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अपराधियों पर अंकुश लगाने में फेल हो चुकी पुलिस अब रोक रही पत्रकारों की कलम
कौशाम्बी कहने के लिए यह जिला उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या का गृह जनपद है और लोगों को इस बात का गर्व है कि इस जिले में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के चलते लोगों का उत्पीड़न नहीं होगा लेकिन इस जिले में सर्वाधिक उत्पीड़न पत्रकारों का हो रहा है जिले में बढ़ते अपराध भ्रष्टाचार अन्याय अत्याचार घूसखोरी के मामले पर अंकुश लगाने में फेल हो चुके जिम्मेदारों ने अब पत्रकारों की कलम पर पूरी तरह से रोक लगाने की ठान ली है
यदि किसी पत्रकार ने सच्चाई उजागर कर दी तो उसकी शामत आ जाती है अपने गुनाहों पर पर्दा डालने के लिए जिम्मेदारों द्वारा पत्रकारों पर मुकदमा दर्ज कर लिया जाता है जिससे पत्रकार सच्चाई की खबरों को उजागर करने के बजाए मुकदमे के मकड़जाल में उलझ जाता है और भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी बिना रोक-टोक के अपने मकसद में सफल हो जाते हैं जिले में अपराध चरम पर है अपराधी बेखौफ हैं भ्रष्टाचार का बोलबाला है सरकारी संपत्ति सुरक्षित नहीं रह गई है लेकिन मजाल है कि कोई जिले में बढ़ते भ्रष्टाचार अपराध की सच्चाई उजागर करने का साहस कर सकें
देखते देखते आधा दर्जन से अधिक पत्रकारों पर मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया गया है थाना पुलिस तो पत्रकारों पर हमले करवा कर पत्रकार की आवाज दबाने की भरसक कोशिश करती हैं करारी थाना क्षेत्र में गणेश वर्मा पर पत्रकारिता करने पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया है तो मंझनपुर कोतवाली में अजय कुमार को खबर लिखने पर जेल भेज दिया गया वहीं पुलिस ने खबर लिखने पर श्याम पाल पर मुकदमा दर्ज कर लिया और उन्हें गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया अदालत ने उन्हें जमानत दे दी खबर लिखने पर सुशील केसरवानी पत्रकार पर भी पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया दो दिनों पूर्व सराय अकिल पुलिस ने डीजीपी को ट्वीट करने पर शब्बर अली पत्रकार के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया यह तो कुछ उदाहरण है जिले में पत्रकारों की कलम रोकने की पूरी तरह से रणनीति बनाई जा रही है
आखिर आजाद हिंदुस्तान में भारतीय संविधान अभिव्यक्ति की आजादी पर पूरी तरह से स्वतंत्रता दे रखी है तो फिर पत्रकारों की कलम पर क्यों रोक लगाई जा रही है पत्रकारों पर दर्ज हो रहे मुकदमे के बाद सत्ता और विपक्ष के बड़बोले नेताओं ने भी चुप्पी साध रखी है यह कहा जाए कि पत्रकारों के उत्पीड़न के मामले में इन नेताओं के मुंह में दही जम गया है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कौशांबी में जिस तरह से पत्रकारों का उत्पीड़न हो रहा है इसके पूर्व बसपा और सपा की सरकार में इस कदर पत्रकारों का उत्पीड़न कभी नहीं हुआ था
पत्रकारों के उत्पीड़न के मामले में जिले के थाना पुलिस ने योगी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है और पुलिस अधिकारी मूकदर्शक बनकर पत्रकारों के उत्पीड़न के मामले में थाना पुलिस की कारवाही को समर्थन कर रहे हैं यह एक बड़ा सवाल है और यदि पत्रकारों के उत्पीड़न के मामले में योगी सरकार ने या फिर भारतीय प्रेस परिषद ने गंभीरता से मामले को लिया तो पत्रकारों पर मुकदमा दर्ज करने वाले थाना पुलिस की मुसीबत बढ़ सकती है शब्बर अली पर मुकदमा दर्ज होने के बाद आक्रोशित पत्रकारों ने धरना प्रदर्शन भी किया
सुशील केसरवानी