कौशाम्बी

कौशाम्बी :तीन मौतों के बाद नहीं पसीजा सांसद विधायकों का रत्ती भर दिल

Shiv Kumar Mishra
15 July 2020 3:11 PM IST
कौशाम्बी :तीन मौतों के बाद नहीं पसीजा सांसद विधायकों का रत्ती भर दिल
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फोटो छपास तक सीमित रहते हैं सांसद विधायक जनप्रतिनिधि

कौशाम्बी। जिले के भरवारी कस्बे में ढाई महीने पूर्व आतिशबाज के घर में विस्फोट होने के बाद तीन लोगों की मौत के मामले में लंबी लंबी डींग हांकने वाले किसी भी सांसद विधायक का दिल नहीं पसीजा है। आज तक मृतक परिवार को मदद में इन सांसद विधायकों द्वारा फूटी कौड़ी नहीं दी गई है। केंद्र और प्रदेश सरकार से भी गरीब परिवारों को आर्थिक मदद दिलाने का प्रयास सांसद विधायकों ने अभी तक ही नहीं किया है। मदद के नाम पर पूर्व सांसद विधायक भी आगे नही आ सके है, जिससे इनकी जनता के प्रति लगाव का अंदाजा लगाया जा सकता है। पीड़ित परिवार न्याय के लिए भटक रहा है, अभी तक उसे किसी प्रकार की आपदा पीड़ित की सहायता राशि भी नहीं मिल सकी है। इतना ही नहीं इस हादसे के जिम्मेदार लोगों की अभी तक पूरी तरह से गिरफ्तारी भी पुलिस नहीं कर सकी है। पुलिस भी हादसे के जिम्मेदारों के आगे घुटने टेक चुकी है, अब गुनहगारों की मदद कौन कर रहा है यह जनता के बीच चर्चा का विषय है।

गौरतलब है कि जनता के वोट लेकर लोकसभा एवं विधानसभा का सफर तय करने वाले सांसद और विधायक के ऊंचे महल की कोठी देखकर पीड़ित जनता की मुश्किलें आसान नहीं हो पाएगी जब तक उनकी समस्याओं को धरातल पर उतरकर सुना और समझा ना जा सके। चुनावी समय में इन्हीं सांसद और विधायक के द्वारा बड़े - बड़े वादों का पुलिंदा खड़ा कर दिया जाता है,जबकि झूठे वादों में फंसकर जनता सांसद विधायक को उस मुकाम तक पहुंचा देती है जहां से पीड़ित जनता की मुश्किलें आसान हो जाए लेकिन जब उनकी मुश्किलें आसान होती नहीं दिखाई देती है बल्कि और बढ़ने लगती है तो यही जनता अपने आपको ठगा हुआ महसूस करती हैं।

इन्हीं सांसद विधायक जनप्रतिनिधियों जो अपने आपको पीड़ित जनता का मसीहा बताकर बड़े मंच पर खड़े होकर लंबे चौड़े भाषण देते हैं व अपने आपको सांसद विधायक का निष्ठावान प्रतिनिधि बताकर फोटो छपास तक ही सीमित रहते हैं इनका भी क्षेत्रीय पीड़ित जनता से कोई वास्ता दूर - दूर तक नहीं होता है।

इसी तरह भरवारी नगर पंचायत में कई वर्षों से अवैध पटाखा कम्पनी घनी आबादी बस्ती में संचालित हो रही थी जिसमें आर्थिक स्थिति से जूझ रहे नाबालिक बच्चों से पटाखा बनवाने का कार्य कराया जाता था। ढाई माह पूर्व उस पटाखा कम्पनी में बारूद की चिंगारी से अचानक ब्लास्ट हो गया। पटाखा कम्पनी में काम कर रही एक महिला समेत दो नाबालिक बच्चियों के चीथड़े उड़ गए। धमाका इतना तेज था कि आस पास के मकान की ईंट भी उखड़ गई है थी।सूचना पाकर घटनास्टल पर प्रशासन पहुंचकर आर्थिक तंगी से जूझ रहे पीड़ित परिवार को सांत्वना दिलाते हुए आर्थिक सहायता व प्रधानमंत्री आवास सहित हर संभव मदद दिलाए जाने का आश्वासन दिए जो आज तक पीड़ित परिवार को नहीं मिल सका है।

अवैध पटाखा कम्पनी संचालित करने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही कराए जाने का आश्वासन भी दिए।लेकिन ढाई माह बीत जाने के बावजूद भी अवैध पटाखा कम्पनी के संचालक खुलेआम घूम रहे हैं जो पीड़ित परिवार के ऊपर धमकियों भरा सुलह होने का दबाव बना रहे हैं। इस बात की शिकायत लेकर कई बार पीड़ित परिवार के सदस्य क्षेत्रीय संसद विधायक से मिलकर अपनी समस्या बताना चाहा, लेकिन उनके प्रतिनिधि कोरोना महामारी का हवाला देते हुए पीड़ित परिवार को वापस कर देते हैं। दिल दहला देने वाली इन तीन बातों में माननीयों का दिल नहीं पसीजा तो आम जनता की समस्या के समाधान में कितना गंभीर होते होंगे इसका अंदाजा भी लगाया जा सकता है।

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