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अवैध पटाखा फैक्ट्री कई विस्फोट कई मौत कई लहूलुहान लेकिन नहीं बंद हुई फैक्ट्री
कौशाम्बी। आतिशबाजी बनाने वाली अवैध पटाखा फैक्ट्री से कौशांबी का भी गहरा रिश्ता है भरवारी मंझनपुर मूरतगंज अलीपुर तिल्हापुर मोड़ नेवादा सराय अकिल मनौरी चरवा पूरामुफ्ती पुरखास चायल पश्चिम शरीरा गढ़ी बाजार चंपहा हर्रायपुर कड़ा सिराथू अल्लीपुर जीता देवीगंज दारानगर सहित विभिन्न क्षेत्रों में आतिशबाज फैक्ट्री में पूरे वर्ष अवैध पटाखे बनाए जाते हैं दीपावली का पर्व आते ही अवैध पटाखे बनाने में तेजी आ जाती है अवैध तरीके से संचालित पटाखा फैक्ट्री में कोखराज थाना क्षेत्र के भरवारी मूरतगंज चायल कस्बा सहित कई स्थानों पर कई बार विस्फोट हो चुके हैं कई लोगों की मौत हो चुकी है कई लोग लहूलुहान हो चुके हैं लेकिन तमाम घटनाओं के बाद भी कौशांबी की अवैध पटाखा फैक्ट्री में पटाखा बनाने का अवैध खेल नहीं बंद हो सका है पटाखा बिक्री और पटाखा निर्माण के लाइसेंस की नियमावली अलग है लेकिन छोटे पटाखे की बिक्री का लाइसेंस लेकर यहां कई लोगों द्वारा पटाखा बनाने का खेल बीते कई दशक से बेखौफ तरीके से संचालित किया जा रहा है अन्य जरायम के धंधे को भी अनजान देते हैं पटाखा फैक्ट्री में गन पाउडर के भारी तादात में मौजूद होने के बाद विस्फोट की घटनाएं होती हैं लेकिन उसके बाद भी शासन प्रशासन अवैध पटाखा फैक्ट्री के नियमों की जांच कर कठोर कार्रवाई करता नहीं दिख रहा है।
तमाम शहरों की पटाखा फैक्ट्री में हो चुके हैं बड़े बिस्फोट
कौशाम्बी अवैध तरीके से पटाखा फैक्ट्री हमेशा जोखिम से भरी है देश के तमाम शहरों में पटाखा फैक्ट्री में तमाम बड़ी घटनाएं हो चुकी है ऋत्तिक मंडल पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना में पटाखा फैक्ट्री में हुए ब्लास्ट में 9 लोगों की मौत हुई थी ब्लास्ट इतना भीषण था कि शवों के परखच्चे उड़ गए अरियालुर जिले के विरागलुर में पटाखा गोदाम में हुए विस्फोट में 12 लोगों की जान चली गई है। 20 लोग घायल हुए थे पश्चिम बंगाल के जगन्नाथपुर में पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट में सात लोग मारे गए थे मेरठ के लोहिया नगर में एक बिल्डिंग में पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट के बाद चार लोगों की मौत हो गई है कई लोग गम्भीर घायल है आसपास के कई मकान ध्वस्त हो गए हैं भोपाल से लगभग 440 किमी दक्षिण-पूर्व में बालाघाट में एक पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट के बाद कम से कम 23 लोगों की मौत हो गई प्रयागराज के मऊ आइमा में भी पटाखा फैक्ट्री में कई बार विस्फोट हो चुके हैं कई लोगों की मौत हो चुकी है।
पटाखा बनाने में खतरनाक रसायन का होता है प्रयोग
कौशाम्बी पटाखे बनाने में प्रयोगित मुख्य रसायन कृषि में प्रयोग किये जाने वाले रसायन होते हैं, जैसे कि कलमी शोरा (पोटैशियम नाइट्रेट) व गंधक (सल्फ़र) कोयला प्रयोग किया जाता है एल्यूमीनियम पाउडर और पोटेशियम परक्लोरेट आतिशबाज़ी उद्योग मानक फ्लैश पाउडर के केवल दो घटक हैं। यह स्थिरता और शक्ति का एक बेहतरीन संतुलन प्रदान करता है, और अधिकांश व्यावसायिक विस्फोटक आतिशबाजी में उपयोग की जाने वाली संरचना है।
भारत के 90 प्रतिशत पटाखों का उत्पादन शिवकाशी में होता है.
कौशाम्बी मौजूदा समय में भारत के अंदर जो पटाखा उद्योग देखते हैं, उसकी शुरुआत 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध में कलकत्ता में हुई थी अंग्रेजों के शासन काल में कलकत्ता हर उद्योग का गढ़ था, यहीं पर माचिस उद्योग भी खूब पनप रहा था. पर पटाखा उद्योग के दिन बदले जब 1923 में यह तमिलनाडु के शिवकाशी पहुंचा पटाखों का शिवकाशी पहुंचना और आज के ‘मुर्गा छाप पटाखों’ का वजूद में आना लगभग एक ही साथ की घटनाएं हैं अगर हम पहले सिर्फ ‘श्री कलिस्वारी ग्रुप’ की, तो आज आतिशबाजी और माचिस की मिलाकर कंपनी की 35 से ज्यादा फैक्टरी हैं. इनमें करीब 10,000 लोग काम करते हैं. इसके संस्थापक शुंमुगा नादर एक समय में शिवकाशी म्यूनिसिपालिटी के चेयरमैन भी रहे, जिसकी वजह से यहां पटाखा और माचिस उद्योग खूब फला-फूला शिवकाशी का पटाखा उद्योग करीब 1,000 करोड़ रुपये का है. यहां 450 के करीब पटाखा फैक्टरी हैं. वहीं ये 40,000 लोगों को सीधे तो अप्रत्यक्ष तौर पर करीब 1 लाख लोगों को रोजगार देता है।
कैसे मिलता है केंद्र सरकार के एक्सप्लोसिव विभाग का लाइसेंस
कौशाम्बी पटाख़े बनाने वाली फैक्ट्रियों को केंद्र सरकार के एक्सप्लोसिव विभाग के साथ-साथ बाकी विभागों से भी कलीरैंस लेनी पड़ती है और जब तक बाकी विभाग अपनी कलीरैंस नहीं देते, तब तक डिप्टी कमिशनर इनके लाइसेंस जारी नही कर सकते हैं सेफ्टी नियम पूरे होने के उपरांत लाइसेंस जारी किया जाता है जिले स्तर से पटाखा फैक्ट्री के लाइसेंस जारी करने के कोई नियम सरकार ने नहीं दिए हैं पटाख़े बनाने का लाइसेंस लेने के लिए कम से कम एक एकड़ ज़मीन होनी चाहिए। इस ज़मीन के आस-पास कोई रिहायश नहीं होनी चाहिए। जिस स्थान पर पटाख़ा फैक्ट्री लगानी है, उसके आगे या पीछे 100 मीटर तक कुछ नहीं होना चाहिए पटाखा फैक्ट्री में काम करने वाले फ़ोरमैन के पास एक्सप्लोसिव विभाग का लाइसेंस होना चाहिए।जिस कमरो में पटाख़े पैक किये जाते हैं, उस कमरे से दूसरे कमरो में तीन मीटर से 9 मीटर तक ही दूरी होनी चाहिए और बिजली की तारों, गैस सिलंडर यहां तक कि मोबाइल भी नहीं लेकर जा सकता पटाख़े बनाने वाले कारीगरों का मेडिकल करवाना ज़रूरी है लेकिन इन तमाम नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए कौशांबी में पटाखा फैक्ट्री संचालित होती है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी दिए थे कड़े निर्देश
कौशाम्बी सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2018 के प्रतिबंध को सभी अधिकारियों द्वारा विधिवत लागू किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने देश में ग्रीन पटाखों को बनाने की मंजूरी देने से साफ मना कर दिया है. केंद्र सरकार और पटाखा निर्माताओं ने इन पटाखों से कम प्रदूषण फैलने का दावा करते हुए निर्माण और बिक्री की प्रक्रिया की जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी थी. दोनों ने इनके निर्माण को मंजूरी का अनुरोध किया था लेकिन निर्माण की मंजूरी नहीं मिल सकी फिर भी बिना लाइसेंस के कौशांबी जिले में पटाखा फैक्ट्री का संचालन हो रहा है और जिम्मेदार मूकदर्शक बने हुए हैं यदि जिले में कोई बड़ा हादसा हुआ तो जवाबदेही किसकी तय की जाएगी।
प्रयागराज जनपद में अवैध तरीके से चलती है पटाखा फैक्ट्री
कौशांबी जिले के विभिन्न कस्बो के साथ-साथ प्रयागराज जनपद के अटाला नखसकोना तथा मऊआइमा सहित विभिन्न क्षेत्रों में अवैध तरीके से तमाम पटाखा फैक्ट्री संचालित हो रही है मऊ आइमा में भी पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट हो चुके हैं कई लोगों की मौत हो चुकी है लेकिन उसके बाद भी प्रयागराज जिला अधिकारी ने पटाखा फैक्टरी पर कार्रवाई कर अवैध पटाखा फैक्ट्री को बंद कराकर संचालकों को जेल नहीं भेजा है जिससे पूरी व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े हैं।
सुशील केसरवानी वरिष्ठ पत्रकार