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- विकास की मौत के बाद...
विकास की मौत के बाद क्या बोले उसके बाप, जबकि उज्जैन के एसपी ने भी कही बड़ी बात, फिर कैसे मारा गया विकास!
मनोज शुक्ला भाई पूर्व राज्य मंत्री संतोष शुक्ला (2001शिविल पुलिस स्टेशन के अंदर #विकास_दुबे ने मारा) ने कहा कि "मुझे न्याय मिलने में19साल लगे. जिन परिवार के लोगों की उसने हत्या की वो सब लोग आज कहीं न कहीं प्रसन्न हैं. माननीय योगी जी की कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं है. उनका धन्यवाद":
विकास दुबे की मौत पर उनके पिता ने कहा कि हमें किसी ने बताया कि हमारा बेटा मारा गया है. हमने कहा ठीक किया गया. उनसे सवाल पूंछा -क्या आप उसके अंतिम संस्कार पर जाएंगे? तो बाप ने कहा कि मैं उसके अंतिम संस्कार पर क्यों जाऊं. हमारा कहा वो मानता तो आज इस दशा को क्यों प्राप्त होता. उसने हमारी कभी मदद नहीं की".
2002 को चुनावी रंजिश के चलते विकास दुबे ने लल्लन वाजपेयी पर हमला करवाया था. विकास दुबे की मौत पर लल्लन वाजपेयी, "आज ऐसा लग रहा है जैसे हम सदियों बाद स्वतंत्र हुए हों. एक आतंक युग का अंत और शांत युग का प्रारंभ हुआ है. शाम को संगीत की व्यवस्था भी की गई है."
उत्तर प्रदेश के दुर्दांत अपराधी विकास दुबे का शुक्रवार सुबह हुआ एनकाउंटर कई सवाल छोड़ गया। लोगों में एक अपराधी की मौत को लेकर दु:ख नहीं था, लेकिन व्यवस्था को लेकर नागरिक क्षेत्रों से अनेक प्रश्न खड़े हुए। गुरुवार सुबह से रात्रि तक का जो घटनाक्रम उज्जैन में चला, उसे लेकर भी लोगों के बीच शुक्रवार को प्रतिक्रिया देखने को मिली। लोग जानना चाह रहे थे कि आखिर कल क्या-क्या हुआ? इसलिए क्योंकि दुबे को न तो कोर्ट में पेश किया गया और न ही पत्रकार वार्ता में?
गुरुवार को सुबह से रात तक का घटनाक्रम पर एसपी मनोज कुमार सिंह ने एक हिंदुस्तान समाचार से बातचीत की, जो इस प्रकार है-
प्र.:विकास दुबे की पहचान कैसे की गई?
उ.:विकास दुबे ने समर्पण नहीं किया था, संदिग्ध दिखने पर उससे पूछताछ की गई थी। जब उसके पास से फर्जी आईडी निकली तो पूछताछ सख्ती से की गई। तब उसने बताया कि वह विकास दुबे है कानपुर वाला। इस आधार पर उसे पकड़ा गया था। उसे पकड़कर महाकाल थाना पर लाने के बाद कानपुर के आईजी से चर्चा की गई। उन्होने जब बहुत सारे बिंदुओं पर बात की तो पुष्टि की कि यही विकास दुबे है,जो 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर फरार हुआ है और इस पर 5 लाख का इनाम है।
प्र.: विकास दुबे के खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं लिखी गई?
उ.: विकास दुबे को पकडऩे के बाद जब उत्तर प्रदेश पुलिस से सम्पर्क किया गया तो जिला पुलिस के पास उत्तर प्रदेश की एसटीएफ के एसीपी का एक ई-मेल आया,जिसमें उन्होंने बताया कि विकास दुबे उनके यहां का दुर्दांत अपराधी है और फरार हुआ है। हम इसे लेने के लिए दल रवाना कर रहे हैं। अत: आप उसे अपनी अभिरक्षा में तब तक रखें। यही कारण है कि महाकाल थाना में किसीप्रकार का कोई प्रकरण दर्ज नहीं किया गया।
प्र.: विकास दुबे का क्या चिकित्सकीय परीक्षण हुआ?
उ.: विकास दुबे को वे स्वयं महाकाल थाने से पुलिस वाहन में अज्ञात स्थान पर लेकर गए। उसका मेडिकल करवाया गया। मेडिकल करवाने के बाद उसे अज्ञात स्थान पर ही सुरक्षित रखा गया,ताकि उत्तर प्रदेश से दल के आने के बाद उसे सुपुर्द कर दिया जाए। इस मामले में वरिष्ठों का भी मार्गदर्शन लिया गया।
प्र.: विकास दुबे की मन:स्थिति कैसी थी?
उ.: पुलिस अभिरक्षा में वह शुरूआत में डरा हुआ था। उसे भोजन भी करवाया गया। उसने आपसी चर्चा में कहाकि कि वह अपना पक्ष रखना चाहता है। तब उसे कहा गया कि मामला उत्तर प्रदेश का है,वहीं जाकर अपनी बात रखना। हम अपनी अभिरक्षा से तुम्हे उत्तर प्रदेश पुलिस को सौपेंगे। इसके बाद वह निश्चिंत दिखाई दिया।
प्र.: विकास दुबे को न्यायालय में पेश क्यों नहीं किया गया?
उ.: विकास दुबे को पुलिस अभिरक्षा में रखा गया था,इसलिए उसे कोर्ट में पेश नहीं किया गया। वह यहां का अपराधी नहीं था,फरार था और यहां पकड़ाया था।
प्र.: विकास दुबे को उत्तर प्रदेश ले जाते समय सुरक्षा के क्या इंतजाम थे?
उ.:गुरूवार प्रात: कन्फर्म होने पर कि जिसे पकड़ा है,वह विकास दुबे ही है उत्तर प्रदेश का पुलिस दल एसटीएफ डीएसपी तेजबहादुरसिंह के नेतृत्व में उज्जैन के लिए निकल पड़ा। उस वक्त विकास को बुलेट प्रूफ जैकेट पहना रखी थी। उज्जैन से विकास दुबे को सायं 7 बजे उत्तर प्रदेश के लिए रवाना किया गया। उस वक्त उज्जैन से एसटीएफ के एक चार के गार्ड के तीन वाहन थे। एक वाहन में निरीक्षक प्रकाश वास्कले भी थे। एक वाहन में उत्तर प्रदेश पुलिस थी,जिसमें तेजबहादुरसिंह ओर उनके सहकर्मी थे।
प्र.: गुना बार्डर क्रास करने के बाद क्या हुआ?
उ.: विकास दुबे को रात्रि 1 बजे गुना बार्डर क्रास करने के बाद उत्तर प्रदेश के बाईपास पर उत्तर प्रदेश पुलिस को सौपा गया। जब उज्जैन से रवाना हुए तब ओर जब बाईपास पर उसे सौपा, तब कागजी कार्रवाई की गई। वहां एसटीएफ के वाहनों से अन्य अधिकारी भी आए थे। उन सभी के सामने उसे हैण्डओरव किया गया। इसके बाद उज्जैन का पूरा अमला वापस शुक्रवार प्रात: ही उज्जैन आ गया।