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- देश के लिए धृतराष्ट्र,...
-दर्जन भर मौतों पर संघी खेमे को बंगाल में दिखा सीरिया/ कश्मीर
भाजपा समेत पूरे संघी खेमे की एक बहुत बड़ी खूबी यह है कि विपक्ष के रूप में वे बेहद आक्रामक हो जाते हैं... और तब उन्हें भारत में हर उस जगह पर सीरिया, अफगानिस्तान, पाकिस्तान जैसे हालात दिखने लगते हैं, जहां- जहां उनकी सरकार नहीं होती है..
लेकिन भाजपा समेत पूरे संघी खेमे की एक बहुत बड़ी खामी भी है...और वह यह कि सत्ता में आते ही वे धृतराष्ट्र हो जाते हैं और फिर उसके बाद देश में चाहे जितने बुरे हालात आ जाएं, चाहे पूरी दुनिया में भारत को लोग दया या उपहास की दृष्टि से क्यों न देखने लगें... इस खेमे को कहीं कुछ भी नजर नहीं आता और या तो यह खेमा मौन साध लेता है या फिर बड़ी ही बेशर्मी से इसकी जिम्मेदारी सरकार पर डालने का विरोध करने लगता है.
ताजातरीन उदाहरण कोरोना महामारी और बंगाल हिंसा का ही ले लीजिए. महज तीन रोज पहले शुरू हुई बंगाल की हिंसा में अभी मारे जाने वाले लोगों की गिनती सैकड़ा तो क्या 20 तक नहीं पहुंची है. लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चिंता का स्तर देखिए कि हिंसा शुरू होते ही अगले ही दिन उन्होंने राज्यपाल को फोन घनघना दिया. उनके साथ- साथ पूरी सरकार, भाजपा के सारे नेता, कार्यकर्ता और यहां तक कि कंगना रनौत जैसी सेलिब्रिटी भक्त से लेकर आम भक्तगण भी बंगाल की हिंसा की तुलना सीरिया और कश्मीर से करने लगे.मीडिया, सोशल मीडिया और वॉट्सएप पर दनादन एक के बाद इस हिंसा को लेकर पोस्ट और बयानबाजी वायरल होने लगी.
जबकि बंगाल में नतीजे आने से पहले तक संघी खेमे के ये सारे बयान वीर और सोशल मीडिया व व्हाट्सएप महारथी हस्पताल, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, दवाई, इंजेक्शन, एम्बुलेंस आदि न मिलने के कारण हजारों लोगों ( सरकारी आंकड़े के मुताबिक) के मारे जाने के बावजूद अपने-अपने बिलों में दुबके बैठे थे.
इन मौतों पर हाय-तौबा मचाना तो दूर इनके मुंह से एक बार भी सरकार के खिलाफ एक शब्द नहीं निकला और न ही इन्होंने भारत की इस बदहाली की तुलना के लिए सीरिया या कश्मीर जैसे किसी उदाहरण का जिक्र किया.
खुद नरेंद्र मोदी भी कोरोना से हो रहीं लगातार मौतों के सिलसिले के शुरू होने के कई दिनों तक तो बंगाल चुनाव में ही व्यस्त रहे. बंगाल हिंसा में जिस तरह वह अगले ही दिन भारी चिंतित होते दिखाई दिए वैसी चिंता और वैसी हड़बड़ी मोदी ने कोरोना से हुई मौतों में नहीं दिखाई.
जाहिर है, कोरोना काल में बदहाल स्वास्थ्य सुविधाओं और हस्पताल, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, दवाई, इंजेक्शन, एम्बुलेंस आदि न मिलने के कारण मारे गए हजारों लोगों की मौत पर हाय तौबा मचाने से मोदी सरकार की किरकिरी होनी है इसलिए ये पूरा संघी खेमा चुप्पी साध कर बैठा है. इसी वजह से इन्हें इस वक्त देश या देशवासियों की दुर्दशा ऐसी नहीं लग रही, जिस पर कोई हाय तौबा मचाई जाए.
जबकि बंगाल में संघी खेमा विपक्ष में है इसलिए वहां ये इतने ज्यादा आक्रामक और मुखर नजर आ रहे हैं. इसी कारण बंगाल और वहां की सरकार को बदनाम करने में यह अमला जुट गया है. इसी के तहत वहां की चुनाव बाद की हिंसा पर जबरदस्त हो हल्ला मचाकर सीरिया और कश्मीर से राज्य की तुलना तक कर डाली...