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भेदभाव-दलितों को नही मिला आवास, झेल रहे गरीबी का दंश
अंजनी कुमार पांडेय
कौशाम्बी ब्युरो। प्रदेश सरकार भले ही गरीबों को पीएम आवास दिलाकर लाभान्वित करने का दावा कर रही है। लेकिन अभी भी बहुत से गरीब परिवार इस योजना से वंचित हैं। बरसात के महीने में पुराने मकानों में बोरी का चादर डालकर रहने को मजबूर हैं। बारिश से बचने के लिए इन परिवारों को पालीथिन या दूसरे के छत का सहारा लेना पड़ रहा है।
कड़ा विकास खंड के ग्राम नान्देमई निवासी रमेश चंद्र पुत्र सूराजबली भी आवास से वंचितों में से एक है। रमेश चंद के पास जमीन भी नहीं है। वह आज भी झोपड़ी बनाकर जीवन यापन कर रहा है। छत के नाम पर कुछ भी नहीं है। और थोड़ी सी बारिश के बाद झोपड़ी में चारों ओर पानी टपकने लगता है। इस दौरान सामान भी भीग जाता हैं। रेनू ने बताया कि वह बेहद गरीब हैं। पानी निकलने के लिए भी कोई समुचित रास्ता नहीं है। रास्ता में नाली न होने के कारण जलभराव हो जाता है।
जमीन ना होंने कारण पति मजदूरी कर जैसे-तैसे तीन बच्चों सहित पांच लोग पेट का भरण पोषण कर रहे हैं। उसका कहना कि कई बार प्रधान से आवास की मांग की गई लेकिन आज तक आवास नहीं मिला है। दो पंचवर्षीय गुजरने के बाद भी अभी तक दलितों को सिर और छत नही मुहैया हुई।
रमेश चंद्र का कहना है कि गांव में पात्रों का सर्वे हुआ था। जिसमें उसने प्रधान का कई बार चक्कर लगाया इसके बाद भी उसे आवास का लाभ नहीं मिला है। बिना आवास रमेश चंद्र को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। पीड़ित ने जिलाधिकारी से आवास दिलाये जाने की मांग की है। यही हाल गांव में कई अन्य गरीबों महेश कुमार, रमेश कुमार, इंद्रपाल, श्रवण आदि का भी है।