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चयन प्रक्रिया वाले संविदा कर्मियों को राज्य कर्मचारियों के समान मिलेगा लाभ, अनुदेशक और शिक्षा मित्र समेत इन संविदा कर्मियों नहीं मिलेगा लाभ
उत्तर प्रदेश के विभिन्न सरकारी विभागों में चयन प्रक्रिया के तहत नियुक्त होने वाले संविदा कर्मियों को अब राज्य कर्मियों की तरह कई लाभ मिलेंगे। इस संबंध में अपर मुख्य सचिव प्रशांत द्विवेदी ने आदेश जारी कर दिया है।
उत्तर प्रदेश में वेतन समिति 2016 के तृतीय प्रतिवेदन भाग 4 द्वारा राजकीय विभागों के संविदा कर्मियों के संबंध में दी जाने वाली संस्तुतियों पर मुख्य सचिव द्वारा समिति गठित की गई थी। इसकी संस्तुतियों के आधार पर अब भुगतान के संबंध में आदेश जारी किया गया है। जिन कर्मियों की नियुक्ति विज्ञापन जारी कर चयन प्रक्रिया के तहत की गई थी उन्हें ही यह लाभ मिलेगा।
इसके तहत संविदा पर नियुक्त होने वाले कर्मियों की संविदा धनराशि, पुनरीक्षित, वेतन मैट्रिक्स में संबंधित पद के लिए निर्धारित पे मैट्रिक्स लेवल की न्यूनतम राशि और उस पर राज्य कर्मचारियों के लिए समय-समय पर दे महंगाई भत्ते की धनराशि को जोड़ते हुए दी जाएगी। यह धनराशि केवल पूर्णकालिक कर्मियों को ही दी जाएगी अंशकालिक कर्मी अथवा पूर्णकालिक से कम घंटे काम करने वालों पर यह लागू नहीं होगा। इतना ही नहीं वेतनमान में सृजित पद के विरुद्ध संविदा पर कोई नियुक्ति नहीं होगी।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की अध्यक्ष ने संविदा कर्मियों को नई वेतन मैट्रिक्स का तोहफा देने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ का आभार जताया है। उन्होंने कहा है कि इस आदेश से विभिन्न विभागों के करीब 10 हजार से ज्यादा कर्मियों को लाभ मिलेगा।
इन्हें नहीं मिलेगा लाभ
आंगनवाड़ी, आशा बहू, रसोइयों, पीआरडी, स्वयंसेवक, होमगार्ड, पंचायत अंकेक्षण समन्वयक, मनरेगा, शिक्षामित्र, किसान मित्र, सीजनल संग्रह अमीन, सहित विभिन्न विभागों में कार्यरत अंशकालिक के तौर पर कार्यरत कर्मियों पर लागू नहीं होगा।
बता दें कि इस लेटर को लेकर अनुदेशकों में बड़ी हलचल तेजी से मची हुई थी कि जरूर कुछ अच्छा होगा। लेकिन लेटर पूरी तरह से नहीं पढ़ा और उसको लेकर वायरल करना शुरू कर दिया जबकि उसमें साफ साफ लिखा है कि अंशकालिक कर्मियों को यह लाभ नहीं मिलेगा।
वहीं अनुदेशक की नियुक्ति विज्ञापन जारी कर चयन प्रक्रिया के तहत की गई थी, उस प्रक्रिया के बाद उस पर लगातार 8 घंटे काम भी लिया जाता है फिर उसको पूर्णकालिक क्यों नहीं माना गया। इस आदेश को अगर अधिकारी सही तरह से लागू करें तो अनुदेशक नियमित किया जा सकता है। अनुदेशक के ड्यूटी का चार्ट तलब किया जा सकता है। उसका प्रत्येक वर्ष ड्यूटी का सत्यापन भी होता है तो फिर उसे पूर्णकालिक कर्मी का दर्ज क्यों नहीं मिल सका।
यही बात शिक्षा मित्र के संदर्भ में भी है कि उसे भी आज 20 वर्ष हो गए पूर्णकालिक कर्मी कर तरह काम करते हुए लेकिन उसे अभी तक कोई लाभ नहीं मिल सका है।
अगर अनुदेशक और शिक्षा मित्र पूर्णकालिक कर्मी नहीं है तो विधानसभा में उन्हे पूर्णकालिक शिक्षकों की संख्या में किस तरह जोड़कर बताया गया है। क्या सरकार जनता को धोखा देकर इन अपूर्ण कालिक शिक्षकों के जरिए बच्चों का भविष्य खराब कर रही है।