लखनऊ

बसपा ने किये इन लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार घोषित, लेकिन बाहरी उम्मीदवारों को भितरघात का भय

Special Coverage News
22 Feb 2019 7:42 AM GMT
बसपा ने किये इन लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार घोषित, लेकिन बाहरी उम्मीदवारों को भितरघात का भय
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बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) में टिकटों को लेकर कलह चरम पर है. पार्टी के नेता एक दूसरे की टांग खींच रहे हैं. उम्मीदवारों के नाम को लेकर खींचतान जारी है. बंटवारे में गौतमबुद्ध नगर की सीट बीएसपी को मिल गई है. वैसे पिछले चुनाव में एसपी दूसरे नंबर पर थी. यहाँ से सतवीर नागर को टिकट मिला है. इससे पहले तीन उम्मीदवार पहले भी बदले जा चुके हैं. नागर के खिलाफ बीएसपी के कई नेता बगावत के मूड में हैं.

सहारनपुर में भी यही हाल है. मायावती ने यहां से फजलुर रहमान को टिकट दिया है. वे मेयर का पिछला चुनाव भी लड़ चुके हैं. मीट के बडे कारोबारी रहमान को लेकर पार्टी में बडा असंतोष है. आगरा में तो बीएसपी में बवाल मचा है. मनोज सोनी को मायावती ने टिकट दे दिया है. लेकिन उसके बाद से ही सोनी का विरोध जारी है. वे नोएडा के रहने वाले हैं. उन पर बाहरी होने का आरोप लग रहा है. पार्टी के लोकल नेता सोनी को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हैं.

आगरा में दलित और मुस्लिम समीकरण के आधार पर बीएसपी की जीत मुश्किल नहीं है. लेकिन सोनी का विरोध पार्टी पर भारी पड़ सकता है. फर्रूखाबाद में भी टिकट को लेकर बीएसपी में झगड़ा दिन ब दिन बढ़ रहा है. मनोज अग्रवाल को मायावती ने यहां से चुनाव लड़ने को कहा है. लेकिन पार्टी के लोकल नेता उनका साथ देने को तैयार नहीं है.

मोहनलालगंज सुरक्षित सीट से सी एल वर्मा को टिकट दिया गया है. इलाके में उनका विरोध है. वे नसीमुददीन सिद्दीकी के निजी सचिव रह चुके हैं. बीएसपी के ताकतवर नेता रहे सिद्दीकी अब कांग्रेस में हैं. बीएसपी के प्रदेश अध्यक्ष आर एस कुशवाहा सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे. उन्हें भी बाहरी उम्मीदवार के तमगे से जूझना पड़ रहा है. वे उन्नाव जिले के रहने वाले हैं.

बाहरी नेता वाले आरोप तो नकुल दूबे पर भी लग रहे हैं. जिन्हें बीएसपी ने सीतापुर से टिकट दिया है. मायावती सरकार में मंत्री रहे दूबे का घर लखनऊ में है. सुल्तानपुर, शाहजहांपुर और अलीगढ जैसे लोकसभा क्षेत्रों में भी बीएसपी कलह से जूझ रही है. इसी झगड़े के चक्कर में मायावती अपने एक विधायक रमेश बिंद को पार्टी से बाहर कर चुकी हैं.

गठबंधन में बीएसपी को 38 और समाजवादी पार्टी को 37 सीटें मिली हैं. दोनों पार्टियों में समझौता होने के बाद नेताओं को जीत की संभावना अधिक दिख रही है. उन्हें लगता है कि टिकट मिलने का मतलब सांसद बनने की गारंटी है. बीएसपी में तो एक एक सीट से कई बार उम्मीदवार बदले जा चुके हैं.

कुछ जगहों पर तो चार बार प्रत्याशी बदले जा चुके हैं. इसको लेकर मायावती पर कई तरह के आरोप भी लग रहे हैं. सवालों के घेरे में पार्टी के कई कोऑर्डिनेटर भी हैं. पार्टी के एक बडे नेता ने बताया कि यही हाल रहा तो फिर 15 सीट जीतना भी मुश्किल हो जाएगा.

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