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लगातार जीतने वाली सीमा द्विवेदी बीजेपी की सुनामी हारी थी चुनाव, लेकिन इंतजार का फल मीठा पार्टी ने राज्यसभा भेजा
भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश से खाली हुई दस राज्यसभा सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी। इनमें कई ऐसे नाम सामने आये है जिन्हें उनकी मेहनत के बल पर पार्टी ने उच्च सदन में भेजा है। ऐसा ही नाम सीमा द्विवेदी है जिन्हें पार्टी ने अभी यूपी से राज्यसभा उम्मीदवार घोषित किया है।
सीमा द्विवेदी ने जिला पंचायत सदस्य के रूप में राजनीतिक करियर की शुरुआत की। वह 1995 में जिला पंचायत सदस्य बनीं। इसके बाद 1996 और 2002 में गड़वारा विधानसभा सीट से विधायक चुनी गईं। वर्ष 2009 में वह जौनपुर सदर लोकसभा सीट से भाजपा की उम्मीदवार रहीं, लेकिन सफलता नहीं मिली।
वर्ष 2012 में नए परिसीमन में गड़वारा विधानसभा समाप्त होने के बाद वह नवसृजित मुंगराबादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र से पहली विधायक चुनी गईं। 2017 के विधानसभा के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। सीमा द्विवेदी का मायका जौनपुर केे सिकरारा ब्लॉक के भोईला गांव में हैं।
उनके पिता स्वर्गीय मातासेवक उपाध्याय भाजपा के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। पति डॉक्टर अरुण द्विवेदी बीएचयू में प्रोफेसर हैं। फ़ोन पर बातचीत में सीमा द्विवेदी ने बताया कि वह मंगलवार को राज्यसभा के लिए नामांकन करेंगी।
"इंतजार का फल मीठा होता है"
जब भाजपा की सत्ता नहीं थी, तब वह जौनपुर की गढ़वारा/ मुंगराबादशाहर सीट से विधायक होती रहीं। 1996 से 2012 के बीच तीन बार विधायक बनीं। जब 2017 में भाजपा की लहर नहीं, सुनामी चली, जिन्हें नहीं जीतना था, वो भी जीते, तब वह विधानसभा चुनाव हार गईं।
संघर्षशील छवि वालीं सीमा निराश नहीं हुईं। महिला मोर्चा में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी के साथ संगठन के लिए काम कीं। आज, जब यूपी से राज्यसभा भेजने की बारी आई तो संगठन ने उन्हीं सीमा द्विवेदी को याद किया। सीमा द्विवेदी को टिकट मिलने से दो बातें साबित हुईं- संगठन में शक्ति होती है और इंतजार का फल मीठा होता है। बहरहाल, सीमा जी को बधाई।