कौशाम्बी

बैंकों की आदूरदर्शिता से बर्बाद हो रहे हैं उद्योग धंधे, मनचाहे लोगों के पत्रावली पर मनमानी तरीके से दी जाती हैं लोन

Shiv Kumar Mishra
8 Nov 2020 7:42 PM IST
बैंकों की आदूरदर्शिता से बर्बाद हो रहे हैं उद्योग धंधे, मनचाहे लोगों के पत्रावली पर मनमानी तरीके से दी जाती हैं लोन
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मनचाहे लोगों के पत्रावली पर लागत घटाकर मनमानी तरीके से दी जाती हैं लोन की स्वीकृत 

कौशांबी। बेरोजगारों को रोजगार देने और जिले में उद्योग धंधों को स्थापना कराए जाने के लिए शासन-प्रशासन प्रशासन बार-बार प्रयासरत है लेकिन बैंकों के मनमानी के चलते जो उद्योग धंधे पूर्व में स्थापित भी हुए हैं वह उद्योग धंधे बंदी के कगार पर चले जाते हैं जिसका खामियाजा जहां उद्यमी उठाते हैं वही बैंक की रकम भी उद्यमियों के यहां फस जाती है बैंकों के इस आदूरदर्शिता पर गंभीर चिंतन मनन की जरूरत है उद्यमियों के उद्योग धंधे सफलता पूर्ण चल सके और जिले में बेरोजगारों को रोजगार मिले और मजदूर श्रमिकों को भी काम मिल सके अभी तक इस गंभीर विषय पर चिंतन मनन नहीं हो सका है।

गौरतलब है कि उद्योग धंधों की स्थापना के लिए जिला उद्योग केंद्र खादी ग्राम उद्योग सहित विभिन्न विभागों द्वारा केंद्र प्रदेश सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही है योजनाओं के अनुरूप उद्योग धंधों की स्थापना की प्रोजेक्ट बैलेंस शीट बनाकर आर्थिक सहयोग देने के लिए बैंकों को बिभाग द्वारा पत्रावली भेजी जाती है लेकिन विभाग द्वारा स्वीकृत प्रोजेक्ट बैलेंस शीट पर बैंक उद्योग धंधों की स्थापना में लगने वाली लागत को लागत घटा देते हैं कि अधिक लोन लेने के बाद उसकी अदायगी नहीं कर पाओगे इसलिए अभी आधी रकम से काम चलाओ और फिर जब उद्योग धंधा स्थापित हो जाएगा तो लोन की आधी रकम फिर ले लेना बैंकों की इसी अदूरदर्शी सोच के बाद से उद्योग धंधों के बिना शुरू होते ही दुर्दिन जाते हैं जिसका खामियाजा उद्यमी और बैंक दोनों भुगतते हैं।

इन दिनों भारतीय स्टेट बैंक को भेजे जाने वाली उद्योग धंधों की पत्रावली पर ऋण स्वीकृत करने का अधिकार मंझनपुर स्थित भारतीय स्टेट बैंक की मुख्य शाखा को सौंपा गया है इस बैंक में तैनात बैंक कर्मी द्वारा उद्यमियों की फाइल को मनमानी तरीके से निस्तारित किया जाता है जिन उद्योग धंधों की लागत दस लाख रुपए दिखाकर बिभाग द्वारा बैंक में फाइल भेजी गई है उनके फाइल पर पांच लाख रुपए की संस्तुति देकर संबंधित बैंक को भेज दी जाती है और बिना सर्दी और हकीकत जाने इन फाइलों को निरस्त कर देता है बिना ठोस आधार के बैंक कर्मी और प्रबंधक उद्यमियों पर आरोप लगाकर आला अधिकारियों को गुमराह करते हैं कि उद्यमी की आम शोहरत ठीक नहीं है और इनको उद्योग धंधे स्थापना के लिए बैंक से यदि ऋण दे दिया गया तो बैंक की रकम फस जाएगी।

अब सवाल उठता है जमीन भवन और मशीन लगाए जाने के बाद जब उद्यमियों के पास कच्चा माल खरीदने के लिए रकम नहीं होगी तो उद्योग धंधे कैसे चलेंगे एक बार किसी उद्योग धंधे को एक बैंक से लोन दे दिया जाता है तो उस उद्योग धंधे पर दूसरा बैंक भी लोन देने को तैयार नहीं होता बैंकों की दूरदर्शिता की स्थितियों में उद्यमियों के सामने भारी मुसीबत खड़ी हो जाती है और उनके उद्योग बंद हो जाते हैं।

सूत्रों की माने तो उद्योग धंधों की पत्रावली की संस्तुति के आड़ में घूसखोरी का बड़ा धंधा चल रहा है और जिसने इनकी मांग को पूरी कर दिया उसकी पत्रावली स्वीकृत हो जाती है वरना विभाग से स्वीकृत फाइल को भी बैंकों द्वारा बिना ठोस कारण के निरस्त कर दिया जाता है बैंकों की मनमानी के चलते जिले के सैकड़ों उद्योग धंधे जहां बंद हो चुके हैं वही तमाम नए आवेदक धंधे स्थापित करने के लिए बैंकों का चक्कर काट कर रहे हैं।

गौरतलब है कि जिला उद्योग केंद्र और ग्राम उद्योग कार्यालय द्वारा उद्योग धंधों की स्थापना में केंद्र सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं में एक निर्धारित सीमा का बैंकों से ऋण लेने पर जमानत लेने का प्रावधान नहीं किया गया है सर्विस सेक्टर की इकाइयों को 10 लाख रुपए और निर्माण इकाइयों को 25 लाख रुपए तक का ऋण देने का निर्देश केंद्र प्रदेश सरकार ने दे रखा है लेकिन फिर भी बैंकों द्वारा उद्यमियों को ज़मानत के नाम पर प्रताड़ित किया जाता है जबरजस्ती अवरोध बनकर बैंको द्वारा फाइलों का निस्तारण कर दिया जाता है उद्योग धंधों की स्थापना में बैंकों की मनमानी पर रोक लगाए जाने की जरूरत है और केंद्र प्रदेश सरकार द्वारा दिए गए दिशा निर्देश पर उद्योग धंधों की स्थापना की पहल करने की जरूरत है तभी जिले में बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा मजदूरों को काम धंधे मिलेंगे और जिले में रोजगार स्थापित होने से जिले का चहुंमुखी विकास होगा।

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