लखनऊ

UP NEWS: यूपी में बदलेगा 115 साल पुराना नियम, अब आसान होगी रजिस्ट्री की भाषा

Shiv Kumar Mishra
6 Dec 2023 2:40 PM IST
UP NEWS:  यूपी में बदलेगा 115 साल पुराना नियम, अब आसान होगी रजिस्ट्री की भाषा
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115 years old rule will change in UP, now the language of registry will become easier

उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले विभागों में से एक स्टांप और पंजीकरण में 115 साल पुराना नियम खत्म होगा। रजिस्ट्री में उर्दू-फारसी की कठिन और जटिल भाषा की जगह हिन्दी की आसान भाषा लेगी। इसकी शुरुआत सब रजिस्ट्रार से होगी। इसके तहत सब रजिस्ट्रार के लिए उर्दू-फारसी की परीक्षा पास करने की अनिवार्यता को समाप्त किया जाएगा। संबंधित प्रस्ताव को जल्द कैबिनेट में पेश किया जाएगा।

स्टांप एवं पंजीकरण वर्ष 1908 में बने रजिस्ट्रेशन एक्ट के अधीन चलता है। अंग्रेजों के जमाने का ये कानून आज भी चल रहा है। उस दौर में हिंदी के साथ उर्दू-फारसी भाषा भी बोलचाल का हिस्सा थी। अंग्रेजों ने खास रणनीति के तहत उर्दू-फारसी को सरकारी दस्तावेजों में ज्यादा बढ़ावा दिया। तब से रजिस्ट्री की भाषा में उर्दू-फारसी शब्दों का इस्तेमाल बढ़ता गया। वर्तमान में स्थिति ये है कि लोक सेवा आयोग से चुनकर आने के बाद सब रजिस्ट्रार को उर्दू इमला की परीक्षा पास करना अनिवार्य है। इसमें उर्दू के शब्दों को सही अनुवाद और सही व्याकरण के साथ लिखना व समझाना होता है। सब रजिस्ट्रार का प्रोबेशन काल दो वर्ष का है। उर्दू इमला की परीक्षा पास किए बिना नौकरी स्थायी नहीं होती है।

उर्दू की इतनी अहमियत की वजह से ही सब रजिस्ट्रार स्तर से रजिस्ट्री व स्टांप के दस्तावेजों में उर्दू-फारसी शब्दों के इस्तेमाल को प्राथमिकता दी जाती है। जटिल शब्द होने के कारण रजिस्ट्री की भाषा आम लोगों के समझ के बाहर होती है। आज के दौर में इस परीक्षा का कोई औचित्य नहीं रह गया है। अब उर्दू इमला परीक्षा की जगह सामान्य कंप्यूटर ज्ञान की परीक्षा होगी। केवल इसे ही पास करना होगा। इसका असर रजिस्ट्री में भी दिखेगा और सामान्य कामकाज की भाषा में हिंदी का अधिकाधिक इस्तेमाल होगा। इसके बाद रजिस्ट्रेशन एक्ट-1908 में भी आमूलचूल परिवर्तन की तैयारी की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि दस्तावेजों की भाषा सरल होना चाहिए, जिसे आम आदमी भी आसानी से समझ सके।

दस्तावेजों में इस्तेमाल होने वाले कुछ कठिन शब्द-

-रकबा (क्षेत्रफल), सकूनत (निवास), बैनामा (विक्रयपत्र), तरमीम (बदल देना), वल्दियत (पिता का नाम बताना), जोजे (पत्नी), बयशुदा(खरीदी), वारिसान (उत्तराधिकारी), रहन (गिरवी), साकिन (निवासी), बैय (जमीन बेचना), मिनजानिब (की ओर से), खुर्द (छोटा), कलां (बड़ा), शजरा परचा (कपड़े पर बना खेतों का नक्शा), शजरा किस्तवार (ट्रेसिंग पेपर पर बना खेतों का नक्शा), शजरा नसब (भूमिदारों की वंशावली), मिनजुमला (मिलाजुला भाग), वल्द (पिता), दुख्तर (बेटी), कौमियत (जाति), शामलात (साझी भूमि), मुंद्रजा (पूर्वलिखित), राहिन (गिरवी देने वाला), बाया (जमीन बेचने वाला), वाहिब (उपहार देने वाला) व मौहबइला (उपहार लेने वाला) आदि।

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