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- उत्तर प्रदेश में अभी...
उत्तर प्रदेश में अभी क्या चल रहा है आइये जानते हैं...
यूपी में किसानों का आंदोलन जारी है दरअसल उत्तर प्रदेश में गन्ना एक प्रमुख फसल है. गन्ने की लागत बहुत ज्यादा बढ़ गई है. जब योगी सरकार 2017 में आयी थी तो उन्होंने कहा था कि गन्ने की डेढ़ गुनी कीमत देंगे, जबकि पिछले चार साल में गन्ने के रेट में मात्र 10 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ोत्तरी की गई है.
योगी सरकार के विरोध में महिला-पुरुष शिक्षक इतने परेशान है कि उन्होंने कुछ महीने पहले अपना मुंडन तक करा लिया पर सरकार के कानों पर जू नही रेंग रही है.
आज अभी उत्तर प्रदेश के कई जिलों के हालात डेंगू और वायरल बुखार के चलते हालात लगातार बिगड़ते जा रहे है सेैकड़ो मौते रोज हो रही है, स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई है सरकारी OPD में आठ आठ घण्टे में नम्बर आता है, लोग अस्पताल अस्पताल भटक रहे हैं.
यूपी के कोरोना प्रबंधन की पोल दूसरी लहर की पीक आने पर ही खुल गयी थी जब सैकड़ो मरीजो ने आक्सीजन के अभाव में दम तोड़ दिया, ओर गंगा किनारे हजारो लाशों लोगो ने दफन कर दी थी, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई लेकिन कोई सुनवाई नही हुई बल्कि ऑक्सीजन से एक मौत भी नही मानी गयी और खुद मुँह मियां मिट्ठू बनते हुए कोरोना प्रबंधन में स्वंय को श्रेष्ठ सरकार घोषित कर दिया
कुछ महीने पहले पुर्वी उत्तर प्रदेश के कम से कम 20 जिलों में दो दिनों तक लाइट नही थी कारण यह था कि बिजली कर्मियों ने हड़ताल कर दी थी, बिजली कर्मी आज भी परेशान है उनकी कोई सुनवाई नही हुई है.
बिजली के बढ़ते रेट से पूरा उत्तर प्रदेश परेशान है क्या शहरी क्या ग्रामीण !... नलकूप से लेकर अवासीय दोनों तरह की बिजली के रेट बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं. महंगाई की मार झेल रही जनता को बिल भरने में कठिनाई हो रही है.
लगातार हो रही बारिश में ड्रैनेज सिस्टम ओर नयी बनी सड़कों की पोल भी खुल गयी है
उधर प्रदेश भर के एम्बुलेंस कर्मी आंदोलनरत है क्योंकि
योगी सरकार ने एक घोटालेबाज कंपनी को पूरे प्रदेश में एम्बुलेंस संचालन का ठेका दे दिया है
किसानों की फसलें बर्बाद हों रही है क्योंकि आवारा पशु आकर उनकी खेती तबाह कर रहे हैं
यह सब हो रहा है और इसका प्रबंधन करने के बजाए मुख्यमंत्री योगी वही घिसा पिटा 'अब्बाजान - अब्बाजान' का जाप कर रहे है
बड़ा सवाल यह है कि जनता इन मुद्दों पर वोट करेगी या इस बार भी हिन्दू मुस्लिम पर वोट करेगी