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महिला जज के वायरल लेटर पर मानवाधिकार आयोग में हुआ केस दर्ज, देखिए क्या लिखा रिपोर्ट में
प्रदेश की एक महिला जज के उत्पीड़न का मामला मानवाधिकार आयोग में पहुंच गया है। रामपुर के आरटीआइ कार्यकर्ता दानिश खान ने मानवाधिकार आयोग में शिकायत की है, जिसे आयोग ने दर्ज कर लिया है। दानिश डीके फांउडेशन आफ फ्रीडम एंड जस्टिस नाम से संस्था चलाते हैं।
दानिश कहां अपनी संस्था की ओर से ही उन्होंने मानवाधिकार आयोग में शिकायत की है। उनका कहना है कि न्याय करने वालों को ही न्याय न मिलना देश के लिए दुर्भाग्य की बात है। उनकी संस्था महिला जज को इंसाफ दिलाने के लिए लड़ेगी।
क्या है मामला
प्रदेश के एक जिले में तैनात महिला जज ने चीफ जस्टिस आफ इंडिया डी वाई चंद्रचूर्ण को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है। उनका यह पत्र इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हुआ है। पत्र में महिला जज ने एक जिला जज पर यौन उत्पीड़न करने और अपमानजनक बर्ताव करने के आरोप लगाते हुए इच्छा मृत्यु की मांग की है।
हालांकि इससे पहले खबर यह भी आ चुकी है है कि महिला जज का पत्र पढ़कर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इस मामले का संज्ञान ले लिया है और उन्होंने इलाहबाद हाईकोर्ट से जांच आख्या तलब की है। हालांकि जिस तरह से उत्तर प्रदेश में लगातार न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो रहे है वो बड़े ही चौकाने वाले है।
यूपी बांदा जिले की महिला जज द्वारा CJI डीवाई चंद्रचूर्ण को भेजे पत्र में इच्छा मृत्यु मांगने के प्रकरण पर डीके फाउंडेशन ऑफ़ फ़्रीडम एंड जस्टिस ने लिया संज्ञान हैं,।मुख्य न्यायाधीश इलाहाबाद को पार्टी बनाते हुए @India_NHRC में याचिका दर्ज की है। @ANI @vipinkahin @aajtak @BBCHindi pic.twitter.com/JimjFV8r6b
— Dk foundation of freedom and justice (@dkfofaj) December 14, 2023
देखिए रिपोर्ट में क्या हुआ मामला दर्ज
महिला जज ने पत्र में बताई आपबीती
सिविल महिला जज ने चीफ जस्टिस को पत्र में लिखा, 'मैं इस पत्र को बेहद दर्द और निराशा में लिख रही हूं. इस पत्र के माध्यम से मैं मेरी कहानी और प्रार्थना जाहिर करना चाह रही हूं, इसके अलावा मेरा कोई मकसद नहीं है. मेरे सबसे बड़े अभिभावक (सीजेआई) मुझे अपना जीवन समाप्त करने की अनुमति दें. मैं बहुत उत्साह और इस विश्वास के साथ न्यायिक सेवा में शामिल हुई थी कि मैं आम लोगों को न्याय दिलाऊंगी. लेकिन मैं ये नहीं जानती थी कि जिस कार्य के लिए जा रही हूं, वहां पर मैं खुद ही न्याय की भीख मांगूगी. मेरे साथ यौन उत्पीड़न किया गया. मेरे साथ बिल्कुल कूड़े जैसा व्यवहार हुआ. मेरी दूसरों को न्याय दिलाने की आशा थी, लेकिन मिला क्या.
लिखी इमोशनल बात
उन्होंने आगे लिखा कि मैं भारत में काम करनी वाली महिलाओं से यह कहना चाहती हूं कि यौन उत्पीड़न के साथ जीना सीख लें. यही हमारे जीवन का सत्य है. मैं जज हूं, मैं अपने लिए निष्पक्ष जांच तक नहीं कर सकी. चलो न्याय क्लोज करें. मैं सभी महिलाओं को सलाह देती हूं कि वे खुद खिलौना या निर्जीव वस्तु बनना सीख लें.