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यूपी पुलिस की बड़ी खबर, 2012 बैच के दरोगा बनाए जाएंगे इंस्पेक्टर
प्रयागराज। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में तैनात 2012 बैच के दरोगाओं को इंस्पेक्टर पद पर प्रमोशन करने की मांग में दाखिल याचिका पर डीआईजी स्थापना, लखनऊ को छह सप्ताह में निर्णय लेने को निर्देश दिया है।
उच्च न्यायालय ने इन दरोगाओं की याचिका को निस्तारित करते हुए डीआईजी, कार्मिक स्थापना, डीजीपी मुख्यालय, लखनऊ को निर्देश दिया है कि दरोगाओं को इंस्पेक्टर पद की ट्रेनिंग कराकर प्रोन्नति करने की मांग पर छह सप्ताह में निर्णय ले।
न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि यदि ये याची दरोगा, इंस्पेक्टर पद पर प्रोन्नति के लिए अर्ह पाए जाते हैं तो उन्हें उनके जूनियरों की तरह ही चार सप्ताह मे इंस्पेक्टर की ट्रेनिंग के लिए आदेश निर्गत किया जाए।
यह आदेश जस्टिस प्रकाश पाडिया ने दरोगा अनुराग सिंह व 20 अन्य दरोगाओं की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। ये याची दरोगा कानपुर नगर, इलाहाबाद, मथुरा, झांसी, वाराणसी, गोरखपुर, गाजियाबाद आदि जिलों में तैनात हैं। उन्होंने संयुक्त रूप से याचिका दायर कर इन्सपेक्टर पद पर प्रोन्नति की मांग की थी।
दरोगाओ की तरफ से बहस कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का कहना था कि सभी दरोगा विभागीय रैंकर परीक्षा-2011 पास कर वर्ष 2012 में पुलिस विभाग में चयनित हुए। इन सभी की सेवा सात वर्ष से अधिक की पूरी हो चुकी है और वे यूपी उपनिरीक्षक और निरीक्षक (नागरिक पुलिस) सेवा पंचम संशोधन नियमावली- 2018 के नियम 5 व 17 के तहत दरोगा से इन्सपेक्टर पद पर प्रोन्नति के हकदार हैं।
अधिवक्ता का कहना था कि दरोगाओ की संयुक्त वरिष्ठता सूची 11 दिसम्बर 17 को पुलिस मुख्यालय से जारी की गई थी। जिसमें 11 हजार 763 दरोगा शामिल थे। याचीगण का नाम भी वरिष्ठता सूची के मध्य में था। बाद में तीन और सूची जारी हुई, जिसमें याची दरोगाओं का नाम नहीं था। 22 जुलाई 2020 को यूपी पुलिस मुख्यालय द्वारा 330 दरोगाओं की सूची जारी कर उन्हें इंस्पेक्टर सिविल पुलिस प्रमोशन ट्रेनिंग कोर्स में भेजा गया। इस लिस्ट में याची दरोगाओं का नाम नहीं था।
कहा गया था कि जिन दरोगाओं को इंस्पेक्टर ट्रेनिंग कोर्स में भेजा गया वे सभी 330 दरोगा 11 दिसम्बर 2017 को जारी वरिष्ठता सूची में याची दरोगाओ से जूनियर हैं। उन्हें अवैधानिक तरीके से नियम के विपरीत ट्रेनिंग कोर्स में भेजा गया है।