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- दलों की हालत खस्ता...
जौनपुर। देश में लोकतंत्र है इस लोकतंत्र में सबको अधिकार है चुनाव लड़ने का लेकिन क्या यह अधिकार है कि जनता को गुमराह कर उसे धोखे में रखा जाये नहीं। लेकिन देश के अंदर 17वीं लोकसभा के लिए हो रहे इस चुनाव में जौनपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे एक निर्दल प्रत्याशी जो खुद को समाज सेवी होने का दावा करते हैं। मैं जानना चाहता हूं कि आज तक उन्होंने जिले के किस समाज की सेवा किया है।
जी हां मैं बात कर रहा हूं निर्दल प्रत्याशी अशोक कुमार सिंह की ये जब जनपद की सरजमीं पर कदम रखे इनकी मंशा थी सांसद बनने की। बसपा का झंडा लेकर अपने प्रचार में जुटे रहे। पैसा बांट कर अपना प्रचार करते रहे लेकिन इनसे समाज के किसी वर्ग से कोई खास लगाव नहीं रहा। मीडिया के चहेते बने रहे वह भी अपने आर्थिक शक्ति के बल पर। चुनाव में बसपा ने घास नहीं डाला तो कथित समाज सेवी नेता जी कांग्रेस का दामन पकड़ लिये वहां भी दाल नहीं गली तो महज 24 घंटे बाद मोह भंग करते हुए निर्दल प्रत्याशी बन कर सांसद बनने का सपना संजोए बैठे हुए हैं। और जीत का दावा कर रहे है।
यहां पर नेता जी वही मुहावरा चरितार्थ कर रहे है बड़े- बड़े बहे जाये, .........कहे कितना पानी है।यानी दलों के टिकट पर चुनाव लड़ने वालों को पसीना आ रहा है ये निर्दल सांसद बनने का सपना देख रहे है। हां कुछ मत जरूर हथिया लेंगे लेकिन जो स्थिति नजर आ रही है जमानत सायद बच जाये तो बड़ी बात होगी। एक मुहावरा है छान छुन पार्टी चुनाव चिन्ह बोतल, तो नेता जी को चुनाव चिन्ह भी कुछ ऐसा ही मिला है।