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कानपुर एसएसपी की मुश्किलें बढ़ी, शहीद सीओ देवेंद्र मिश्र की चिठ्ठी सही,आईजी ने सौंपी अपनी रिपोर्ट
कानपुर में आठ पुलिस कर्मियों के शहीद होने के बाद मार्च माह का लिखा हुआ तत्कालीन बिल्हौर सीओ शहीद देवेंद्र मिश्र का एक पत्र वायरल हुआ. यह पत्र उनकी बेटी ने मिडिया को उनके मोवाइल से निकाल कर दिया. इसकी जांच एडीजी ज़ोन कानपुर को दी गई. लेकिन कुछ घंटे बाद ही एसएसपी दिनेश कुमार प्रभू ने बताया कि इस पत्र का कोई सबूत नहीं मिला है. लेकिन जब इसकी जांच सीएम योगी आदित्यनाथ ने बदलकर आईजी ज़ोन लखनऊ लक्ष्मी सिंह को सौंप दी.
उसके बाद जाँच अधिकारी लखनऊ ज़ोन के आईजी लक्ष्मी सिंह ने तुरंत बिल्हौर की दौड़ लगा दी. ईमानदार और सख्त मिजाज की मानी जाने वाली आईजी ज़ोन ने बिल्हौर सीओ ऑफिस के कर्मचारियों से बात चीत की जिसके बाद यह निश्चित हो गया कि सीओ देवेंद्र मिश्र ने यह चिठ्ठी लिखी थी. यह चिठ्ठी ऑफिस के कंप्यूटर में पाई गई. जबकि ऑफिस के कर्मचारी और ऑपरेटर ने भी स्वीकार किया गया कि यह लेटर एसएसपी को भेजा गया.
जबकि इसी लेटर को लेकर एसएसपी दिनेश कुमार नकार चुके है. आखिर एसएसपी कानपुर ने किस वजह से इस लेटर को नकार दिया, आखिर कानपुर पुलिस भी किस तथ्य को छिपाना चाहती है. जबकि उसी लेटर को सीओ ऑफिस से तलाश दिया जाता है जिसे एसएसपी ने सीओ ऑफिस के अभिलेख में मौजूद नहीं बताया हो.
जांच अधिकारी आईजी लक्ष्मी सिंह ने अपनी जांच में सीओ के पत्र की जानकारी देते हुए बताया है कि यह चिठ्ठी सही है जो तत्कालीन एसएसपी/ डीआईजी अंनत देव को लिखी गई थी. उसी पत्र की कापी सीओ ऑफिस के कंप्यूटर से मिली है. मैंने अपनी जांच डीजीपी महोदय को सौंप दी है साथ ही अनुरोध किया है कि इस जाँच को किसी और वरिष्ठ अधिकारी से कराया जाय.
बता दें कि आखिर इस चिठ्ठी पर एसओ विनय तिवारी की जाँच होती और विकास दुबे की जांच होती तो शायद आठ पुलिसकर्मी शहीद नहीं होते. लेकिन देखना यह है कि इन बड़े अधिकारीयों को कब तक बचाने के खेल जारी रहेगा और निचले कर्मचारी जेल भेजकर मामला को कब समाप्त किया जाए कहा भी नहीं जा सकता है. लेकिन एक उम्मीद अभी भी बाकी है. उधर विकास दुबे के तीन साथी अब तक पुलिस मुठभेड़ में मारे जा चुके है. बुधवार को हमीरपुर में अमर दुबे, जबकि गुरुवार को इटावा में बऊआ दुबे और प्रभात मिश्र को कानपुर में मार गिराया है.