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ब्रिटिश पीरियड के जमाने की 100 साल पहले की भूल फिर दोहरा रहे हैं रेलवे के अधिकारी
कौशाम्बी कहां पर अंडरग्राउंड पुल बनाना है और कहां पर अंडरग्राउंड पुल नहीं बनाना है इसको बिना देखे लगातार अंडरग्राउंड पुल बनाए जा रहे हैं अंडरग्राउंड पुल ग्रामीणों के लिए सुविधाजनक कम मुसीबत अधिक बन रहे हैं इसी तरह का एक ताजा मामला चायल तहसील क्षेत्र के मूरतगंज के समीप गेट नंबर 10 जीवन गंज और गेट नंबर 11 जलालपुर बोरियों में बनाए गए अंडरग्राउंड पुल का है जहां 2 घंटे के बारिश के बाद पुल में पूरी तरह से पानी भर गया है यह पुल स्विमिंग पूल बन गया है जिससे ग्रामीणों का आवागमन बंद हो गया है।
अब सवाल उठता है कि जब पहले से पानी निकासी की कार्य योजना पुल बनाने वाली कंपनी नहीं बना सकी थी तो पुल बनाए जाने की क्या जरूरत थी पहले पानी निकासी की व्यवस्था बनाया जाना था लेकिन पानी निकासी की तरफ विभागीय अधिकारियों और ठेकेदारों ने योजना बनाना उचित नहीं समझा ब्रिटिश पीरियड में भी रेलवे लाइन के नीचे अंडरग्राउंड पुल बनाए गए थे जिनके सामने भी यही समस्याएं थी बारिश के दिनों में पानी भर जाते थे ब्रिटिश पीरियड की भूल को रेलवे के अधिकारी दोहरा रहे हैं।
ग्रामीणों ने पुल में पानी भर जाने की सूचना जी०एम०आर कंपनी के अधिकारियों को दी है लेकिन ग्रामीणों की समस्या पर अधिकारियों के कानों में जूं नहीं रेंगी है जिससे ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है पुल में पानी भर जाने से पूरी तरह से रास्ता बाधित हो गया है अब सवाल उठता है कि जो भूल 100 साल पहले ब्रिटिश सरकार ने की थी वही भूल भारत सरकार के रेलवे अधिकारियों को करने की क्या जरूरत थी।
पुल बनाने के नाम पर करोड़ों की रकम खर्च की जा रही है आखिर अंग्रेजों की भूल पर इन अधिकारियों को चलने की क्या जरूरत थी यह बड़ी जांच का विषय है और जांच हुई तो पुल बनाने में लगे अधिकारियों का निजी स्वार्थ उजागर हो सकता है अंडरग्राउंड पुल में पानी की निकासी की व्यवस्था बनाए बिना पुल बनाया जाना विभागीय अधिकारियों की एक बड़ी साजिश का हिस्सा है जो बड़ी जांच का विषय है।