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मास्क को सही तरीके से पहनना है जरूरी वरना हो सकता है स्वास्थ्य को नुकसान
ललितपुर: कोरोना वायरस ने इस समय पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। कोई दवा या वैक्सीन इजाद ना होने तक इस संक्रमण से बस बचा जा सकता है। वायरस से बचने के मुख्यत: तीन उपाय ही बताये गये है कि नियमित अंतराल पर साबुन से हाथ धोना, मास्क का प्रयोग, उचित दूरी का पालन।
प्रशासन ने बाहर सार्वजानिक स्थानों पर मास्क अथवा गमछा को जरुरी कर दिया है। अत: मास्क नहीं पहनने पर जुर्माने का भी प्रावधान है। आजकल मास्क के कई प्रकार आगये हैं। कौन सा मास्क किसे कब और कहाँ करना चाहिए यह जानना बेहद जरूरी है। साथ ही इनके रखरखाव की भी जानकारी होना जरूरी है। जिला अस्पताल में कार्यरत महामारी रोग विशेषज्ञ (एपीडेमियोलोजिस्ट) डा.देशराज बताते हैं - मास्क मुख्यत: तीन प्रकार के होते है। सर्जिकल मास्क जिसे मेडिकल मास्क भी बोलते हैं, दूसरा फैब्रिक अर्थात कपडे के सिले मास्क, तीसरा रेस्पीरेट्री मास्क जैसे एन 957 वह बताते हैं किसी भी प्रकार के मास्क में मुख्यत: दो गुण होने चाहिए पहला वह हाइड्रोफोबिक दूसरा हाइड्रोफिलिक होना चाहिए। मास्क की बाहर की परत को हाइड्रोफोबिक अर्थात बाहर की नमी को अंदर आने से रोके और मास्क के अंदर की सतह को हाइड्रोफिलिक अर्थात नमी को बाहर जाने से रोकना।
किसे कौन सा मास्क प्रयोग करना चाहिए
मेडिकल मास्क या सर्जिकल मास्क को स्वास्थ कर्मी, संक्रमण के लक्ष्ण दिखने पर और व्यक्ति जो संक्रमित व्यक्ति या उपचाराधीन व्यक्ति की देखभाल कर रहा है उन्हें प्रयोग में लाना चाहिए। जिस जगह संक्रमण का फैलाव अधिक है और उचित दूरी का पालन सही तरीके से नहीं हो पा रहा है वहां पर 60 वर्ष से ऊपर से व्यक्ति और उपचाराधीन व्यक्तियों को मेडिकल मास्क का उपयोग करना चाहिए। फैब्रिक मास्क अथवा नॉन मेडिकल मास्क इन मास्क का प्रयोग ऑफिस, बाजार इत्यादि जगह पर करना चाहिए। कपडे के बने मास्क को बार बार धो कर प्रयोग किया जा सकता है। यह न सिर्फ सस्ता होता है बल्कि पर्यावरण के लिए भी अनुकूल होता है। इस तरह के मास्क को जयादा प्रयोग में लाना चाहिए। कपडे के मास्क हाइड्रोफिलिक होते हैं अर्थात नमी को बाहर जाने से रोकते हैं। इस प्रकार संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है। रेसिपीरेट्री मास्क उन्हें कहतें हैं जिन पर प्लास्टिक का वाल्व लगा होता है। साँस लेते समय वाल्व बंद हो जाता है और साँस को छोड़ते समय खुल जाता है। वाल्व द्वारा फिल्टर होकर हवा अंदर आती है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद् ने रेसिपीरेट्री मास्क को उपयोग में लाने के लिए मनाही करी है। इस मास्क को अगर संक्रमित व्यक्ति उपयोग में लाता है तो साँस छोड़ते समय वाल्व से संक्रमण के कण भी हवा में फैल जाते हैं। इन मास्क (एन 95) को वह स्वास्थ्य कर्मी उपयोग करे जो संक्रमित व्यक्ति का इलाज कर रहे हैं।
मास्क का रखरखाव
मास्क को पहनने और उतारने पर हाथों का साबुन से अच्छी तरह धुला होना बेहद जरुरी है। मास्क को पहनते समय उसका फिटिंग सही होना बेहद महत्वपूर्ण है। साथ ही मास्क को पूरा नाक मूंह और ठोड़ी को कवर करना चाहिए। इस स्थिति में ही मास्क का उपयोग कारगर है। कपडे के मास्क को दिन में एक बार साबुन से अच्छी तरह धोना जरूरी है। मेडिकल मास्क का प्रयोग सिर्फ एक बार ही किया जाना चाहिए उसके पश्चात् उसका सही तरीके से निस्तारण कर देना चाहिए।
ध्यान रखने वाली बातें
सही मास्क और सही फिटिंग के मास्क का चुनाव बेहद महत्वपूर्ण है। अगर मास्क तंग है तो साँस लेने में दिक्कत हो सकती है इस तरह के मास्क को पहनने से बचना चाहिए और साथ ही तंग मास्क पहनने से वार्तालाप करने में भी परेशानी आ सकती है। तंग मास्क पहनने से त्वचा पर संक्रमण होने का खतरा होता है। धुले हुए हाथों से मास्क को पहनने के बाद किसी भी तरह से मास्क को छूने से बचना चाहिए। मास्क को बेवजह छूने से संक्रमण का खतरा हो सकता है। गीले व् गंदे मास्क को पहनने से बचना चाहिए। साथ ही मास्क को किसी के साथ शेयर करने से भी बचना चाहिए।.
रिपोर्ट : राहुल साहू