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सपा खेमें से बड़ी खबर, चाचा भतीजे हुए एक यूपी में साइकिल की स्पीड बड़ना तय!
समाजवादी पार्टी में पिछले तीन साल से चल रहे पारिवारिक विवाद अब समाप्ति की और चल पड़ा है. हालांकि अभी किसी भी और ऑफिशियली यह घोषणा नहीं हुई है. लेकिन पक्के सूत्रों के मुताबिक़ अखिलेश यादव को भी लगातार हार के बाद अपनी गलती का अहसास हो गया है.
समाजवादी पार्टी सबसे पहले अपनी याचिका शिवपाल यादव के खिलाफ वापस लेगी जो उसने विधानसभा में दी है. उसके बाद जल्द ही समाजवादी पार्टी में शिवपाल यादव की ससम्मान वापसी होना तय माना जा रहा है. शिवपाल यादव की विधायकी समाप्त करने वाली याचिका समाजवादी पार्टी वापस ले रही है.
मुलायम सिंह यादव ने बनाया इस बार यह माहौल तैयार किया है हालांकि इस बार भी बिगाड़ने में कोई कोर कसर फिर से नहीं छोड़ी गई है. लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ अखिलेश यादव रामगोपाल यादव से जबरदस्त ख़फ़ा नजर आ रहे है. क्योंकि उन्हीं की सलाह पर अब तक अखिलेश यादव चलते रहे. एक बार फिर से चाचा शिवपाल और अखिलेश मंच साझा करते नजर आएंगे.
दूरियां मिटाने को ऐसे तैयार हो रही है रणनीति
सूत्रों की मानें तो पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव परिवार में अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच की दूरियों को मिटाने के लिए कई बैठकें हो चुकी हैं. खास बात यह है कि मुलायल सिंह के आदेश पर बैठकों में किसी भी बाहरी व्यक्ति के शामिल होने पर मनाही है. फिर वो चाहें अखिलेश खेमे का हो या फिर शिवपाल यादव के गुट का. बैठक में खासतौर से मुलायम सिंह यादव के भाई और भाइयों के बेटे ही शामिल रहते हैं.
यह चहेता भतीजा बन रहा चाचा-भतीजे के बीच पुल!
गुट शिवपाल यादव का हो या फिर अखिलेश यादव का खेमा, जानकारों की मानें तो सुर्खियों में रहने वाला यह भतीजा दोनों का ही चहेता है. अक्सर खास मौकों पर यह भतीजा अखिलेश यादव के साथ देखा जाता है. सुलहनामा के चल रहे ताज़ा एपिसोड में भी इस भतीजे का नाम बीच में आ रहा है. कहा जा रहा है कि अगर चाचा-भतीजे के फिर से एक हो जाने की जो चर्चाएं सामने आ रही हैं तो वो कोशिशें भी इस भतीजे की ही देन है. भतीजा अपने ताऊ मुलायम सिंह यादव के निर्देशों पर बड़े भाई और चाचा को मिलाने का काम कर रहा है.
शर्त और बिना शर्त के बीच ऐसे हो रही बातचीत
जानकारों का कहना है कि अखिलेश यादव आज भी शिवपाल यादव के साथ अपने पुराने फॉर्मूले बिना शर्त सपा में वापसी की सहमति पर बातचीत करने को तैयार हुए हैं. लेकिन बातचीत शुरु होने से लेकर अब तक अखिलेश यादव थोड़े नरम हुए हैं. क्योंकि अब तक की बातचीत इस शर्त पर आगे बढ़ी है कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का सपा में विलय नहीं गठजोड़ होगा. यूपी में इस चहेते भतीजे को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए. शिवपाल यादव के खिलाफ दायर हुई याचिका मामले पर बरती जा रही नरमी भी अब कुछ इसी ओर इशारा कर रही है.
बता दे कि पिछले तीन वर्ष में आपसी विवाद के चलते समाजवादी पार्टी हाशिये पर आ गई. इसके वावजूद लगातार अखिलेश यादव लगातार नया प्रयोग करते रहे. लेकिन छोटी सी कामयाबी भी नहीं मिली. इसके बाद मुलायम सिंह यादव ने अपनी बात के अलावा किसी की बात नहीं चलने दी और नतीजा कुछ सार्थक नजर आ रहे है. चाचा भतीजे के साथ आने से यूपी के उपचुनाव में कुछ न कुछ अंतर जरुर नजर आयेगा.
2022 के यूपी विधानसभा चुनावों को देखते हुए चाचा-भतीजे के बीच चल रहे सुलहनामा के मुद्दे पर डॉ. बीआर आंबेडकर विश्वविद्वालय के समाजशास्त्री, प्रोफेसर मोहम्मद अरशद, का कहना है, "शिवपाल यादव के पार्टी से अलग होने के दिन से ही आज भी ज़मीनी कार्यकर्ता दोनों गुट की नाराज़गी के चलते सक्रिय नहीं हो पा रहा है. वहीं फिरोज़ाबाद में भी शिवपाल के साथ कुछ ऐसा हुआ कि अब उन्हें लग रहा है कि साथ मिलकर ही 2022 में वो कुछ करिश्मा दिखा सकते हैं."