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- जौनपुर की घटना पर...
जौनपुर की घटना पर सेकुलेरिज्म के झंडाबरदार और दलित चिंतक खामोश क्यों ?
उत्तर प्रदेश के जौनपुर में 9 जून को दलितों की बस्ती को 500 लोगों की हमलावर भीड़ ने जला दिया। दलितों के घरों में पहले तोड़फोड़ की गई और फिर बस्ती को आग लगा दी गई। इससे दलितों के मवेशी भी मारे गए। इस तरह बेघर होने साथ-साथ उनके समक्ष आजीविका का भी संकट खड़ा हो गया।
सवाल उठता है कि जौनपुर की घटना पर सेकुलेरिज्म के झंडाबरदार और दलित चिंतक चुप क्यों हैं? इस मामले में मुख्य आरोपी जावेद सिद्दिकी समाजवादी पार्टी से जुड़े हैं। सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव पिछले विधानसभा चुनावों में उन्हें जौनपुर सदर सीट से उतारना चाहते थे लेकिन बाद में यह सीट उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के लिए छोड़ दी। इन चुनावों में सपा और बसपा के बीच गठबंधन था।
हिंदूवादी संगठनों की भूमिक होती, हंगामा बरपा देते
अगर इस घटना में किसी हिन्दूवादी संगठन की भूमिका होती तो सेकुलेरिज्म और सहिष्णुता के झंडाबरदारों ने अब तक हंगामा खड़ा कर दिया होता। लेकिन जौनपुर की घटना पर उन्होंने चुप्पी साध रखी है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, अखिलेश यादव, माकपा नेता सीताराम येचुरी, हैदराबाद के मुस्लिम नेता असदुद्दीन ओवेसी, जिग्नेश मेवाणी, उमर अब्दुल्ला, भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद, दलित नेता प्रकाश अंबेडकर, दिलीप मंडल और चंद्रभान प्रसाद ने इस घटना पर कोई बयान नहीं दिया है।
भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद ने सीएए के खिलाफ जामा मस्जिद और जामिया जाकर प्रदर्शनकारियों का साथ दिया था लेकिन जौनपुर की घटना पर वह चुप हैं। इसी तरह प्रियंका गांधी ने सोनभद्र में 10 आदिवासियों की हत्या पर 26 घंटे का धरना दिया था लेकिन इस बार उनकी तरफ से कोई बयान नहीं आया। हर घटना के लिए मोदी सरकार को कोसने वाले विपक्षी नेताओं ने भी इस पर चुप्पी साध रखी है।
उत्तर प्रदेश सरकार की कार्रवाई
इस मामले में मामले में पुलिस ने 58 नामजद और 100 अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। गुरुवार को पुलिस ने इस मामले में समाजवादी पार्टी (एसपी) के नेता जावेद सिद्दीकी सहित 35 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना पर नाराजगी जताते हुए दलितों का घर जलाने के सभी आरोपियों के खिलाफ तत्काल एनएसए के तहत मुकदमा दर्ज करने के साथ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए। इस प्रकरण में बरती गई लापरवाही पर गंभीर रुख अपनाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एसएचओ के खिलाफ तत्काल विभागीय कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। सीएम के निर्देश के चंद मिनट बाद ही एसएचओ संजीव मिश्रा को लाइनहाजिर कर दिया गया।