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- IAS अनुराग तिवारी की...
IAS अनुराग तिवारी की मौत की जांच की CBI ने क्लोजर रिपोर्ट की दाखिल
लखनऊ : कर्नाटक कैडर के आईएएस अनुराग तिवारी की लखनऊ में हत्या नहीं की गई थी बल्कि उनकी मौत सड़क पर गिरने की वजह से हुई थी। सीबीआई को पड़ताल में हत्या या आत्महत्या जैसा कोई साक्ष्य नहीं मिला है। लिहाजा सीबीआई ने अनुराग तिवारी की मौत की जांच खत्म करते हुए कोर्ट में मंगलवार को क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी है।
सीबीआई के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट सुब्रत पाठक ने क्लोजर रिपोर्ट पर सुनवाई के लिए सात मार्च की तारीख तय की है। उन्होंने क्लोजर रिपोर्ट पर सुनवाई के लिए अनुराग तिवारी के भाई मयंक को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है। मयंक तिवारी ने इस मामले में हत्या का आरोप लगाया था और पांच दिन बाद हत्या की एफआईआर दर्ज करायी थी।
भाई के आरोपों के पक्ष में कोई साक्ष्य नहीं
अनुराग तिवारी बंगलुरु में कमिश्नर पद पर तैनात थे। मूल रूप से बहराइच निवासी अनुराग तिवारी मीराबाई मार्ग स्थित वीआईपी गेस्ट हाउस में एलडीए के वीसी प्रभु एन. सिंह के साथ रुके हुए थे। उनकी मौत के मामले की सीबीआई जांच के आदेश के बाद इंस्पेक्टर पूरन कुमार इसकी विवेचना कर रहे थे। इस सम्बन्ध में अनुराग के भाई मयंक ने हत्या का आरोप लगाया था। सीबीआई ने कोर्ट में कहा कि मयंक के लगाये गये आरोपों का कोई भी स्वतंत्र, निष्पक्ष मौखिक, दस्तावेजी और तकनीकी साक्ष्य मौजूद नहीं है।
एम्स की मेडिकल रिपोर्ट का भी जिक्र
सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में लिखा है कि अनुराग की मौत के बारे में पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर एम्स के डॉक्टरों के पैनल से राय ली गई। इन डॉक्टरों ने भी कहा कि हत्या या आत्महत्या जैसी कोई बात इसमें नहीं दिख रही है। डॉक्टरों ने ही सीबीआई को अपनी राय दी कि अनुराग की मौत अचानक सड़क पर गिरने से होना पाया गया है। सीबीआई ने कहा कि अनुराग के परिवारीजनों द्वारा लगाये गये आरोपों के सभी पहलुओं की जांच की गई पर ये सब निराधार ही पाये गये। भाई मयंक सीबीआई को इस बात का भी संतोषजनक जवाब नहीं दे सका कि घटना के पांच दिन बाद एफआईआर क्यों लिखायी गई।
सीबीआई ने अनुराग को ईमानदार बताया
सीबीआई ने अपनी 23 पन्ने की क्लोजर रिपोर्ट में अनुराग तिवारी को ईमानदार अधिकारी बताया है। सीबीआई ने लिखा है कि नौकरी के 10 साल में अनुराग का सात-आठ बार तबादला हुआ था।
यह थी घटना
17 मई 2017 की सुबह मीराबाई मार्ग पर सड़क किनारे अनुराग तिवारी का शव संदिग्ध हालात में मिला था। वह दो दिन स्टेट गेस्ट हाउस के कमरा नंबर-19 में ठहरे थे। 25 मई, 2017 को मयंक तिवारी ने अपने आईएएस भाई अनुराग तिवारी की मौत के मामले में हजरतगंज कोतवाली में अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। मयंक ने आरोप लगाया था कि उनके भाई के पास कर्नाटक के एक बड़े घोटाले की फाइल थी। उन पर इस फाइल पर हस्ताक्षर करने का दबाव बनाया जा रहा था।
अनुराग की मौत पर उठे थे यह सवाल
1- कर्नाटक के आईएएस रुके, किसी को पता नहीं
2- सुबह फ्लाईट पकड़नी थी तो टहलने क्यों जायेंगे
3- मौत के बाद भी फोन कौन उठाता रहा
4- मोबाइल कमरे में क्यों छोड़ गये थे
5- पुलिस ने एक्सीडेंट क्यों बताया था