लखनऊ

आखिर अजय कुमार लल्लू की मेहनत का जनाजा खुद क्यों निकाल रही है कांग्रेस!

Shiv Kumar Mishra
23 Sep 2020 4:04 AM GMT
आखिर अजय कुमार लल्लू की मेहनत का जनाजा खुद क्यों निकाल रही है कांग्रेस!
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पहली बार क्षेत्रीय दल सपा बसपा कमजोर हुए है और कांग्रेस को खड़ा होने में मदद दिख रही है लेकिन कांग्रेस अपने पुराने ढर्रे से बाहर नहीं निकाल पा रही है आखिर क्यों?

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में अब सिर्फ डेढ़ साल का समय बाकी है. उसमें लगभग चार माह पहले चुनाव प्रक्रिया शुरू हो जायेगी. अर्थात सिर्फ एक साल बाकी है. उस लिहाज से यूपी में बीजेपी विरोधी मतदाता अभी प्रदेश में बीजेपी के विकल्प के तलाश में जुटा हुआ है. उसे कोई सार्थक विकल्प दीखता नजर नहीं आ रहा है.

यूपी में मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी और बहुजन समाज पार्टी है लेकिन ये दोनों पार्टियाँ अभी किसी विरोध के मुद्दे पर मुखर होकर सरकार का विरोध नहीं कर पारही है. जिससे आम मतदाता खासकर इन पार्टियों के जीत का कैडर वोट माने जाने वाला मुस्लिम मतदाता असमजंस में जी रहा है. उधर मुस्लिम का रुझान कांग्रेस की तरफ दिख रहा है लेकिन कांग्रेस अपने जुझारू प्रदेश अध्यक्ष की छवि को भुना नहीं पा रही है तो मदमस्त बीजेपी अपनी चाल में मस्त नजर आ रही है.

बता दें कि यूपी के सोनभद्र से कांग्रेस महासचिव और यूपी की प्रभारी प्रियंका गांधी ने जो खुलकर विरोध किया तो उससे प्रियंका गाँधी में पूर्व पीएम स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गाँधी की तस्वीर दिखाई देने लगी. रात के समय जब प्रियंका जमीन पर बैठकर गरीब मजलूमों की लड़ाई लड़ रही थी तब सब उनसे खुश नजर आये. उसके बाद कांग्रेस यूपी के जमीन से जुड़े और बेहद गरीब परिवार से राजनीत में कदम रखने वाले अजय कुमार लल्लू ने उनके इस अभियान ने चार चाँद लगा दिए. और सबसे ज्यादा किसी राजनैतिक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का जेल जाने का रिकार्ड कायम किया. अब तक लगभग ढाई दर्जन से ज्यादा बार योगी सरकार में जेल जा चुके है.

लेकिन उनकी इस मेहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है. क्योंकि कांग्रेस पार्टी के प्रत्येक अभियान की हवा मीडिया निकालने को तैयार बैठा रहता है और उसमें कांग्रेस के वो वरिष्ठ लोग शामिल होते है जो प्रियंका और राहुल के सबसे ज्यादा चहेते होते है. यूपी में कई नेताओं से जो बातचीत का लब्बोलुआब निकला उसके मुताबिक वहीं नेता यूपी कांग्रेस को चला रहे है जिन्हें प्रदेश की राजनीत का कतई ज्ञान नहीं है न ही उनका सोशल मीडिया से कोई सरोकार है. तो कांग्रेस की नैया को आखिर पार कौन लगाएगा. यह एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है. बीजेपी के भारी भरकम आईटी सेल का सामना यूपी में किसी भी पार्टी में करने का दम फिलहाल नजर नहीं आ रहा है. जहां यूपी में बीजेपी ने चुनाव लड़ना आरंभ कर दिया है तो वहीं विपक्षी पार्टियां अपने दडबे से निकल नहीं पा रही है तो आखिर चुनाव में प्रतिरोध तो दूर टिकना भी मुश्किल नजर आएगा.

कांग्रेस के ये बड़े नेता प्रियंका के इतने चहेते है कि इनके बगैर यूपी कांग्रेस में पत्ता तक नहीं हिलता है और इनके कहने मात्र से तूफ़ान आता है. इन्ही नेताजी की वजह से प्रियंका का सोनभद्र प्रोगाम भी नष्ट हो गया. जब मीडिया इन नेताजी को पेल रही थी. आखिर इसका ज्ञान राहुल और प्रियंका को कब होगा? यह भी अभी सवाल बना हुआ है. जहाँ पिछले लोकसभा चुनाव में जीतने से पहले मंत्रीमंडल का गठन कराने वाली मीडिया इंचार्ज का आज तक पता नहीं है. आखिर इतनी बड़ी पार्टी के ये हश्र हो क्यों रहा है और उनके बड़े चेहरे इस पार बात खुलकर बोलते क्यों नहीं है. जहां यूपी का ब्राह्मण खुलकर एक बार कांग्रेस के साथ आना चाहता है तब कांग्रेस की छवि ब्राह्मण विरोधी बनाने के किस बड़े नेता ने यूपी में ठेका लिया है.

जमीनी स्तर पर बातचीत करने पर पता चलता है कि अगर अजय कुमार लाल्लुको खुलकर मैदान में पिच पर छोड़ा जाय तो शतक की उम्मीद की जा सकती है और अगर प्रियंका उक्त नेता को मोह छोड़कर पार्टी बचाने के लिए मैदान में आज से कूद पड़ें तो अप्रत्याशित नहीं होगा कि यूपी में कांग्रेस अपनी सरकार बना ले. लेकिन इसके लिए प्रियंका गाँधी को किसान आन्दोलन , डीजल के भाव , बिजली पानी के मुद्दे पर खुलकर बोलना होगा. कांग्रेस को अभी पिच पर खुला मैदान मिल रहा है जो 1989 से आज तक नहीं मिला है . पहली बार क्षेत्रीय दल सपा बसपा कमजोर हुए है और कांग्रेस को खड़ा होने में मदद दिख रही है लेकिन कांग्रेस अपने पुराने ढर्रे से बाहर नहीं निकाल पा रही है आखिर क्यों?

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