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- अनुदेशक के कोर्ट आदेश...
अनुदेशक के कोर्ट आदेश को लेकर बड़ा खुलासा, क्या होगा अब अनुदेशकों का भविष्य!
उत्तर प्रदेश में उच्च प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत अनुदेशक 2013 में संविदा कर्मी के रूप में भर्ती किए गए। इनकी भर्ती विधिवत हाईकोर्ट की निगरानी में जिले में एक समिति बनाकर की गई। जब भर्ती हुई तब इनको एक विषय विशेज्ञय के तौर पर एक कालांश के लिए भर्ती किया गया था। बाद में सरकार के द्वारा इनको पूरे दिन के लिए काम पर रखा गया।
जब इनको एक विषय के लिए भर्ती किया गया तो जो न्यूनतम वेतनमान था उस पर भर्ती हुई। उसके बाद इनका वेतन अखिलेश यादव सरकार ने 8470 किया। उसी दौरान अनुदेशकों के द्वारा कोर्ट में एक याचिका दायर की गई। जिसको जीत गए और सरकार को 17000 वेतन देने की बात कही गई। सरकार इसके खिलाफ डबल बेंच में चली गई और डबल बेंच ने बीते 1 दिसंबर को हाईकोर्ट ने अनुदेशकों के पक्ष में निर्णय आया। इसको लेकर सरकार अभी कोई क्लियर स्टेंड नहीं कर रही है। अगर सूत्रों की माने तो सरकार सुप्रीम कोर्ट जाने का मन बना चुकी है।
जबकि बीते 8 फरवरी को अनुदेशक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम सिंह ने लखनऊ जाकर अधिकारियों से मुलाकात की तो जो जानकारी सामने आई उससे अनुदेशकों के होश उड जाएंगे। उन्होंने बताया कि जो कोर्ट ने निर्णय किया है उसके मुताबिक केवल यह लाभ याचियों की ही मिलेगा बाकी अनुदेशकों को नहीं। इस खबर को सनुकर अनुदेशकों में खलबली मची हुई है। जबकि अनुदेशकों के लिए ये निर्णय संजीवनी का काम कर रहा है।
विक्रम सिंह ने जानकारी देते हुए बताया, पर्ची लगाकर इंतजार करने के बाद परियोजना निदेशक महोदय से मुलाकात भी हुई। समस्त समस्याओं से एक बार फिर से महोदय को अवगत कराया गया,पत्रक भी सौंपा गया महानिदेशक ने पिछली बार की तरह इस बार भी आश्वासन दिया और अनुदेशक स्थानांतरण के लिए जोर देकर कहा कि स्थानांतरण की कार्यवाही गतिमान है,उसकी प्रक्रिया चल रही है।
विक्रम सिंह ने कहा, अनुदेशक पटल देख रहे महानुभाव ने पहले तो हम पिड़ित अनुदेशक समूह से ही अनेक प्रश्न कर डाले। कि -विद्यालय के दिन यहाँ कैसे? तुम कोर्ट में याची हो? क्या कुछ पढ़ाते हो? तुम लोगों के कितने अध्यक्ष हैं? कोर्ट के नाम पर चंदा लेते हो? संगठन सरकारी है? पंजिकृत है??
जब मैंने विस्तार से छुट्टी लेकर आने,अपने द्वारा किए गए शैक्षणिक कार्यों,राष्ट्रीय छात्रवृत्ति परिक्षा में पास हुए अपने विद्यालय के बच्चों की संख्या बतायी एवं कहा कि आप गोरखपुर के बीएसए साहब से बात कर मेरे बारे में जानकारी कर लिजीए, परियोजना के अन्य अधिकारियों से बात कर विद्यालय के शैक्षणिक माहौल का आंकलन कर लिजीए, विद्यालय शैक्षणिक क्रियाकलापों से सम्बन्धित चित्र व चलचित्र तुरंत ही दिखाया यह भी दुहराया कि हमें सरकार यदि पीड़ा न पहुंचाती, कोर्ट में बार बार न लड़ाती तो हम यहाँ क्यों आते?गरीब अनुदेशक अपने अल्प व मेहनत की कमाई चंदे के लिए क्यों खर्च करता? अनुदेशकों के हित के लिए कोर्ट में इन्टरवेनर क्यों बनना पड़ता?
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