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- प्रसव पीड़िता से रकम...
प्रसव पीड़िता से रकम ना मिलने पर जल्लाद बनी नर्सों ने ले ली बच्चे की जान
कौशाम्बी योगी सरकार के भ्रष्टाचार मुक्त अभियान को स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर नर्स पलीता लगा रहे है लेकिन उसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था बनाने के प्रयास नहीं कर रहे हैं जिससे आम जनमानस पीड़ित है इसी तरह का एक मामला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नेवादा में देखने को मिला है जहां प्रसव पीड़िता से 15 हजार रुपए की डिमांड नर्सों ने की जब प्रसव पीड़िता के परिजनों ने नर्सों की डिमांड पूरी करने से इंकार कर दिया तो नर्स जल्लाद बन गई और जबरदस्ती गलत तरीके से महिला का प्रसव करा दिया है जिससे नवजात शिशु की मौत हो गई मामले की शिकायत पीड़ित महिला ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी से कर कार्यवाही की मांग की है लेकिन कई दिन बीत जाने के बाद भी आरोपी नर्स पर कार्रवाई नहीं हो सकी है।
सरकारी अस्पतालों में चिकित्सक ड्यूटी से गायब रहते हैं और सरकारी चिकित्सक निजी नर्सिग होम के संचालन में मस्त रहते हैं पूरी चिकित्सा व्यवस्था नर्सों के सहारे चलती है जिससे नर्स बेलगाम हो गई है लेकिन उसके बाद भी ना तो चिकित्सकों की ड्यूटी नियमों के अनुसार सीएमओ करा पा रहे हैं और ना ही नर्स के अत्याचार अवैध वसूली पर रोक लगा पा रहे हैं स्वास्थ्य विभाग में सब कुछ मनमानी तानाशाही पूर्वक चल रहा है इसी तानाशाही के चलते एक बार फिर नवजात शिशु की मौत हो गई है।
सीएमओ को दिए शिकायती पत्र के मुताबिक रेखा देवी पत्नी संगम लाल निवासी रामपुर खंडेवरा बिकास खण्ड नेवादा ने गर्भ के दौरान दो बार अल्ट्रासाउंड की जांच कराई दोनों बार उसका अल्ट्रासाउंड नॉर्मल बताया गया प्रसव पीड़ा होने पर पीड़िता को 26 अक्टूबर को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नेवादा एंबुलेंस में लाया गया है सरकारी अस्पताल लाने के बाद महिला को भर्ती करने के बाद स्टाफ नर्स द्वारा 15 हजार रुपए की डिमांड की गई ड्यूटी में तैनात नर्स ने महिला के परिजनों से कहा कि 15 हजार रुपए मिलने के बाद सब कुछ सामान्य तरीके से करवा देंगे लेकिन महिला के परिजनों ने अपनी गरीबी लाचारी का हवाला देते हुए नर्स को पैसा देने से इनकार कर दिया प्रसव के दौरान पीड़िता के परिजनों से रकम न मिलने पर सरकारी अस्पताल की नर्स जल्लाद बन गई और पीड़ित महिला के साथ अत्याचार अमानवीय व्यवहार करने लगी महिला का जबरजस्ती बलपूर्वक पेट दबा दबा कर उसका प्रसव कराया है।
इस दौरान महिला को असहनीय दर्द झेलना पड़ा नर्स के अमानवीय व्यवहार के चलते प्रसव के दौरान बच्चा की मौत हो गयी बच्चा खत्म होने के बाद महिला की सास से जबरदस्ती रेफर कागजात पर हस्ताक्षर कराया गया बच्चे की मौत के बाद रेफर कागजात में हस्ताक्षर कराए जाने पर महिला के पति ने विरोध किया पति के विरोध करने के बाद उससे झगड़ा लड़ाई नर्स करने लगी जिससे पूरे अस्पताल में हंगामा खड़ा हो गया सरकारी अस्पताल में प्रसव के दौरान अवैध वसूली का यह पहला मामला नहीं है प्रतिदिन अवैध वसूली के कारनामे जन-जन की जुबान में होते हैं और सरकारी अस्पताल की नर्स दबंग बन जाती हैं लेकिन उसके बाद भी प्रसव के दौरान अवैध वसूली के इस खेल पर स्वास्थ्य महात्मा के जिम्मेदार रोक लगाते नहीं दिख रहे हैं आखिर उनकी मंशा क्या है क्यों मरीजों के साथ नर्स और डॉक्टर अवैध वसूली कर रहे हैं यह तमाम सवाल योगी सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर रही है।