी करुण पुकार किससे कहें। हमें समझ में नहीं आ रहा है। हमारी स्थिति जल की उस मछली की तरह है, जिसे पानी से निकाल दिया जाता है।