कानपुर

कानपुर शूटआउट : विकास दुबे के मददगारों की लंबी लिस्ट, सर्विलांस पर 200 से ज्यादा पुलिसवालों के मोबाइल

Arun Mishra
7 July 2020 11:27 AM IST
कानपुर शूटआउट : विकास दुबे के मददगारों की लंबी लिस्ट, सर्विलांस पर 200 से ज्यादा पुलिसवालों के मोबाइल
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ये पुलिसकर्मी चौबेपुर, बिल्हौर, ककवन और शिवराजपुर थाने के हैं. इन सभी के CDR भी खंगाले जा रहे हैं.

कानपुर एनकाउंटर (Kanpur Encounter) केस को लेकर नई जानकारी सामने आई है. पुलिस महकमें के भीतर छिपे विकास के मददगारों की संख्या बढ़ रही है. सूत्रों की माने तो विकास दुबे की मदद के शक में 200 से अधिक पुलिसकर्मियों के मोबाइल सर्विलांस पर हैं. ये पुलिसकर्मी चौबेपुर, बिल्हौर, ककवन और शिवराजपुर थाने के हैं. इन सभी के CDR भी खंगाले जा रहे हैं.

इनमें से तमाम पुलिसकर्मी विकास दुबे के सामने नतमस्तक थे. उसके लिए ही गुर्गों की तरह काम करते थे. पुलिस एसटीएफ की टीमें एक-एक बिंदुओं पर काम कर रही हैं. बिकरु कांड में निलंबित किये गए बीट दारोगा के के शर्मा ने पूछताछ में बताया है कि 2 जुलाई को शाम 4 बजे विकास नें फोन पर धमकी दी थी कि थानेदार को समझाने लो अगर बात बढ़ी तो बिकरू गांव से लाश उठेंगी.

बीट दारोगा थानेदार को सूचना देकर और बिकरू गांव की बीट हटाकर दूसरी बीट देने को कहा था. दारोगा बोला मैं सहम गया था, मुठभेड़ टीम मे भी दरोगा शामिल नहीं हुए थे . शिवली रोड के कई गांवो में विवाद की जांच के लिए पुलिस को विकास दुबे से अनुमति लेनी पड़ती थी. तहरीर मिलने के बाद बीट दरोगा और सिपाही विकास को जानकारी देते थे. अधिकतर मामले विकास अपने घर पर ही बुलाकर हल करा देता था.

मजिस्ट्रेट्री जांच शुरू

कानपुर के बिकरु कांड की मजिस्ट्रेट्री जांच शुरू हो गई है. एडीएम ने इससे जुड़े एफआईआर कॉपी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, दर्ज किए गए बयान जैसे सभी दस्तावेज मांगे हैं. मौके के परीक्षण के साथ ही जेसीबी चालक और बिजली काटे जाने के बिंदुओं की जांच होगी. एडीएम भू/राजश्व प्रमोद शंकर शुक्ला को जांच मजिस्ट्रेट बनाया गया है.

विकास पर कार्यवाही

विकास और उसके भाई पर कुछ और मुक़दमें दर्ज हो सकते हैं. जो लोग विकास के ख़ौफ़ से अबतक हिम्मत नहीं जुटा पाए थे अब वे सामने आ रहे हैं. सचिवालय की नीलामी में मिली कार धमकाकर लेने के मामले मे हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे और उसके छोटे भाई दीप प्रकाश का गैर जमानती वारंट पुलिस लेगी. औपचारिकताएं पूरी की जा चुकी हैं. गैर जमानती वारंट मिलने के बाद ही पुलिस लखनऊ में विकास की संपत्ति को कुर्क करने की आसानी से अनुमति ले सकेगी.

प्रदेश का टॉप 3 अपराधी

विकास दुबे का नाम थाने की टॉप टेन लिस्ट में नहीं था लेकिन अब प्रदेश का टॉप 3 अपराधी बन गया है. 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद विकास दुबे का नाम टॉप 3 में पहुंच गया है. विकास दुबे के ऊपर ढाई लाख का इनाम घोषित है. विकास दुबे के अलावा प्रदेश के दो ऐसे अपराधी हैं जिनका नाम ढाई-ढाई लाख की लिस्ट में शामिल है, इनमें से एक है मेरठ का मोस्ट वांटेड बदन सिंह बद्दो और दूसरा पश्चिमी यूपी का आशुतोष.

दरअसल, अपराध की दुनिया में नाम कमाने के बाद विकास दुबे की दहशत का आलम ये था कि किसी भी चुनाव में वह जिस पार्टी या उम्मीदवार को समर्थन देता था, पूरे गांववाले उसे ही वोट देते थे. यही एक बड़ी वजह थी कि चुनाव के वक्त इन गांवों में वोट पाने के लिए सपा, बसपा और भाजपा के कुछ नेता उसके संपर्क में रहते थे. ये उसकी दहशत का ही नतीजा था कि विकास दुबे 15 सालों से जिला पंचायत सदस्य के पद पर कब्जा बनाए हुए है.

विकास दुबे खुद तो जिला पंचायत सदस्य है और साथ ही उसने अपनी पत्नी ऋचा दुबे को भी घिमऊ से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़वाया था. जिसमें वह जीत गई थी. इस चुनाव में सपा ने उसे समर्थन किया था. इतना ही नहीं उसने अपने चचेरे भाई अनुराग दुबे को पंचायत सदस्य बनवाया था. बताया जाता है कि उसका हर पार्टी के नेताओं के साथ उठना बैठना ही नहीं बल्कि गहरे राजनीतिक संबंध भी हैं.

Arun Mishra

Arun Mishra

Sub-Editor of Special Coverage News

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