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बसपा की 40-50 प्रत्याशियों के नाम अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में होगे घोषित
तौशीफ कुरैशी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सियासी संग्राम में बसपा की सुप्रीमों मायावती की सियासी गतिविधियों पर बारीक नज़र रखी जा रही है सभी दल इस बात से भयभीत लग रहे है कि कही मायावती अपनी आदत के अनुसार कोई ऐसा फ़ैसला न कर ले जिसकी वजह से विपक्ष की एकजुटता पर पानी फिर जाए। हमारे सूत्रों के अनुसार बसपा ने लोकसभा चुनाव 2019 के लिए अपने जिताऊँ प्रत्याशियों का चयन कर लिया है।
महागठबंधन होगा या नही होगा इस पर सवाल बना हुआ है। इसी के बीच यह ख़बर आना की बहुजन समाज पार्टी ने यूपी की 80 सीटों में से 40-50 सीटों पर अपने प्रत्याशियों का चयन कर लिया है इसका मतलब हुआ। बसपा ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि महागठबंधन की सूरत में भी बहुजन समाज पार्टी कम से कम 45-50 सीटों को लेकर ही गठबंधन पर अपनी रज़ामंदी देगी ओर अगर ऐसा नही होता है। तो महागठबंधन की बात हवा हवाई हो जाएगी और उसके बाद विपक्ष के पास कोई चारा नही है कि मोदी की भाजपा को यूपी में घेर कर उसे देश की सत्ता से बेदख़ल कर दें क्योंकि इस सूरत में विपक्ष का वोट बँट जाएगा। जिसका सीधा-सीधा लाभ मोदी की भाजपा को होगा,इसका एक फ़र्क़ पड़ सकता है।
जिसका सपा कंपनी को भय सता रहा है कि कही मुसलमान मोदी की भाजपा को हराने के लिए सीधे बहुजन समाज पार्टी को न चला जाए तब भी मोदी की भाजपा की रणनीति विपक्ष में एकजुटता न होने देने की हवा निकल जाएगी और साथ ही सपा कंपनी की भी सियासी नय्या डूब जाएगी। उसी को ध्यान में रखते हुए सपा कंपनी के सीईओ अखिलेश यादव बसपा से गठबंधन किसी भी शर्त पर करने को तैयार है उनका मानना है कि अगर मुसलमान सीधे बसपा से जुड़ गया तो हमारी कंपनी तो हमेशा के लिए डूब जाएगी। क्योंकि देशभर में मुसलमान से ज़्यादा कोई मुर्ख नही है उसे आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है। जैसा पिछले सत्तर सालों में विभिन्न दलों द्वारा उसका इस्तेमाल करते चले आ रहे है। कोई कुछ विकास करने की बात तो अलग है उसके विकास की कोई सोचता भी नही और मुसलमान भी इसके लिए ख़ुद भी ज़िम्मेदार है क्योंकि उसने अपने विकास की किसी दल से बात ही नही की सिर्फ़ जज़्बाती बातों में आकर वोट देता चला आ रहा है।
रंगनाथ मिश्र आयोग व राजेन्द्र सच्चर कमैटी की रिपोर्टें उनके पिछड़े पन की गवाही देती है। लेकिन फिर भी कोई दल इमानदारी से इनके विकास की कोई बात नही करता है और सभी दलों को चाहिए और वह देता भी आ रहा हैं। अब बात करते है मायावती की उन्होंने पार्टी को निर्देश दिया है कि जिताऊँ प्रत्याशियों की सूची लगभग पूरी कर ली गई है। अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में लोकसभा की सभी सीटों के प्रत्याशियों का ऐलान कर चुनावी बिगुल फूँक दिया जाएगा।
यह काम पार्टी ने तीन महीने पहले अपने कैडर को यह ज़िम्मेदारी दी थी कि सभी सीटों पर प्रत्याशियों की तलाश कर ली जाए जो काम पूरा कर लिया गया है अब सिर्फ़ मायावती की और से ओके होना बाक़ी है।हमारे सूत्रों के अनुसार 40-50 सीटों पर एक-एक या दो-दो प्रत्याशियों का चयन कर लिया गया है। जिनके नाम अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में घोषित कर दिए जाएँगे। सम्भावित प्रत्याशियों के नाम उनकी सक्रियता और कार्यकर्ताओं के फ़ीडबैक के आधार पर चुने गए है। महागठबंधन को लेकर मायावती पत्ते नही खोल रही है जिसकी वजह से सभी राजनीतिक दलों की धड़कने बढ़ी हुई है।