कानपुर

Kanpur Dehat News: हिरासत में बलवंत को 4 घंटे तक लाठी-डंडों से पीटा,पुलिस 3 अस्पताल लेकर गई; डॉक्टर की ड्यूटी तक बदली

Shiv Kumar Mishra
16 Dec 2022 2:28 PM GMT
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लाठी डंडों से बुरी तरह पीटा गया। इस पिटाई से बलवंत की मौत हो गई, जिसे पुलिस हार्ट अटैक साबित करने में लगी रही।

Kanpur Dehat News, Kanpur Dehat Breaking News, Kanpur Dehat Police, Kanpur Dehat Police News: कानपुर देहात में पुलिस कस्टडी में हुई युवा कारोबारी की बलवंत की हत्या में बर्बरता की सारी हदें पार हुई हैं। पुलिस सूत्रों ने बताया कि रनियां थाने में चार घंटे तक थर्ड डिग्री दी गई। लाठी डंडों से बुरी तरह पीटा गया। इस पिटाई से बलवंत की मौत हो गई, जिसे पुलिस हार्ट अटैक साबित करने में लगी रही।

थर्ड डिग्री के बाद आरोपी पुलिसवाले बलवंत को लेकर तीन अस्पताल गए। सबने हाथ खड़े कर दिए। यहां तक की जिला अस्पताल में डॉक्टर की ड्यूटी भी बदली गई। यह चौंकाने वाले तथ्य परिवार के आरोपों की पड़ताल करने पर सामने आए। पत्रकारों की टीम ने रनिया थाने से लेकर जिला अस्पताल तक हर बिंदु को इन्वेस्टिगेट किया।

कानपुर देहात के शिवली थाने के अंतर्गत सरैया गांव में 6 दिसंबर को चंद्रभान सिंह नाम के कारोबारी से लूट हुई थी। वह दुकान बंद करके लौट रहे थे तभी पीछे से आए एक बाइक सवार बदमाशों ने ढाई लाख रुपए का सामान लूट लिया था। पुलिस इसी मामले की जांच कर रही थी।

इसी बीच, केस की जांच के संबंध में पुलिस ने 12 दिसंबर सोमवार को 5 अलग अलग लोगों को उठाया। उन्हीं में से एक चंद्रभान का भतीजा बलवंत भी था। चंद्रभान का आरोप है कि मेरे साथ हुई लूट का फर्जी खुलासा करने के लिए पुलिस ने बलवंत को उठाया। बलवंत हमारे रिश्ते के लड़के गुड्‌डू के साथ रनियां मिल से अपने लोडर में चोकर लेकर आ रहा था।

गुड्‌डू ने ही हमें जानकारी दी कि पुलिस वाले जिनमें शिवली थानाध्यक्ष राजेश कुमार सिंह, ज्ञान प्रकाश, मैथा चौकी इंचार्ज और प्रशांत गौतम एसओजी इंचार्ज और इनके साथ एसओजी की टीम भी शामिल थी। यह लोग बलवंत को रनियां थाने में ले गए। समय करीब 4 बजे से साढ़े 4 बजे का रहा होगा।

गुड्‌डू की सूचना पर जब परिजन रनियां थाने पहुंचे तो किसी को भी पुलिस वालों ने बलवंत से नहीं मिलने दिया। चंद्रभान जिनके केस में बलवंत को उठाया था। वह भी चिल्लाते रहे कि मेरा भतीजा निर्दोष है उसे छोड़ दो लेकिन किसी ने उनकी न सुनी। परिजनों का तो आरोप है कि थाने के अंदर आरोपी पुलिसकर्मी बलवंत को बुरी तरह पीट रहे थे। बार बार बलवंत के बारे में पूछने के बाद परिजनों को रनियां थाने से तकरीबन 12 किमी दूर मैथा चौकी जाने को बोल दिया गया। परिजनों के अनुसार वह मैथा चौकी शाम 7.20 पर पहुंचे।

काफी देर रुकने के बावजूद जब पुलिस वाले नहीं आए तो परिजनों ने इस दौरान रनियां थाने से फोन से कांटैक्ट करने की कोशिश की। लेकिन बलवंत के बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिली। तकरीबन रात 8.30 बजे परिजन मैथा चौकी से शिवली थाने गए जोकि वहां से लगभग 12 किमी होगा। यहां फिर भी पुख्ता जानकारी नहीं मिली। बस यही बताया गया कि उससे पूछताछ की जा रही है। यहां पर भी चंद्रपाल ने अपने भतीजे को लेकर पुलिस वालों से कहा कि वह निर्दोष है। लेकिन पुलिसवालों ने अनसुना कर दिया। इसके बावजूद रात लगभग 12 से 12.30 बजे तक परिजन थाने पर बने रहे।

शिवली थाने पर जब परिजन पुलिसवालों का वेट कर रहे थे तभी किसी का फोन आया और पता चला कि बलवंत को पुलिस वाले गंभीर हालत में जिला अस्पताल लेकर गए हैं। परिजनों का मन किसी आशंका से डर गया। शिवली से जिला अस्पताल लगभग 40 किमी दूर था। रात में कोहरा बढ़ चुका था। सभी जिला अस्पताल की ओर भागे। लगभग पौने दो से दो के बीच सभी जिला अस्पताल पहुंचे। वहां भी वह पूछते रहे लेकिन कोई बताने वाला नहीं था। किसी तरह से उन्हें पता चला कि बलवंत नाम का मरीज आया था। उसकी मौत हो गई थी। उसे पुलिस वाले पोस्टमार्टम हाउस ले गए हैं।

सूत्रों के मुताबिक, पुलिस वालों ने जब बलवंत को उठाया तो लूट के खुलासे के लिए उसे बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया। लगभग चार घंटे तक उसकी पिटाई की गई। रात 8 से साढ़े 8 बजे की बीच बलवंत मरणासन्न हो गया। सूत्र यहां तक दावा करते हैं कि उसकी तब तक मौत हो चुकी थी। घबराए आरोपी पुलिसवाले सबसे पहले बलवंत को मैथा पीएचसी लेकर पहुंचे।

सूत्रों ने बताया कि यहां तैनात डॉक्टर ने बलवंत को देखते ही मृत घोषित कर दिया और पुलिस के दबाव में न आकर उसे भर्ती करने से इंकार कर दिया। यहां से फेवर न मिलने के बाद पुलिस वाले कानपुर देहात के नवीपुर स्थित एक निजी अस्पताल भी बलवंत को लेकर पहुंचे थे। वहां भी डॉक्टरों ने मृत बलवंत को भर्ती करने से इनकार कर दिया और फिर पुलिस टीम जिला अस्पताल लाई थी।

जिस समय परिजन रनियां थाने से लेकर मैथा और फिर शिवली थाने पर बलवंत के लिए चक्कर काट रहे थे। उसी समय बलवंत की मौत को स्वाभाविक मौत बनाने के लिए पुलिस वाले अस्पतालों के चक्कर काट रही थी। जब दो अस्पतालों से वापस होने के बाद वह जिला अस्पताल पहुंचे तो वहां उनकी मुलाकात इमरजेंसी में तैनात डॉ. निशांत पाठक से हुई।

सूत्र बताते हैं कि मामला देख डॉ. निशांत पाठक ने बलवंत को भर्ती करने से मना कर दिया। लेकिन किसी अन्य दबाव के चलते आकस्मिक ड्यूटी पर तैनात डॉ. निशांत पाठक ने थोड़ी देर के बाद बीमार होने का प्रार्थना पत्र दिया और उस पर सीएमएस की ओर से अल्पकालिक अवकाश भी स्वीकृत कर दिया गया।

इसके बाद आकस्मिक ड्यूटी पर दूसरे डॉक्टर को लगाया गया और दूसरे डॉक्टर ने बलवंत को भर्ती कर प्राथमिक उपचार करना शुरू कर दिया और थोड़ी देर के बाद बलवंत को जिला अस्पताल कानपुर देहात से कानपुर नगर के हैलट रेफर करने का पर्चा भी बना दिया। पर्चा बनने के कुछ ही देर के बाद ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने बलवंत को मृत घोषित कर दिया।

सूत्र बताते हैं कि यह सबकुछ सोमवार रात 12:00 बजे तक चला और थोड़ी देर के बाद इमरजेंसी ड्यूटी पर आए डॉ. पवन ने मीडिया को बयान जारी करते हुए बताया कि पुलिस टीम के द्वारा एक युवक को लाया गया था उसके सीने में बहुत दर्द था। उसकी स्थिति ठीक नहीं थी। जिसके चलते उसे हैलट रेफर किया गया था लेकिन हैलट जाने से पहले ही उसकी मृत्यु हो गई। युवक को पुलिस टीम लेकर आई थी उस समय युवक के साथ उसके घर का कोई भी व्यक्ति मौजूद नहीं था।

वहीं, देर रात अचानक बीमार हुए डॉक्टर निशांत ठीक होकर 13 दिसंबर की सुबह ड्यूटी पर भी पहुंच गए। अस्पताल के सूत्र बताते हैं कि उस रात जिला अस्पताल पर अधिकारियों का बड़ा दबाव था पर किसका था यह अभी भी पहेली बना हुआ है।

जिला अस्पताल में इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर निशांत पाठक के अचानक बीमार होने के बाद उनकी जगह पर इमरजेंसी ड्यूटी पर पहुंचे डॉक्टर पवन बुधवार को पूरे दिन जिला अस्पताल में मौजूद रहे और ड्यूटी करते रहे लेकिन पुलिस पर मुकदमा दर्ज होने के बाद डॉक्टर पर भी संदिग्धता का आरोप लगा। इसकी जानकारी होने के बाद से डॉ पवन भी अचानक बीमार हो गए और उन्होंने व्हाट्सएप के माध्यम से सीएमएस को छुट्टी का प्रार्थना पत्र भी भेजा दिया। गुरूवार को भी डॉ पवन ड्यूटी पर नहीं आए।

कानपुर देहात के सीएमएस मनोज कुमार निगम ने बताया कि 12 दिसंबर की रात के 9:00 बजे के आसपास डॉक्टर निशांत पाठक का फोन आया कि सर मेरी तबीयत खराब हो गई है। मैं कुछ देर के लिए आराम करना चाहता हूं। जिसको लेकर मेरे द्वारा कहा गया कि अपने सीनियर ड्यूटी डॉक्टर अशोक से बात कर लो और जानकारी दे दो। लेकिन थोड़ी देर के बाद उन्होंने व्हाट्सएप पर छुट्ट्‌टी का प्रार्थना पत्र डाल दिया। जिसके बाद डॉक्टर निशांत पाठक की जगह डॉक्टर पवन ड्यूटी करने लगे।

इसके बाद जब मैं सुबह उठा तो मुझे बलवंत के पूरे घटनाक्रम की जानकारी हुई। मैंने तत्काल डॉक्टर पवन से बात की और जानकारी ली तो उनके द्वारा चेस्ट पेन की जानकारी दी गई थी और गंभीर स्थिति होने की भी बात बताई गई। लिखा पढ़ी के हिसाब से 11:15 पर बलवंत को लाया गया था। 20 मिनट के बाद रेफर का पेपर लगा दिया गया था। उन्होंने बताया कि लेटर में 11 तारीख क्यों लिखी गई है इसकी जांच कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि डॉक्टर निशांत पाठक दूसरे दिन ड्यूटी पर आए थे और वहीं डॉ पवन ने छुट्टी का प्रार्थना पत्र व्हाट्सएप पर डाला था जिसे मैंने स्वीकार नहीं किया है आज वह अस्वीकृत छुट्टी पर हैं।

परिजनों की मांग पर बलवंत का पोस्टमार्टम कानपुर देहात की जगह कानपुर नगर में कराया गया। वीडियोग्राफी के साथ 3 डॉक्टर्स के पैनल डॉ नवनीत चौधरी, डॉ दीपेंद्र उत्तम और डॉ देवेंद्र सिंह राजपूत ने शव का पोस्टमॉर्टम किया। शव को देखकर पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर भी सोच में पड़ गए। सूत्रों की मानें तो बलवंत की मौत हेड इंजरी के कारण हुई है। जबकि कानपुर देहात जिला अस्पताल में मौत का कारण हार्ट अटैक बताया गया है। ऐसे में पुलिस के साथ साथ कानपुर देहात जिला अस्पताल के डॉक्टर की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर किसके दबाव में मौत का कारण हार्ट अटैक बताया गया।

हालांकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बलवंत के शरीर पर इतने चोट के निशान थे कि गिनना मुश्किल हो गया। शरीर पर बस 26 गंभीर चोटों को ही गिना गया। पिटाई से पूरा शरीर नीला पड़ गया था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस बलवंत की दोनों कलाइयों में रस्सी से बांधकर पूछताछ कर रही थी। उसकी दोनों कलाइयों में रस्सी से बांधने से गंभीर घाव के निशान मिले हैं। रिपोर्ट के अनुसार बलवंत को इतना पीटा गया कि दर्द की वजह से वह कोमा में चला गया था। एक बड़ा सवाल यह भी है कि जिला अस्पताल में जो उसकी मौत का समय बताया गया। उससे लगभग एक से डेढ़ घंटे पहले उसकी मौत हो गई थी। ब्रेन में ब्लड क्लाटिंग की वजह से ही पोस्टमार्टम में ब्रेन डेड मौत की वजह बनी है।

पुलिस अधीक्षक कानपुर देहात सुनीति ने बताया कि पूरे मामले में 11 पुलिसकर्मियों को निलम्बित किया गया है। मामले में 5 पुलिसकर्मियों सहित दो अन्य के ऊपर मुकदमा दर्ज किया गया है। पूरे मामले की निष्पक्ष जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया गया है। जिलाधिकारी कानपुर देहात के द्वारा घटना के सम्बन्ध में मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिये गये है। जांच के दौरान जो भी तथ्य सामने आएंगे उन सभी बिंदुओं को मुकदमे में शामिल किया जाएगा और कठोर से कठोर कार्रवाई की जाएगी।

सुरेंद्र प्रताप सिंह

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