कानपुर

संजीत अपहरण/हत्याकांड: कब क्या हुआ ? जानिए पूरी डिटेल रिपोर्ट चौंकाने वाली

Shiv Kumar Mishra
24 July 2020 1:30 PM GMT
संजीत अपहरण/हत्याकांड: कब क्या हुआ ? जानिए पूरी डिटेल रिपोर्ट चौंकाने वाली
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फोन में आवाज बदलने वाला साफ्टवेयर लगाया था

कानपुर। उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था दिन पर दिन सवालों के घेरे में आती जा रही है। प्रदेश में सक्रिय अपराधियों में पुलिस का कोई खौफ नहीं नजर आ रहा है। ताबड़तोड़ "इनकाउंटर" के बाद भी अपराधिक वारदातें बढ़ती जा रही हैं। ताजा मामले में कानपुर पुलिस फिर एक बार सुर्खियों में है, यहां करीब एक माह पूर्व अपहृत लैब टेक्नीशियन संजीत यादव की रिहाई के लिए परिवार वालों की 30 लाख की रकम भी चली गई फिर भी अपहृत को पुलिस नहीं छुड़ा सकी है। अब सामने आया है कि संजीत की हत्या 27 जून को ही कर दी गई थी। शहर में फेंके गए उसके शव को बरामद करने के लिए पीएसी के गोताखोरों को लगाया गया है।

संजीत के अपहरण/हत्या व अन्य अपराधिक घटनाओं को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बेहद नाराज बताए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए अपर पुलिस अधीक्षक अपर्णा गुप्ता एवं तत्कालीन सीओ मनोज गुप्ता को सस्पेंड कर दिया है। मामले में पुलिस की भूमिका की जांच अपर पुलिस महानिदेशक वीपी जोगदंड को सौंपी गई है। उधर कानपुर पुलिस ने संजीत की हत्या में एक महिला सहित 5 लोगों को गिरफ्तार किया है। मामले में लापरवाही बरतने पर एस एसएसपी ने जनता नगर चौकी इंचार्ज राजेश कुमार को सस्पेंड कर दिया है, जबकि इंस्पेक्टर बर्रा रणजीत राय को पहले ही निलंबित किया जा चुका है। सीओ का भी तबादला हो चुका है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव सहित विपक्ष के कई नेताओं ने कानपुर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कानून-व्यवस्था के मामले में योगी सरकार को पूरी तरह से फेल बताया है। समाजवादी पार्टी ने संजीत के परिजनों को 5 लाख रुपए की मदद दिए जाने की घोषणा की है।

बैग पुल से फेंका गया था, पैसे के बारे में मालूम नहीं

कानपुर के एसएसपी दिनेश कुमार के अनुसार एक महिला सहित 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिन्होने कबूला है कि लैब टेक्नीशियन संजीत ने 26 जून की रात भागने की कोशिश की थी, जिसके बाद 27 जून की सुबह उन लोगों ने उसकी गला दबाकर हत्या करने के बाद शव को नहर (पांडु नदी) में फेंक दिया था। युवक की मौत की सूचना के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। इस मामले में कानपुर पुलिस की लापरवाही भी सामने आई है, पुलिस पर आरोप है कि उसने अपहृत युवक के परिजनों से अपहरणकर्ताओं को 30 लाख रुपए भी दिलवा दिए ! जबकि पुलिस अधिकारी कह रहे हैं कि अपहृताओं के लिए जो बैग पुल से नीचे फेंका गया था, उसमें पैसे नहीं थे लेकिन परिवार का कहना है कि उन्होने पुलिस के कहने पर ही घर व गहने बेचकर पैसे जुटाए थे। आज सुबह जब कानपुर के आईजी मोहित अग्रवाल व एस एसपी दिनेश कुमार ने प्रेस कांफ्रेंस की तो पकड़े गए अपराधियों ने भी पत्रकारों को बताया कि वे बैग लेने गए थे और बैग पुल से नीचे फेंका भी गया था। पुलिस के आ जाने पर वे लोग बगैर बैग उठाए भाग निकले थे, उसमें रुपए थे कि नहीं उन्हे नहीं मालूम।

फोन में आवाज बदलने वाला साफ्टवेयर लगाया था

पकड़े गए अपहृताओं में से दो संजीत के साथ ही लैब में काम करते थे। घटना के मास्टरमाइंड ज्ञानेंद्र यादव ने बताया कि वे जिस मोबाइल से फिरौती के लिए परिवार वालों से बात करते थे, उसमें आवाज बदलने वाला साफ्टवेयर लगा रखा था। संजीत के लापता होने की पुलिस से 23 जून को शिकायत की गई थी, पर पुलिस ने से 26 जून को अपहरण की रिपोर्ट दर्ज की थी। 29 जून को फिरौती का कॉल आया (जबकि संजीत की हत्या 27 जून को ही कर दी गई थी) इस मामले में क्राइम ब्रांच और सर्विलांस सेल की टीम गठित भी की गई थी।

बताते चलें कि एक सप्ताह पहले पुलिस की आंखों के सामने अपहरणकर्ता रुपयों से भरा बैग लेकर फरार हो गए और पुलिस हाथ मलती रह गई, जिसके बाद एसएसपी ने पीड़ित परिवार से मिलकर 4 दिन के भीतर युवक की बरामदगी का भरोसा दिया था। सर्विलांस सेल भी अपराधियों की कॉल को ट्रेस नहीं कर पाई। 30 साल का संजीत एक अस्पताल में लैब टेक्नीशियन था, 22 जून की शाम अस्पताल से घर के निकला लेकिन पहुंचा नहीं, उसके एक सप्ताह बाद 29 जून को फिरौती के लिए पहला फोन आया। संजीत के पिता चमन लाल ने इसकी जानकारी पुलिस को दी। अपहरणकर्ता लगातार 30 लाख की फिरौती न देने पर युवक की हत्या करने की धमकी दे रहे थे। चमन लाल का कहना है कि उन्होने पुलिस के कहने पर किसी तरह से 30 लाख रुपयों का इंतजाम किया और पुलिस के दिए बैग में रुपए रखकर पुलिस की मौजूदगी में गुजैनी पुल के ऊपर से रुपयों से भरा बैग नीचे फेंका, अपहरणकर्ता बैग लेकर फरार हो गए ? और पुलिस अपहरणकर्ताओं को पकड़ नही पाई। उल्टे पुलिस परिवार पर बैग में रुपए नहीं होने की बात कहने का दबाव बनाने लगी।

संजीत अपहरण/हत्याकांड: कब क्या हुआ ?

* 22 जून की रात हॉस्पिटल से घर जाने के दौरान संजीत का अपहरण हुआ।

* 23 जून को परिजनों ने जनता नगर चौकी में उसकी गुमशुदगी की तहरीर दी।

* 26 जून को एसएसपी के आदेश पर राहुल यादव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई।

* 29 जून को अपहरणकर्ता ने संजीत के परिजनों को 30 लाख की फिरौती के लिए फोन किया।

* 5 जुलाई को परिजनों ने शास्त्री चौक पर जाम लगाकर पुलिस पर कार्रवाई न करने का आरोप लगाया।

* 12 जुलाई को एसपी साउथ कार्यालय में इस बाबत दोबारा प्रार्थना पत्र दिया गया।

* 13 जुलाई को परिजनों ने फिरौती की रकम 30 लाख से भरा बैग गुजैनी पुल से नीचे फेंक दिया, लेकिन फिर भी संजीत नहीं आया।

* 14 जुलाई को परिजनों ने एसएसपी और आईजी रेंज से शिकायत की, जिसके बाद संजीत को 4 दिन में बरामद करने का भरोसा दिया गया।

* 16 जुलाई को बर्रा इंस्पेक्टर रंजीत राय को सस्पेंड कर दिया गया।।

* 22 जुलाई को सुबह पुलिस ने संजीत के एक अन्य दोस्त को उठाया, 23 जुलाई को छोड़ दिया।

* 23 जुलाई को परिवार से शाम तक मामले का खुलासा करने का दिया गया आश्वासन।

* 23 जुलाई की रात होने के बाद पीड़ित परिवार को गुमराह करती रही पुलिस।

* 23 जुलाई को मीडिया के द्वारा संजीत की हत्या की खबर सोशल मीडिया पर चलने के बाद पुलिस ने संजीत की हत्या की बात को कई घंटों तक घुमाया।

* देर रात एसएसपी दिनेश कुमार पी ने घटना की वीडियो के जरिये संजीत की हत्या की जानकारी दी

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