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BSP के पूर्व सांसद उमाकांत यादव को उम्रकैद, मायावती ने अपने घर से कराया था गिरफ्तार, जानें- क्या था मामला
जौनपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने जीआरपी सिपाही हत्याकांड के मामले में पूर्व सांसद उमाकांत यादव समेत 7 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास और 10 साल की कठोर सजा सुनाई है. इसके साथ 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. जुर्माने की आधी धनराशि पीड़ित पक्ष को देने का आदेश भी कोर्ट ने दिया है.
कोर्ट के फैसले के समय उमाकांत यादव के बड़े भाई रमाकांत यादव भी मौजूद रहे. सजा मिलने की खबर मिलते ही सांसद के समर्थकों में मायूसी छा गई. करीब 27 साल चले इस हत्याकांड के मुकदमें में कोर्ट ने शनिवार (6 अगस्त) को सभी आरोपियों को दोषी पाया था.
ये था मामला
साल 1995 को 4 फरवरी को हुए जीआरपी सिपाही हत्याकांड को लेकर बसपा के पूर्व सांसद उमाकांत यादव समेत सात आरोपी दोषी करार हुए हैं. इस हत्याकांड में पूर्व सांसद उमाकांत यादव समेत सात लोग आरोपी बनाए गए थे. अब सभी आरोपियों को अपर सत्र न्यायाधीश ने दोषी करार ठहराया है और इनके सजा के प्रश्न पर सोमवार को सुनवाई होगी.
बता दें कि पूर्व सांसद उमाकांत यादव का ड्राइवर किसी रिश्तेदार को ट्रेन तक पहुंचाने गया था. इसी दौरान जीआरपी के सिपाही से उसकी अनबन हो गई. इस बात पर जीआरपी के सिपाही ने उमाकांत के ड्राइवर को थाने में बैठा लिया और यह बात जब उमाकांत यादव को पता चली तो वे दल बल के साथ शाहगंज जंक्शन पहुंच गए.
सात लोगों ने की ताबड़तोड़ फायरिंग
इस दौरान शाहगंज जंक्शन पर विवाद काफी बढ़ गया. फिर उमाकांत यादव सहित सात लोगों ने वहां ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी, इस फायरिंग में एक सिपाही अजय सिंह की मौत हो गई. इसके अलावा कई लोग घायल भी हो गए, इस हत्याकांड के समय उमाकांत यादव खुटहन से बसपा विधायक थे. बता दें कि सभी आरोपियों को सजा के प्रश्न पर सोमवार को सुनवाई होगी.
मायावती ने घर से कराया था गिरफ्तार
2007 में उमाकांत पर आजमगढ़ में जबरन एक घर गिरवाने का आरोप लगा था। मामले में वो फरार चल रहे थे। बताया जाता है किमायावती ने उन्हें लखनऊ में अपने घर बुलवाया था। इस दौरान बाहर खड़ी पुलिस बुलाकर उमाकांत को गिरफ्तार कराया था। तब उमाकांत लंबे समय तक जेल में रहे। मुख्यमंत्री रहते मायावती के इस फैसले से सब हैरान रह गए थे।
इसके बाद साल 2007-08 में जेल में रहते हुए उमाकांत यादव पर जौनपुर में गीता नाम की महिला की जमीन फर्जी तरीके से रजिस्ट्री कराने का आरोप लगा था। गीता की याचिका पर जौनपुर दीवानी न्यायालय ने उन्हें सात साल की सजा सुनाई। विधानसभा 2012 के चुनाव में मल्हनी विधान सभा से निर्दल प्रत्याशी के रूप में पर्चा भरा था लेकिन,चुनाव आयोग ने सत्यापन किया तो उनके द्वारा भरे शपथ पत्र में खामियों के चलते निरस्त कर दिया था.