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यूपी में ट्रिपल तलाक अध्यादेश के बाद आये 1434 तीन तलाक के केस, जानिए क्या हुआ इन केसों में?
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तीन तलाक बिल को मंजूरी दे दी गई थी. इस मंजूरी के साथ ही देश में तीन तलाक कानून 19 सितबंर, 2018 से लागू हो गया था. बता दें, राज्यसभा से तीन तलाक बिल पास हुआ था. इसके बाद इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था. लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी तीन तलाक बिल पास हो गया था. बिल के पक्ष में 99 और विपक्ष में 84 वोट पड़े थे. उसके बाद इस बिल को राष्ट्रपति के पास भेजा गया था.इससे पहले राज्यसभा में तीन तलाक बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव वोटिंग के बाद गिर गया. प्रस्ताव के पक्ष में 84 और विपक्ष में 100 वोट पड़े थे. बिल का विरोध करने वाली कई पार्टियां वोटिंग के दौरान राज्यसभा से वॉकआउट कर गई थीं. इस बिल में तीन तलाक को गैर कानूनी बनाते हुए 3 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान शामिल है.
यूपी में एक साल में कितने केस आये
उत्तर प्रदेश सरकार के अपर पुलिस महानिदेशक लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने जानकारी देते हुए बताया जब से ट्रिपल तलाक अध्यादेश पारित हुआ है तब से मई 2020 के अंत तक 1434 अभियोग ट्रिपल तलाक के संबंध में पंजीकृत हुए हैं. जिसमें 265 मामलों में चार्जशीट दाखिल हुई है, 50 मामलों में फाइनल रिपोर्ट लगी है. 1119 प्रकरण अभी भी विवेचनाधीन हैं. जिनमें पुलिस अभी विवेचना कर रही है.
तीन तलाक देने पर ये हैं प्रावधान
1. मौखिक, लिखित या किसी अन्य माध्यम से पति अगर एक बार में अपनी पत्नी को तीन तलाक देता है तो वह अपराध की श्रेणी में आएगा.
2. तीन तलाक देने पर पत्नी स्वयं या उसके करीबी रिश्तेदार ही इस बारे में केस दर्ज करा सकेंगे.
3. महिला अधिकार संरक्षण कानून 2019 बिल के मुताबिक एक समय में तीन तलाक देना अपराध है. इसलिए पुलिस बिना वारंट के तीन तलाक देने वाले आरोपी पति को गिरफ्तार कर सकती है.
4. एक समय में तीन तलाक देने पर पति को तीन साल तक कैद और जुर्माना दोनों हो सकता है. मजिस्ट्रेट कोर्ट से ही उसे जमानत मिलेगी.
5. मजिस्ट्रेट बिना पीड़ित महिला का पक्ष सुने बगैर तीन तलाक देने वाले पति को जमानत नहीं दे पाएंगे.
6. तीन तलाक देने पर पत्नी और बच्चे के भरण पोषण का खर्च मजिस्ट्रेट तय करेंगे, जो पति को देना होगा.
7. तीन तलाक पर बने कानून में छोटे बच्चों की निगरानी और रखावाली मां के पास रहेगी.
8. नए कानून में समझौते के विकल्प को भी रखा गया है. हालांकि पत्नी के पहल पर ही समझौता हो सकता है लेकिन मजिस्ट्रेट की ओर से उचित शर्तों के साथ.
सुप्रीम कोर्ट ने घोषित किया था असंवैधानिक
बता दें कि सायरा बानो केस पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने 2017 में तीन तलाक को गैर-कानूनी करार दिया था. अलग-अलग धर्मों वाले 5 जजों की बेंच ने 3-2 से फैसला सुनाते हुए सरकार से तीन तलाक पर छह महीने के अंदर कानून लाने को कहा था. दो जजों ने इसे असंवैधानिक कहा था, एक जज ने पाप बताया था. इसके बाद दो जजों ने इस पर संसद को कानून बनाने को कहा था.
कब क्या हुआ
संसद में यह बिल लोकसभा से तीन बार पास हुआ, लेकिन राज्यसभा में अटक गया था. इसके बाद इसे कानूनी जामा पहनाने के लिए सरकार ने अध्यादेश का रास्ता चुना है. हालांकि 6 महीने के अंदर इस पर संसद की मुहर लगनी जरूरी थी.
सरकार कब-कब लाई अध्यादेश
तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद इसका इस्तेमाल होने पर सरकार सितंबर 2018 में अध्यादेश लाई. तीन तलाक देने पर पति को तीन साल की सजा का प्रावधान रखा गया. हालांकि, किसी संभावित दुरुपयोग को देखते हुए विधेयक में अगस्त 2018 में संशोधन कर दिए गए थे.
जनवरी 2019 में इस अध्यादेश की अवधि पूरी होने से पहले दिसंबर 2018 में एक बार फिर सरकार बिल को लोकसभा में नए सिरे से पेश करने पहुंची. 17, दिसंबर 2018 को लोकसभा में बिल पेश किया गया. हालांकि, एक बार फिर विपक्ष ने राज्यसभा में इसे पेश नहीं होने दिया और बिल को सिलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग की जाने लगी. एक बार फिर बिल अटक गया.
तीन तलाक पर 20 देशों में है प्रतिबंध
तीन तलाक को कई मुस्लिम देशों ने बैन कर रखा है. इन देशों का जिक्र सुप्रीम कोर्ट में ट्रिपल तलाक पर बने पैनल ने भी किया था. पैनल ने ताहिर महमूद और सैफ महमूद की किताब मुस्लिम लॉ इन इंडिया का जिक्र किया. इसमें अरब के देशों में तीन तलाक को समाप्त किए जाने की बात कही है.