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शिक्षा मित्रों के समायोजन के समय तीन सवाल प्रमुख थे, इन सवालों का जबाब क्या सरकार से मिला?
उत्तर प्रदेश के शिक्षा मित्र 20 वर्ष से अपने मानदेय की लड़ाई लड़ते आ रहे है। इस दौरान शिक्षा मित्र का समायोजन तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार द्वारा किया गया जिसे सुप्रीमकोर्ट ने योगी आदित्यनाथ सरकार में जस्टिस एके गोयल और जस्टिस यू.यू ललित की बेंच ने आदेश देते हुए समायोजन रद्द कर दिया था। यह समायोजन रद्द करने की घोषणा तत्कालीन यूपी के विशेष सचिव, शासन देव प्रताप सिंह ने एक आदेश जारी करते हुए शिक्षामित्रों का समायोजन कैंसिल कर दिया। शिक्षामित्रों को अब 11 महीने तक सिर्फ 10 हजार रुपया मानदेय दिया जाएगा।
तब से लेकर आज तक शिक्षा मित्र का वेतन 2017 के बाद आज तक 10000 हजार ही रहा। अब तक कई बार चर्चा जरूर हुई लेकिन एक रुपया भी वेतन नहीं बढ़ा जबकि महंगाई कई गुण बढ़ गई।
क्या शिक्षा मित्रों के इन तीन सवाल का जबाब मिला
1-यूपी में असिस्टेंट टीचर के पद पर शिक्षामित्रों के समायोजन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया। वहीं, सभी 1 लाख 72 हजार शिक्षामित्रों को 2 साल के अंदर टीईटी एग्जाम पास करना होगा। इसके लिए उन्हें 2 साल में 2 मौके मिलेंगे।
2- 1 लाख 72 हजार शिक्षामित्रों में से 22 हजार शिक्षामित्र ऐसे हैं,जिन्होंने टीईटी एग्जाम पास कर रखा है। ऐसे में यह फैसला उनके ऊपर भी लागू होगा। साथ ही इन 2 सालों में टीईटी एग्जाम पास करने के लिए उम्र के नियमों में भी छूट दी जाएगी।
3-जस्टिस एके गोयल और जस्टिस यू.यू ललित की बेंच ने आदेश सुनाते हुए ये भी कहा कि अनुभव के आधार पर शिक्षामित्रों को वेटेज का भी लाभ मिलेगा।
क्या बीते छह वर्षों में शिक्षा मित्रों को इसका लाभ मिला
नहीं मिला तो सरकार ने आवश्यक कार्यवाही क्यों नहीं की?
क्या 20 वर्ष के अनुभव के आधार पर शिक्षा मित्र सहायक अध्यापक नहीं बन सकते है।
इन बातों से ही सरकार को कोई रास्ता निकालना होगा। अभी बीते कई मामलों में सरकार ने सुप्रीमकोर्ट के आदेश के खिलाफ अध्यादेश लाकर भी काम किया है क्योंकि वहाँ उनका निजी स्वार्थ रहा होगा। उसी के तहत अब शिक्षा मित्रों को भी सरकार को कोई वेटेज देते हुए इनकी मांग को माग लेना चाहिए।