कौशाम्बी

बीस साल में एमएलसी यज्ञदत्त शर्मा ने स्नातकों के लिए क्या किया, कही है लेखा-जोखा

Shiv Kumar Mishra
27 Nov 2020 3:00 PM IST
बीस साल में एमएलसी यज्ञदत्त शर्मा ने स्नातकों के लिए क्या किया, कही है लेखा-जोखा
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हो सकता है पांचवीं बार अपने भाग्य आजमाइस में अपने प्रतिद्वंद्वियों को यज्ञ दत्त शर्मा फिर पछाड़ दे

स्नातक एमएलसी में ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता है जो स्नातक मतदाताओं की बेरोजगारी के निदान के लिए बन सके आवाज

कौशाम्बी बीते 20 वर्षों से इलाहाबाद झांसी स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से एमएलसी यज्ञदत्त शर्मा चुनाव जीत रहे हैं एमएलसी के चुनाव में हो सकता है कि पांचवीं बार भी अपने भाग्य आजमाइस में अपने प्रतिद्वंदियों को वह पछाड़ देंगे लेकिन बीते 20 वर्षों के बीच उन्होंने स्नातकों के लिए क्या किया है इसका कहीं लेखा-जोखा है स्नातक मतदाता इस बार एमएलसी प्रत्याशी यज्ञदत्त शर्मा से इसका लेखा-जोखा चाहते हैं 20 वर्ष से लगातार चुनाव जीतने के बाद भी वह स्नातकों की आवाज नहीं बन सके हैं जिससे स्नातक मतदाताओं के बीच खासा प्रतिरोध देखा जा रहा है

यज्ञ दत्त शर्मा ने एक छोटे से गांव से अपना सफर शुरू किया शुरुआती दौर में वह शिक्षक रहे फिर वह प्रधानाचार्य भी रहे इसके बाद वह प्रधानाचार्य परिषद के अध्यक्ष भी रहे लगातार 20 वर्षों से वह एमएलसी के पद पर काबिज हैं साफ-सुथरे छवि के व्यक्ति वह जाने जाते हैं हालांकि चाटुकारों से घिरे रहना उनके नाम से जुड़ा है और विधायक निधि की रकम से किये गए विकास भी चाटुकारो तक ही सीमित रह गयी जिनके लिए इनका चुनाव हुआ उनके लिए इन्होंने 20 वर्षों के बीच में सदन में क्या किया यह विचारणीय प्रश्न है

स्नातक मतदाताओं का यह दुर्भाग्य ही रहा है उनसे इन्होंने कभी भी राय विचार नहीं लिया स्नातकों से कहीं राय मशविरा लेकर शिक्षितो की बेरोजगारी दूर करने का प्रयास भी इनके द्वारा नहीं किया गया यह भी एक दुर्भाग्यपूर्ण विषय है वोट देने के बाद स्नातक मतदाताओं से यह कट जाते हैं हालांकि अभी यह भारतीय जनता पार्टी से भी जुड़ गए हैं लेकिन बीते 20 वर्षों के बीच यज्ञदत्त शर्मा ने स्नातक मतदाताओं के लिए सदन में क्या किया स्नातक मतदाताओं की समस्याओं को सदन में मुद्दा बना कर सदन में उठाकर स्नातक मतदाताओं के बेरोजगारी को दूर करने के लिए सदन में लड़ते रोजगार के लिए बेरोजगारों के पक्ष में सदन में जूझ जाते अपनी बात रखते और बेरोजगारों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए अथक प्रयास करते लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया है यह स्नातक मतदाताओं का दुर्भाग्य रहा है यह भी विचारणीय प्रश्न है और इस सवाल पर वह निरुत्तर हो जाते हैं

स्नातक मतदाता पढ़े लिखे व्यक्ति हैं और पढ़े-लिखे बेरोजगारों को रोजगार से कैसे जोड़ा जाए इसीलिए उच्च सदन विधान परिषद का गठन हुआ विधान परिषद के सदस्य के रूप में यज्ञ दत्त शर्मा बीते 20 वर्षों से चुनाव जीत रहे हैं बेरोजगार स्नातक मतदाताओं को रोजगार उपलब्ध कराने उन्हें मानदेय दिलाने रोजगार से जोड़ने के लिए बीते 20 वर्षों के बीच यह उनकी आवाज नहीं बन सके स्नातकों की आवाज इन्हें बनना चाहिए और दमदारी से स्नातकों के बेरोजगारी का मुद्दा इन्हें सदन में उठाकर बेरोजगारों के लिए रोजगार की व्यवस्था करानी चाहिए लेकिन यह केवल अपना उन्नयन और पारिवारिक संपत्ति मजबूत करते रह गए हैं

स्नातक एमएलसी में ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता है जो स्नातक मतदाताओं की आवाज बन सके उनकी समस्याओं के निराकरण स्नातक बेरोजगारों के प्रगति के लिए उन्हें कैसे स्वरोजगार से जोड़ा जाए अब एमएलसी प्रत्याशी में ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता है जो बेरोजगारों को रोजगार की ओर ले जा सके इसके विपरीत कोई आचरण करता है तो उसे स्नातकों के हित के विरुद्ध ही मान लिया जाएगा जिन विद्यालयों में इनके द्वारा विधायक निधि की रकम दी गई हैं उनमें 70% से अधिक विद्यालय केवल बोर्ड परीक्षा में खुलते हैं बाकी दिन यह विद्यालय बंद रहते हैं और उनमें भी माध्यमिक शिक्षा के कालेज सर्वाधिक है स्नातक मतदाताओं के सामने यह गंभीर विचारणीय प्रश्न है कि आने वाले एमएलसी के चुनाव में वह किस पर भरोसा जताते हैं हालांकि सभी प्रत्याशी एड़ी चोटी का जोर लगाकर अपनी जीत सुनिश्चित कर लेना चाहता है कोई किसी से अपने को कमजोर नहीं ऑक रहा है

सुशील केसरवानी

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