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बीजेपी के सहयोगी दल ने दिखाई अब यूपी में आँख, नहीं मिला सम्मान तो कुछ हम भी सोचेंगे

भारतीय जनता पार्टी को पांच राज्यों में मिली पराजय अभी राहत मिलती नजर नहीं आ रही है. यूपी में उसे महागठवंधन से ही नहीं अपने सहयोगी दलों से भी चुनौती मिलती नजर आ रही है. जहाँ सब अब लोकसभा सीटों को लेकर पेंच फंसाते नजर आ रहे है. बीजेपी की यूपी में दो सहयोगी दलों ने भी अपनी नाराजगी जाहिर कर दी है.
उत्तर प्रदेश में सुहैलदेव पार्टी के ओमप्रकाश राजभर के बाद अब अपना दल एस ने भी मोर्चा खोल दिया है. अपना दल ने योगी सरकार के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं. 2014 में यूपी में दो सीटे जीतने वाली अपना दल सीटों को लेकर भी गुस्से में है. इससे पहले बिहार में सीट बंटवारे से नाराज उपेंद्र कुशवाहा एनडीए छोड़ चुके हैं. इसके रामविलास पासवान ने भी आंख दिखाई थी लेकिन बीजेपी उन्हें मनाने में कामयाब रही. अगर अपना दल ने बीजेपी का साथ छोड़ा तो बीजेपी से कुर्मी वोट भी छिटक जाएगा. जिस तरह बिहार में कुशवाहा. कोइरी समाज का वोट दूर चला गया है. बिहार में बीजेपी की राह कठिन होती नजर आ रही है. ठीक उसी तरह अगर यूपी में भी हालत बिगड़े तो मोदी के लिए राह में रुकावट पैदा होना तय माना जाएगा.
अपना दल के राष्टीय अध्यक्ष आशीष पटेल ने तीन राज्यो में हार को चिंताजनक बताते हुए इससे भाजपा को सबक लेने की बात कही.उन्होंने कहा कि यूपी में राष्टीय जनतांत्रिक गठबंधन में तीन पार्टियां हतासा है.उनका कहना था कि केंद्रीय नेतृत्व से शिकायत नही.है मगर राज्य भाजपा नेतृत्व लगातार उपेक्षा कर रहा है.
पार्टी की नेता और सांसद अनुप्रिया पटेल को मेडिकल कालेज के उद्घाटन में नही बुलाने का भी सवाल उठाया और कहा है. उन्होंने कहा, ''सरकार बनने से पहले अनुप्रिया पटेल को सभी कार्यक्रमों में बुलाया जाता था लेकिन उन्हें वो सम्मान नहीं मिलता जिसकी वे हकदार हैं. यहां तक की वाराणसी संसदीय क्षेत्र में आयोजित कार्यक्रमों में भी उन्हें नहीं बुलाया जाता, जबकि यह प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र है और अनुप्रिया के संसदीय क्षेत्र से मिर्जापुर से सटा है.''
आशीष पटेल ने दावा किया कि न केवल अपना दल बल्कि खुद भाजपा के विधायक, सांसद और यहां तक कि मंत्री भी प्रदेश 'शासन-सरकार' से नाराज हैं और वे केंद्रीय नेतृत्व से मिलकर अपनी नाराजगी जाहिर करना चाहते हैं. हालांकि पटेल ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी अगले चुनावों के बाद भी नरेन्द्र मोदी को ही प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहती है लेकिन सहयोगियों को बराबर का सम्मान मिलना चाहिए. यह पूछे जाने पर कि लोकसभा के चुनाव में अपना दल बंटवारे के तहत कितनी सीटों की अपेक्षा करता है, पटेल ने कहा कि ''यह समय आने पर बताया जायेगा, लेकिन हमारी ताकत पहले से बढ़ी है. हम सम्मान के भूखे हैं.''
बता दें की यूपी और बिहार से बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के कुल 120 सांसदों में से 103 सांसद थे. मौजूदा सरकार में बहुमत दिलाने का काम इन दो प्रदेशों ने करके दिखाया था. जिसमें बाकी का रोल एमपी , राजस्थान , गुजरात , महाराष्ट्र और हरियाणा ने किया था. लेकिन अगर यूपी और बिहार से बीजेपी इस बार उतनी सीटें लाती तो स्पष्ट तौर पर साफ़ दिख रही है. किन्तु अगर बीजेपी ने यह आंकड़ा मिलाकर 80 का पार नहीं किया तो बीजेपी सत्ता से बहुत ही दूर चली जायेगी. क्योंकि इन दो प्रदेशों से अगर एनडीए को पचास सीटों का झटका लगा तो विपक्ष के पास 70 सीटों की बड़ी बढ़त कायम हो जाएगी. जबकि एनडीए का ग्राफ सीधा सीधा दो सौ के भीतर आ जायेगा. उसके साथ एमपी , राजस्थान और महाराष्ट्र में भी बीजेपी की राह आसान नहीं दिख रही है.