लखनऊ

इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिली यूपी के 30 हजार कर्मचारियों को राहत, 7000 हजार वाले दैनिक कर्मियों को मिलेगा 2018 से 18000 हजार प्रति माह

Shiv Kumar Mishra
16 Dec 2023 8:09 AM GMT
इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिली यूपी के 30 हजार कर्मचारियों को राहत, 7000 हजार वाले दैनिक कर्मियों को मिलेगा 2018 से 18000 हजार प्रति माह
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अपर मुख्य सचिव पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मनोज सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अनुपालन हलफनामा दाखिल कर बताया कि सरकार इन्‍हें 30 हजार रुपये प्रतिमाह देने जा रही है। कोर्ट में बताया गया कि जिन दैनिक कर्मियों को 7000 रूपये दिये जा रहे है।

प्रयागराज: इलाहबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के वन विभाग के 36 हजार से अधिक कार्यरत दैनिक वेतनभोगी कर्मियों को बड़ी राहत दी है. अपर मुख्य सचिव पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मनोज सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अनुपालन हलफनामा दाखिल कर बताया कि वन विभाग के जिन दैनिक कर्मियों को छठे वेतन आयोग से 7000 रूपये दिये जा रहे हैं, सभी को 1 अप्रैल 18 से बकाये सहित प्रतिमाह 18,000 रूपये वेतन दिया जायेगा. जो सेवा में नियमित हो चुके हैं उन्हें भी इसी दर से बकाये का भुगतान किया जायेगा.

मनोज सिंह ने कोर्ट से आश्वाशन देते हुए कहा, यह कार्य एक हफ्ते में कर दिया जाएगा और 20 वर्ष से अधिक समय से कार्यरत शेष दैनिक कर्मियों के न्यूनतम वेतनमान भुगतान की नीति तैयार कर ली जायेगी. अपर महाधिवक्ता अशोक मेहता ने भी इसी तरह का आश्वासन दिया और कहा कि अगली सुनवाई की तिथि 15 जनवरी तक सभी कर्मियों को न्यूनतम वेतनमान देने की नीति तैयार कर ली जायेगी.

कोर्ट ने कहा है कि वन विभाग के कार्यरत सभी दैनिक कर्मचारियों को कार्य करने दिया जायेगा. किसी को भी आउटसोर्सिंग कर्मचारी रखकर हटाया नहीं जायेगा. कोर्ट ने कहा कि अपर मुख्य सचिव पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन या सचिव स्तर के नामित अधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी बनेगी, जिसमें सरकार व वन विभाग के पांच या छह अधिकारी सदस्य होंगे. कमेटी में प्रमुख चीफ वन संरक्षक भी सदस्य होंगे. यह कमेटी वन विभाग के सभी कार्यरत दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को न्यूनतम वेतनमान देने की नीति तैयार करेगी. जिसे अपर मुख्य सचिव द्वारा अनुपालन हलफनामा के मार्फत कोर्ट में पेश किया जाएगा. याचिका की अगली सुनवाई 15 जनवरी को होगी.

यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार ने गोरखपुर वन विभाग में कार्यरत दैनिक कर्मी विजय कुमार श्रीवास्तव की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है. याची अधिवक्ता ने सरकारी अधिकारियों के पिछले रवैए के आधार पर आदेश का पालन होने पर आशंका जताई कहा आश्वासन के बाद अधिकारी पलट सकते हैं. जवाब में अपर महाधिवक्ता ने कहा पिछली बातें भूले, सरकार ईमानदारी व गम्भीरता से नीति तैयार करने जा रही है. एक हफ्ते में भुगतान होगा और नीति बनेगी. संदेह का कोई कारण नहीं है.

कोर्ट ने उम्मीद जताई कि अधिकारी अपने शब्दों पर अमल करेंगे और 10-20 साल से अधिक समय से कार्यरत दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को न्यूनतम वेतनमान देने की नीति बनेगी. किसी को हटाया नहीं जायेगा.

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