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यूपी में 812 फर्जी बेसिक शिक्षकों की सेवा समाप्त, एफआईआर दर्ज कराने के आदेश
प्रयागराज। फर्जी प्रमाण-पत्रों के आधार पर बेसिक शिक्षा विभाग के विद्यालयों में नौकरी पाने वालों पर उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को बड़ी कार्रवाई की। ऐसे 812 लोगों की सेवा समाप्त कर दी गई। इन सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया गया है।
गौरतलब है कि इन शिक्षकों का आगरा विश्वविद्यालय की बीएड डिग्री के आधार पर चयन हुआ था। पिछले दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इनकी डिग्री को फर्जी करार दिया था। अब बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव प्रताप सिंह बघेल ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों को आदेश दिया है कि नियमानुसार कार्रवाई करें। साथ ही यदि इन शिक्षकों का दूसरे जिले में स्थानांतरण हो गया है तो संबंधित बीएसए को सूचित करें।
हाईकोर्ट ने विशेष अपीलकर्ता किरनलता सिंह व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य मामले में 26 फरवरी, 2021 को परिषदीय विद्यालयों में तैनात 814 शिक्षकों की बीएड डिग्री को फर्जी करार दिया था। बेसिक शिक्षा परिषद सचिव प्रताप सिंह बघेल ने उसी के अनुपालन के लिए आदेश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि दो अभ्यर्थियों अनीता मौर्या पुत्री भोला सिंह टीआरके कॉलेज अलीगढ़ व विजय सिंह पुत्र हरि सिंह केआरटीटी कॉलेज मथुरा को छोड़कर अन्य 812 अभ्यर्थियों की डिग्री फर्जी होने की पुष्टि की गई है। जिलों में कार्यरत इन शिक्षकों को चिन्हित करके नियमानुसार सेवा समाप्ति व एफआईआर की कार्रवाई की जाए।
हाईकोर्ट ने सात अभ्यर्थियों के संबंध में उपलब्ध कराए गए अभिलेखों के आधार पर विश्वविद्यालय व राज्य को आदेश की तारीख से एक माह का समय पुनर्विचार के लिए दिया है। इनमें सुरेंद्र कुमार पुत्र मंजू लाल, राजीव सिंह यादव पुत्र राम लदित यादव, संदीप कुमार पुत्र अजय पाल सिंह, रीता गौतम पुत्री श्रीराम गौतम, रीता यादव पुत्री जानकी लाल यादव, अनिरुद्ध पुत्री राजेंद्र सिंह व रेखा लवनिया पुत्री विजेंद्र सिंह की सेवा एक माह तक जारी रहेगी।
बेसिक शिक्षा परिषद सचिव प्रताप सिंह बघेल ने लिखा है कि जिन अभ्यर्थियों के अंकपत्र में कूटरचना की गई है, उनके संबंध में हाईकोर्ट के आदेश की तारीख से चार माह का समय निर्णय लेने के लिए दिया गया है। यदि किसी विश्वविद्यालय की ओर से किसी अभ्यर्थी के अंकपत्र को टेंपर्ड घोषित किया जाता है तो ऐसे अभ्यर्थियों की सेवा समाप्ति विश्वविद्यालय की ओर से पारित आदेश की तारीख से मान्य होगी। इसलिए टेंपर्ड श्रेणी के चिन्हित अभ्यर्थियों की सेवा विश्वविद्यालय से निर्णय आने से चार माह तक के अधीन रखी जाएगी।