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गेहू फसल बुवाई के लिए डीएपी खाद के लिए मारे-मारे फिर रहे है किसान
कौशाम्बी रबी सीजन में गेहूं की फसल बुवाई के लिए किसानों को डीएपी खाद के लिए मारे-मारे फिरना पड़ रहा है। खाद तो किसानों को मिल नहीं रही लेकिन किसान खाद के लिए लाइनों में जरूर उलझकर रह गया हैं। इस समय किसान सबसे ज्यादा परेशान लाचार नजर आ रहा है। गेहूं बिजाई का सीजन शुरू हो चुका है, लेकिन सरकार गेहूं बिजाई के लिए पर्याप्त मात्रा में डीएपी खाद उपलब्ध नहीं करवा पा रही। एक तो खाद मिल नहीं रही है यदि कही मिल रही है तो खाद विक्रेता किल्लत दिखाकर किसानों को खाद के साथ जबरन अन्य सामान बेचकर लूटने में लगे हुए हैं।
ऐसा भी नहीं है कि प्रशासन व भाकियू नेताओं को इसकी खबर न हो। न तो किसानों की यह समस्या पर प्रशासन को कहीं नजर आ रही है और न ही उन भाकियू नेताओं को जो किसानों के नाम पर संगठन बनाकर राजनीति करते है। कौशाम्बी में किसान खाद लेने के लिए सुबह से लाइनों में लगते हैं। कुछ को खाद मिलता है तो कुछ बिना खाद मिले ही वापिस लौट रहे हैं।
किसानों की इस मांग को उठाने कोई आगे नहीं आ रहे है। डीएपी खाद की किल्लत किसानों के लिए मुसीबत बनती जा रही है सरसवा और कौशांबी विकासखंड क्षेत्र के सहकारी समितियों में बीते 15 दिनों से किसान डीएपी एनपीके के लिए चक्कर लगा रहा है लेकिन दोनों विकासखंड क्षेत्र में उसे डीएपी एनपीके नहीं मिल रहा है सरकारी दावे के मुताबिक जिन किसानों को उर्वरक दिया गया इसकी जांच कराई गई तो बड़ी हेराफेरी उजागर होना तय है।
विभागीय अधिकारी भी खाद की कोई कमी नहीं बताते है उपनिदेशक कृषि का दावा है कि रबी सीजन में लगभग 5000 मेट्रिक टन डीएपी का लक्ष्य था उससे अधिक वितरण कर दिया गया है उनका कहना है कि लक्ष्य से अधिक एनपीके उर्वरक का भी वितरण हो चुका है सहायक निबंधक सहकारिता ने बताया कि 4481 मेट्रिक टन डीएपी के सापेक्ष 4660 मेट्रिक टन डीएपी और 751 मेट्रिक टन एनपीके के सापेक्ष 2365 मीट्रिक टन एनपीके का वितरण रबी सीजन में किया जा चुका है और जल्द ही पर्याप्त मात्रा में डीएपी खाद उपलब्ध कराने की बात कर रहे है।
लेकिन आलू के सीजन के बाद अब गेहूं बिजाई का सीजन शुरू हो चुका है। किसान अभी डीएपी खाद के लिए लाइनों में ही उलझकर रह गए है। मंगलवार को इफको ओसा में डीएपी खाद लेने आए किसान सुमेर सिंह, पवन कुमार, राजू , , ज्ञान सिंह, सुरेंद्र कुमार व मनोज कुमार ने सरकार से मांग की है कि बाजार में पर्याप्त मात्रा में डीएपी खाद उपलब्ध कराया जाए, ताकि फसलों की बिजाई समय पर हो सके।