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- कांग्रेस के महारथी बन...
उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव में अगर अनिश्चित्ता के भंवर में फंसी हुई है तो वो है कांग्रेस. देश में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस को उत्तर प्रदेश राज्य स्वीकार कर पाएगा या नहीं ये सवाल पार्टी और जनता दोनों के दिमागों में विचरण करता रहता है. कभी लगता है कि कांग्रेस एक टाइटेनिक है और कभी लगता है कि कांग्रेस ही एक मजबूत विपक्ष का विकल्प दे सकती है. दोनों बातें जानदार हैं. अगर पार्टी की तरफ से विशेष कदम या प्रयास नहीं किए गए तो वो बिलकुल टाइटेनिक है और यदि पार्टी ने मजबूत लोगों को मजबूत जिम्मेदारी दी तो कांग्रेस को मजबूत विकल्प बनने से कोई रोक नहीं सकता.
उत्तर प्रदेश में नब्बे के दशक से पहले नारायण दत्त तिवारी कांग्रेस के आखिरी मुख्यमंत्री थे, इसके बाद अब तक कांग्रेस राज्य में सत्ता से दूर रही है, देश में केंद्र की सत्ता का रास्ता भी उत्तर प्रदेश से जाता है ये भलीभांति सब जानते हैं. अब सबसे बड़ा सवाल है कि कांग्रेस नेतृत्व क्या कदम उठाए जिससे लोगों में ये संदेश जाए कि कांग्रेस राज्य में मजबूत विपक्ष के तौर पर उभर सकती है.
कांग्रेस के मजबूत वोट बैंक पर नज़र डाली जाए तो ब्राह्मण पार्टी का आधार वोट और मुसलमान व दलित बैलेंस वोट रहे हैं. इन तीनों समाजो के गठजोड़ के आधार पर कांग्रेस सत्ता पर काबिज़ होती रही है. उत्तर प्रदेश में तीनों ही कांग्रेस के साथ नहीं रहे और सच ये है कि पार्टी ही अपने आप को मजबूत विकल्प के तौर पर पेश नहीं कर पाई. इसके साथ साथ हकीकत ये है कि कांग्रेस में एक मजबूत विपक्ष बनने के सारे गुण मौजूद हैं. अब कांग्रेस नेतृत्व को क्या करना चाहिए जिससे कि जनता में ये संदेश जाए कि कांग्रेस योगी के मुकाबले मजबूत विकल्प है, इसके लिये एक मजबूत चेहरा जो लोगों के लिए उम्मीद की किरण बन सके. हालांकि प्रियंका गांधी कई मौकों पर मजबूत नेत के तौर पर जनता की पसंद बनी लेकिन एक ऐसे चेहरे की जरूरत है जो भाजपा के मुख्यमंत्री चेहरे योगी आदित्यनाथ को हर स्तर पर टक्कर दे सके. उसका चेहरा भाजपा के हिंदुत्व को भी टक्कर दे, मुसलमानो के लिए सिकुलर भी हो, योगी के अहम् से टकराने की हिम्मत भी हो, भाजपा के वक्ताओं का मुकाबले वक्ता भी हो. इन सभी गुणों से संपन्न व्यक्ति राज्य में जनता की उम्मीद बन सकता है.
कांग्रेस के पास एक चेहरा मौजूद है लेकिन नहीं पता पार्टी नेतृत्व उस चेहरे को उभरने देना नहीं चाहता. कांग्रेस का वो चेहरा हैं कल्किधाम के अध्यक्ष आचार्य प्रमोद कृष्णम्. आचार्य की खास बात है उनका कुशल वक्ता और निडर होना. उनका दूसरा गुण है एक योगी और बाबा कि छवि. तीसरा सबसे बड़ा गुण है मुसलमानो में उनकी स्वीकार्यता होना. मुसलमानो में अकसर उनका काव्य अली जितने तुम्हारे हैं, अली उतने हमारे हैं, बड़ी प्रशंसा के साथ सुना जाता है. इन सब गुणों से संपन्न आचार्य प्रमोद को यदि कांग्रेस का नेतृत्व सौंप दिया जाए तो कांग्रेस भाजपा को हर स्तर पर टक्कर देने की स्थिति में आकर राज्य के मजबूत विकल्प बनेगी. आचार्य प्रमोद को राज्य नेतृत्व देने के बाद ब्राह्मण वोट के लिए एक चेहरे की तलाश भी पूरी हो जाएगी.
आचार्य प्रमोद खुद हिंदू धर्म के अच्छे जानकार हैं जो भाजपा के हिंदुत्व को उसी भाषा में जवाब देने में सक्षम ही नही बल्कि भाजपा के छद्म हिंदुत्व को बेनकाब करने में भी सफल रहेंगे. आचार्य प्रमोद के मुकाबले आकर भाजपा बिलकुल भी हिंदू ध्रुवीकरण नहीं कर पाएगी. इसके विपरीत आचार्य प्रमोद हिंदू समाज को ये समझाने में भी कारगर साबित होंगे कि भाजपा का हिंदुत्व वोट हासिल करने का ज़रिया मात्र है और हिंदू धर्म से इसका कुछ लेना देना नहीं है. इसके अलावा आचार्य प्रमोद पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आते हैं, किसान आंदोलन का प्रभाव भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जयादा है. आचार्य प्रमोद के कांग्रेस का राज्य नेतृत्व संभालने के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश भाजपा के लिए बहुत ही नुकसानदेह साबित होगा. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट, मुसलमान और ब्राह्मण समाज तीनों मिलकर भाजपा को इस क्षेत्र से साफ कर देंगे.
कांग्रेस नेतृत्व को यह बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए की जब तक कोई मजबूत चेहरा कोंग्रेस का नेतृत्व नहीं संभालेगा और मुख्यमंत्री पद के लिए कोई मजबूत चेहरा सामने नहीं आएगा तब तक कांग्रेस अपने आप को जनता के सामने बहुत मजबूत विपक्ष के तौर पर स्थापित नहीं कर पाएगी. पिछले दिनों हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जिस तरह समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव का उदासीन रवैया सामने आया है उससे भी जनता में उदासीनता छाई हुई है. अगला महीना समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के लिए अति महत्वपूर्ण है जो यह तय करेगा कि योगी आदित्यनाथ के सामने मजबूत टक्कर कौन दे सकता है. कांग्रेस को चाहिए कि वह जल्दी से जल्दी अपना कोई मजबूत चेहरा पेश करें जिसके लिए आचार्य प्रमोद बहुत फिट व्यक्तित्व है। लखनऊ में जब आचार्य प्रमोद ने सांसद का चुनाव लड़ा था तब उन्हें दो लाख वोट हासिल हुए थे जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आचार्य प्रमोद जनता के हर वर्ग और हर समाज समाज में स्वीकार्य व्यक्ति हैं.