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शिक्षा मित्रों का प्रस्ताव पर जल्द होगा फैसला, जानिए क्यों जरूरी है?
लखनऊ: शिक्षा मित्रों के नियमितिकरण अथवा मानदेय बढ़ने के रास्ता अब साफ होता दिख रहा है। जहां शिक्षा मित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष और महामंत्री लगातार इस की अपडेट लेने में लगे हुए है वहीं सरकार को कोर्ट के निर्देश का भी भय सता रहा है। शिक्षा मित्रों के नेता जो मेहनत कर चुके थे अब उसमें एक नई गति आ चुकी है जल्द ही शिक्षा मित्रों को लेकर सरकार कोई घोषणा कर सकती है। चूंकि शिक्षा मित्रों की नबंबर में आई भीड़ ने चुनाव से पहले सरकार के सामने एक बड़ी समस्या बन चुकी थी।
कैसे बढ़ी प्रक्रिया
सरकार ने जब इस पर बात की तो आनन फानन में एक कमेटी का गठन किया गया। जिसकी अध्यक्षता प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा कर रहे है। चूंकि प्रमुख बेसिक शिक्षा सचिव बेहद शांति स्वभाव के लगनशील अधिकारी है और उन्होंने इस काम को जामा पहनाना शुरू किया। उनकी इच्छा थी कि शिक्षा मित्रों की मदद कैसे की जाए तभी उनके साथ एक बड़ा मोहरा हाथ लग गया और शिक्षा मित्रों के काम में पंख लग गए। जहां संगठन ने साथ मिलकर इस लड़ाई को अंतिम पायदान तक पहुँचा दिया है। चार राज्यों के संविदा शिक्षकों के जीओ लगाए गए है। देखना यह होगा किस राज्य के जीओ के मुताबिक सरकार काम करे। लेकिन यह तय मान लीजिए कि शिक्षा मित्रों का काम लगभग होना तय माना जाए।
क्यों आवश्यक है शिक्षा मित्रों नियमितिकरण या मानदेय बढ़ना
बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह ने विधानसभा में कहा था, सरकार शिक्षामित्रों के लिए और सुविधाएं बढ़ाने पर विचार कर रही है। सपा विधायक स्वामी ओमवेश के सवाल के जवाब में संदीप सिंह ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश पर बेसिक शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है। उसकी रिपोर्ट आने पर विचार किया जाएगा। हाईकोर्ट में सरकार को करना पड़ेगा तीन माह के अंदर जबाब दाखिल जिसका समय मार्च के महीने में पूरा होना है। लिहाजा सरकार समय रहते शिक्षा मित्रों को कोई भी सौगात कभी भी दे सकती है। यह सौगात पीएम की किसी रैली में उद्घोषणा की जा सकती है या सीएम योगी आदित्यनाथ कभी भी बड़ा ऐलान कर सकते है।
वहीं एक अन्य सवाल के जवाब में संदीप सिंह ने कहा कि परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों की संख्या पर्याप्त है। लिहाजा भर्ती का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अनुदेशक, शिक्षा मित्र व सहायक अध्यापकों की कुल संख्या 6,28,915 है।
प्राथमिक में 30 छात्र पर एक शिक्षक व उच्च प्राथमिक विद्यालय में 35 छात्र पर एक शिक्षक का प्रावधान है। इसके अनुसार परिषदीय विद्यालयों पर्याप्त शिक्षक हैं। वहीं 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है।
अब अगर बात करें तो 6,28,915 शिक्षकों में से 175000 शिक्षा मित्र और अनुदेशक अलग किये जाएँ तो सरकार के पास साढ़े चार लाख शिक्षक बचते है। इस लिहाज से शिक्षा मित्र और अनुदेशक सरकार के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण है। अगर ये एक दिन के लिए भी काम बंदी का ऐलान करेंगे तो शिक्षा विभाग में ताला बंदी हो जाएगी। क्योंकि प्रदेश में टोटल 1,13,249 प्राइमरी स्कूल हैं। जबकि 41000 हजार से ज्यादा उच्च प्राथमिक विधालय है।
इन स्कूलों में शिक्षा मित्रों और अनुदेशकों के बिना सरकार को शिक्षा को गति देना मुश्किल है नहीं ना मुमकिन है। सरकार जल्द से जल्द शिक्षा मित्रों को नियमित करने का ऐलान करे और उन्हे जीवन देकर एक नेक कार्य करे। साथ ही लोकसभा चुनाव में अनुदेशक शिक्षा मित्र मिलकर सरकार की 80 लोकसभा सीटें जिताने में अहम भूमिका निभाएं।