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अखिलेश ने किया बड़ा खुलासा, बीजेपी से तीन सौ विधायक नाराज इसलिए हो रहा है पुलिस का जनता पर अत्याचार
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर से लोगों में नाराजगी है। कहा कि गांवों में जाकर चुनाव परिणामों के बारे में पूछने पर लोग कहते हैं कि यह समझ से परे है कि गठबंधन हार गया। बोले केंद्र ने नोटबंदी का फैसला लिया तो कहा था कि यह जनता के हित में है, लेकिन इसके नतीजे सामने हैं। इसी तरह का फैसला जीएसटी का था। अब तो बड़े-बड़े अर्थशास्त्री भी इन फैसलों से बड़े आर्थिक संकट की बात कहने लगे हैं। बैंकिंग व्यवस्था बिगड़ गई है। एनपीए बढ़ रहा है। पूछा कि आप इसके चक्रव्यूह से कैसे निकलेंगे?
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए अखिलेश यादव ने बताया कि अगर वे सीएम होते तो किसी भी नेता को विरोध करने से नहीं रोकते। अपने कार्यकाल के बारे में बोलते हुए कहा कि मुजफ्फरनगर की घटना के दौरान कुछ अपवादों को छोड़कर मैंने किसी भी नेता को वहां जाने से नहीं रोका था। मैंने तो यह भी कहा था कि मैं गरीबों की भलाई में किसी भी सुझाव का समर्थन करूंगा। पीएम मोदी के कपड़ों से पहचान वाली टिप्पणी पर बोले अगर कपड़े से लोगों को पहचान सकते हैं तो प्रधानमंत्री जी अपने बगल के लोगों को नहीं पहचान सके। अगर कपड़ों से पहचान सकते हैं तो कैसे नहीं पाए कि हमारे मुख्यमंत्री जी कि विचारधारा क्या कहती है।
सपा मुखिया ने कहा कि मैंने सुना है कि जेपी आंदोलन या लोहिया के आह्वान के समय कैसे लोग एक आवाज पर बाहर निकलते थे। लेकिन मैंने पहली बार देखा कि अब लोग विरोध में घर से बाहर खुद निकल रहे हैं। ये वे लोग हैं जो भारत माता से प्रेम करते हैं। जो महसूस करते हैं कि हमारे संविधान और इसकी प्रस्तावना के साथ खेल किया जा रहा है। हर जाति और धर्म के लोग बाहर निकल रहे हैं। पूरा भारत बाहर निकल रहा है। बीजेपी इन्हें पहचान नहीं पा रही है।
बोले कार्ल मार्क्स के दिनों में भी जब वह अपने विचारों को जनता के बीच ले जाना चाहता था, तब सरकार ने प्रेस पर नकेल कस दी थी। हिटलर के वक्त उनके विश्वसनीय सलाहकार गोएबल्स ने रेडियो स्टेशनों पर नियंत्रण कर लिया था। पूछा क्या आज भी वैसा ही नहीं हो रहा है? कहा कि सीएम योगी से उनके 300 से ज्यादा विधायक नाराज हैं। वह अपनी कुर्सी बचाने के लिए पुलिस को फ्री हैंड छोड़ दिए हैं।
नहीं चाहिए NRC-NPR,
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) December 31, 2019
हमें चाहिए रोज़गार। pic.twitter.com/R12QKIqDb2