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- चुनावी इशारे भाजपा के...
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के परिणामों में भाजपा के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। इन त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में जिस तरह ग्रामीण जनता का समर्थन समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को मिला है उसने भाजपा के खेमे में बेचैनी बढ़ा दी है।
गत 2 मई को आए बंगाल चुनाव के परिणामों ने भाजपा को मायूस किया था, पार्टी नेताओं को उम्मीद थी कि उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनावों के परिणाम बंगाल के गम को कुछ कम करेंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं, अभी तक आए चुनाव परिणामों में भाजपा को सपा और बसपा से कड़ी टक्कर देखने को मिली है। प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में त्रिकोणीय संघर्ष ही देखने को मिला है जबकि ऐसी उम्मीद की जा रही थी की पंचायत चुनाव में भाजपा बाजी मार ले जाएगी। रुहेलखंड में भाजपा को कुछ बढ़त मिलती दिख रही है यहां पर भाजपा के करीब 25 सपा के 17 और बसपा के 6 उम्मीदवारों को सफलता मिली है
वही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा को बसपा से कड़ी टक्कर मिली है। जबकि सपा और रालोद के गठबंधन ने भी भाजपा के सामने जबरदस्त चुनौती पेश की है। ब्रज क्षेत्र में सपा ने भाजपा को पछाड़ दिया है, वही पिछले विधानसभा चुनावों में अवध क्षेत्र और पूर्वांचल में जबरदस्त प्रदर्शन करने वाली भाजपा की जमीन दरकती नजर आ रही है। अवध क्षेत्र में भाजपा ने 64 सीटों पर तो सपा ने 116 सीटों पर कब्जा जमाया है वही पूर्वांचल में भी भाजपा के 81 सदस्यों के मुकाबले सपा के 125 सदस्यों ने बाजी मारी है।
अभी तक के परिणामों में तमाम राजनीतिक दलों ने जीत के जो दावे किए हैं उसके अनुसार भाजपा ने करीब 325 सपा ने लगभग 400 और बसपा ने 225 सीटों पर जीत हासिल की है। पंचायत चुनाव में जिस तरह से इन तीनो दलों के बीच सीटों का बटवारा होता दिख रहा है।अगर यही ट्रेंड आगामी विधानसभा चुनावों मे भी जारी रहा तो भाजपा के हाथों से सत्ता खिसकना तय है। बंगाल के चुनावों में जिस तरह भाजपा की लोकप्रियता में कमी देखने को मिली है यूपी के पंचायत चुनावों में कमोबेश कुछ ऐसी ही स्थितियां देखने को मिल रही है।
इसके अलावा कोरोना केसों की बढ़ती संख्या और उससे होने वाली मौतों ने भी प्रदेश की जनता में सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ा दी है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में 10 महीने से भी कम समय बचा है ऐसे में सत्ता बचाए रखने के लिए भाजपा शीर्ष नेतृत्व को तमाम मोर्चों पर सुधार और संघर्ष करना होगा। ताजा चुनाव परिणामों और हालातों के मद्देनजर भाजपा के लिए आगे की राह बेहद कठिन दिख रही है।